जापान के प्राचीन काल में एक परम्परा थी. जब कोई व्यक्ति किसी के प्रताड़ना से आजिज हो जाता था तब वह प्रताड़ित व्यक्ति अपने प्रताड़क के घर के सामने जाकर अपनी बात रखता था और फिर अपना तेज धार चाकू से अपना पेट फाड़कर वहीं मर जाता था. जापानी समाज में ऐसा जिस व्यक्ति के खिलाफ किया जाता था, वह उस व्यक्ति के लिए बेहद अपमानजनक माना जाता था और वह व्यक्ति समाज में निन्दनीय बन जाता था. इसलिए संबंधित प्रताड़क इस परिघटना से बेहद खौफ खाता था और इससे बचने का यथासंभव प्रयास भी करता था.
केवल जापान ही क्यों, इंग्लैंड जब भारत को गुलाम बनाये हुए था तब भी जब कोई व्यक्ति या संगठन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अहिंसक तरीकों से ही लगता था, या जेलों में भूख हड़ताल करता था तब अंग्रेजी हुकूमत बेहद खौफ खाती थी और उसे खत्म करने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करती थी ताकि वह व्यक्ति अपना यह हठ छोड़ दें, इसके लिए वह यथासंभव प्रभोलन का भी तरीका इस्तेमाल करती थी. भारत से अंग्रेजों के जाने के बाद भी काफी वक्त तक लगभग ऐसा ही चलता रहा जिस कारण देश में बड़े-बड़े अहिंसक आंदोलन भी हुए.
परन्तु, भारत की हिन्दुत्ववादी संगठन आरएसएस का राजनैतिक एजेंट भाजपा के 2014 में सत्तासीन होने के साथ ही देश को क्रूर हिन्दू (ब्राह्मणवादी) रीति-रिवाजों का सामना करना पड़ रहा है, जो अंग्रेजी हुकूमत से पूर्व देश में न केवल पूरी सिद्धत से लागू ही था अपितु, सम्मानित भी माना जाता था, मसलन, बलात्कार करना, हत्या करना, दलितों का दमन करना अथवा हत्या करना, छुआछूत, दलितों को शिक्षा स्वास्थ्य से दूर करना आदि. केन्द्र की आरएसएस के एजेंट नरेन्द्र मोदी के शासनकाल में आज यह तमाम ब्राह्मणवादी क्रूरता सम्मानित माना जाने लगा है.
गुजरात में हजारों मुसलमानों की क्रूर हत्या से नाम कमाने वाला संघी ऐजेंट नरेन्द्र मोदी खुद को हिन्दुत्व का लठैत बताता है और देश को हिन्दुराष्ट्र बनाने के लिए कृतसंकल्पित है. विदित हो कि हिन्दुत्व की यह विशेषता है कि वह जिसकी हत्या करता है, पहले उसकी पूजा अथवा प्रणाम करता है, अर्थात् बलि तक देने वाले जानवरों की पहले पूजा-अर्चना की जाती है. तथाकथित आजाद भारत का पहला हत्यारा नाथू राम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या करने से पहले सिर झुकाकर प्रणाम किया था और 2014 में संविधान का हत्यारा नरेन्द्र मोदी देश के संविधान की हत्या करने से पूर्व संसद भवन के सीढ़ियों पर सर झुकाकर प्रणाम किया था.
आज सात साल बाद जब देश के तमाम संवैधानिक मूल्यों समेत संवैधानिक संस्थान एक-एक कर खत्म कर दिया गया है तब यह हत्यारा नरेन्द्र मोदी देश में निर्लज्जतापूर्वक कत्लेआम मचा रखा है, लोगों को आतंकित कर दिया है, हजारों की तादाद में जनपक्षी बुद्धिजीवियों, लेखकों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेलों में मरने के लिए डाल दिया है. एक आंकड़े के अनुसार लॉकडाऊन जैसा आपातकाल लगाकर तकरीबन डेढ़ लाख लोगों को भूख-प्यास, थकान, दुर्घटना के कारण और पुलिसिया पिटाई से मौत के घाट उतार डाला है, हजारों बलात्कार, हत्याओं को अंजाम दिया है. यह भयानक नरसंहार तथाकथित आजाद भारत के इतिहास में न तो कभी सुनी या देखी ही गई है.
बच्चा चोरी से लेकर ड्रग्स की सप्लाई तक के धंधों में शामिल यह संघी गिरोह ब्लू फिल्मों की शूटिंग तक कर बेरोकटोक सैक्स रैकेट चला रहा है. देश के मजदूरों-किसानों को चंद कॉरपोरेट घरानों का दास बनाने के लिए तमाम हथकंडा अपना रहा है. छल, कपट, झूठ, लालच आदि के जरिए देश के हर तबकों के बीच तबाही का तूफान ला खड़ा कर दिया है.
Read Also –
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]