Home गेस्ट ब्लॉग जब आप चुप रहोगे तो दूसरे तो बोलेंगे न !

जब आप चुप रहोगे तो दूसरे तो बोलेंगे न !

2 second read
0
0
262

जब आप चुप रहोगे तो दूसरे तो बोलेंगे न !

सचिन सहित सारी देशी सेलिब्रिटी बोल रही है ‘किसानों के मुद्दे पर विदेशी सेलेब्रिटीज़ को नहीं बोलना चाहिए क्योंकि यह देश का आंतरिक मामला है’, वो एक बार के लिए सही हो सकते थे, जब वो किसानों के मुद्दों पर पक्ष या विपक्ष में अपने विचार तो रखते. लेकिन यह क्या कि आपकी जिह्वा तब खुली जब सरकार ने आपकी कलाई मोड़कर आप से देशभक्ति साबित करने को बोला.

माफ कीजिए लेकिन आज आप सब मेरी नजर में बहुत गिर गए है. अब आप मेरे लिए देश के नहीं केवल सरकार के माउथपीस बनकर रह गए. आप देश का नहीं आप इस सरकार का बचाव कर रहे हैं. औऱ आपने साबित कर दिया है कि आपकी खुद की कोई सोच नहीं है. आप सरकार के द्वारा दी जा रही सुविधाओं या शक्तियों को बचाने के लिए उसके हर निर्णय का बचाव कर रहे हैं जबकि 2 महीने से सड़कों पर संघर्ष कर रहे किसानों के लिए आपके मुंंह से एक शब्द नहीं निकला.

दुनिया लगातार खेमों में बांंटी जा रही है और खेमे छावनियों में तब्दील हो रहे हैं. विरोध को विश्वासघात का और आंदोलन को देशद्रोह का चोला पहनाया जा रहा है. तर्क, वार्ता, संवाद, अलोचना यहांं तक की व्यंग्य की भी गुंजाइश नहीं छोड़ी जा रही है. जो भी सत्ता ऐसा करती है वह लोगों को विकल्पहीन हर रही है. और यह मूलभूत मानव अधिकारों का हनन है. ऐसे माहौल में लोग सड़क पर उतर आने और लाठियांं खाने के लिए मज़बूर हैं.

इस समय दुनिया के कई देशों में लोग अपनी सरकारों से नाखुश हैं. क्या यह मात्र संयोग है ? हमारी सरकारी व्यवस्थाएंं लगातार असहिष्णु , केंद्रित और पितृसत्तात्मक होती जा रही हैं ? राइट और लेफ्ट की विचारधाराएंं लम्बे समय से हैं और आज से पहले उनमें माध्यस्तता की तमाम संभावनाएंं थी. लेकिन अब कट्टरता और आत्ममुग्धता का नया स्तर देखा जा रहा है, जो सिर्फ़ लड़ने के लिए उकसावा मात्र रह गया है.

सबसे ज़्यादा दुःखद ये है कि मीडिया, कलाएंं, विश्वविद्यालय और न्यायालय जो नैतिकता और सत्य के पक्षधर रहे हैं, जिनकी जिम्मेदारी है कि वह एक जागरूक जन समाज बनाए, वह भी विभिन्न दबावों और प्रलोभनों के चलते लोगों के प्रति अपनी ज़वाबदेही भूल चुके हैं औऱ सरकारों के दबावों में अपने ईमान भी बेच चुके हैं. आज उन सभी सेलिब्रिटी से एक ही बात कहना चाहता हूंं कि सरकार से कब तक डरोगे ? बिगाड़ के डर से क्या ईमान की बात नहीं करोगे ?

  • अपूर्व भारद्वाज

Read Also –

 

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

चूहा और चूहादानी

एक चूहा एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था. एक दिन चूहे ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी…