अंधविश्वास को बढावा देने काले विज्ञापनों पर नकेल कसने के लिए मुंबई हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ द्वारा चार टीवी चैनलों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का आदेश निसंदेह स्वागतयोग्य है. इस बावत औरंगाबाद पीठ के न्यायाधीशों तानाजी नलावडे और मुकुंद सेवलिकर की यह टिप्पणी भी काबिलेगौर है कि टीवी चैनलों पर ऐसे तांत्रिक यंत्रों के विज्ञापनों का मूल मकसद अनैतिक रूप से मानदोहन तथा स्वभाव से अंधविश्वासी व्यक्तियों का भावात्मक व आर्थिक शोषण करना है.
बताते चलें कि इन भ्रामक विज्ञापनों पर रोक व कानूनी कार्यवाही का यह न्यायिक फैसला एक महाराष्ट्रियन शिक्षक राजेंद्र अंभोरे की याचिका पर सुनाया गया है. याचिकाकर्ता का आरोप था कि टीवी पर प्रसारित होने वाले हनुमान यंत्र के विज्ञापन में यह दावा किया जा रहा है कि यह यंत्र मंगलनाथ नामक एक हनुमान भक्त बाबा द्वारा तैयार किया गया एक सिद्ध यंत्र है, जो इसे धारण करने वाले की हर इच्छा पूरी करने की क्षमता रखता है; इसको घर पर लाना स्वयं भगवान हनुमान को घर लाने जैसा है. यही नहीं इस यंत्र के प्रचार के पक्ष में सुप्रसिद्ध फिल्म निर्माता, अभिनेता व निर्देशक स्व. मनोज कुमार समेत कई नामचीन फिल्मी हस्तियों के वक्तव्यों को भी उद्धृत किया गया था, जिन्होंने इस यंत्र से चमत्कारी लाभ होने की बात प्रचारित की थी.
आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि ज्यो-ज्यों हम लोग विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं, रुढियों व अंधविश्वासों की गिरफ्त में भी उसी तेजी से फंसते जा रहे हैं. हाईटेक प्रौद्योगिकी के इस दौर में जब लोग ताजा जानकारी के लिए टेलीविजन खोलते हैं तो कहीं किसी चैनल पर कोई बाबा गुडलक के लिए खास किस्म का कपड़ा पहनने का सुझाव देते नजर आ जाते हैं तो कहीं कोई अन्य खास किस्म की मिठाई खाने की सलाह देते हैं. इन दिनों विभिन्न टीवी चैनलों पर नजर सुरक्षा कवच’, ‘सिद्ध यंत्र व सिद्धमाला, सिदध अंगूठी’, धन प्राप्ति यंत्रों आदि का व्यापार धड़ल्ले से चलाया जा रहा है. तमाम चैनल हनुमान मंत्र दुर्गा कवच …, अभिमंत्रित श्रीयंत्र … या फिर करने वाले लोग खुलेआम लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करते नजर आएंगे.
जहां विज्ञान की देन टेलीविजन से यह उम्मीद होनी चाहिए कि वह सही जानकारियां देने व जागरूक करने के साथ लोगों का स्वस्थ मनोरंजन करे; वही छोटे पर्दा तमाम तरह के भामक विज्ञापनों तथा सीरियलों के द्वारा समाज में अधविश्वासों को बढ़ावा दे रहा है. इस तार्किक युग में भी काला जादू, टोना टोटका, तंत्र व भूत-जिन आदि के नाम पर तमाम ढोंगी बाबाओं, ओझाओं और मौलानाओं की दुकानदारी खूब चमक रही है. जगह-जगह टोटकों व चमत्कारों के बल पर मनचाही मुराद पुरी करने वाले ढ़ोगियों की लंबी जमात नजर आती है.
गरीब व अनपढ़ ही नहीं, पढ़े-लिखे सुशिक्षित लोगों की भी भीड़ अपनी परेशानियों का हल इनके पास जाकर ढूंढती नजर आती है. इसी वजह से इनके मंसूबे और मजबूत हो रहे हैं. ठगी का यह नेटवर्क न सिर्फ राज्य, शहरों व गांवों में चल रहा है, बल्कि अब इसका विस्तार इंटरनेट के द्वारा विदेशों तक में होने लगा है. हद तो यह है कि जादू-टोना व झाड-फूंक के नाम पर सेक्स रैकेट चलाने वाले कई ढोंगी बाबाओं का भंडाफोड़ होने के वावजूद यह खेल खुलेआम जारी है.
ट्रेनों, बसों में पैम्फलेट चस्प करके चमत्कार करने की बाते परोसी जा रही हैं. लोग इनके जाल से निकल न पाएं, इसके लिए घर पर ही फोन कॉल के जरिए सहूलियत देने के दावे भी जारी हैं. मनचाही शादी व बच्चा, सौतन से छुटकारा और वशीकरण ही नहीं, अब इन ढोंगियों के पास जमीन व कानून की हर समस्या का भी समाधान है.
कई बार तो लोग इन अंधविश्वासों के चक्कर में पड़कर बच्चों की बलि तक दे देते हैं. चूंकि हर हाथ में फोन है और इंटरनेट की पहुंच सर्वसुलभ है तो अंधविश्वास का यह काला कारोबार भी लोगों तक आसानी से पहुंच रहा है. संदेशों की बाढ़ आई हुई है. यही नहीं, टीवी पर प्रसारित भूत प्रेत, जादू का, पुनर्जन्म और नाग-नागिन वाले धारावाहिक भी सामाजिक कुरीतियों और उनकी जड़ताओं को बनाये रखने में सहभागी बनते दिखते हैं. इन दुकानों से नफा कमाने की यह प्रवृत्ति स्वस्थ समाज के लिए खतरे की घंटी है. समझना होगा कि ईश्वर में वृहत विश्वास और श्रद्धा रखने वाले लोग आत्मविश्वासी होते हैं, अंधविश्वासी नहीं. अतः खुद में आत्मविश्वास जगाइये और भय मुक्त जीवन का आनन्द लीजिए.
- पूनम नेगी
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