Home कविताएं काश, मेरे शब्द होते

काश, मेरे शब्द होते

0 second read
0
0
373

काश, मेरे शब्द होते
रोटी, कपड़ा और मकान
मैं बांट देता इन्हें
खाने, पहनने और रहने के लिए

काश, मेरे शब्द होते
हंसिया, हथौड़ा और बंदूक
मैं काटता, पीटता
और बना लेता
उस दुष्ट की छाती का निशाना

काश, मेरे शब्द होते
मेरे आज के स्वप्न का
आने वाला कल की सच्चाई
मैं रख देता सहेज
भाई-बंद की सोयी पलकों पर
तारों की तरह फैला देता
मन के अंधेरे आकाश में

काश, मेरे शब्द होते
हवा, पानी और गर्मी
मैं गरमा देता उनका ठंडा शरीर
सैलाइन की तरह उतर जाता
समस्त नाड़ी तंत्रिका में
जगा देता हवा के झोकों से
मृत सांस की धड़कन

काश, मेरे शब्द होते
उनकी आवाज
मैं चीखता, चिल्लाता
जंगल में चली
कुल्हाड़ी के विरुद्ध

काश, मेरे शब्द होते
प्यार
मैं घोल देता
शहर की सबसे बड़ी ऊंचस्थ
पानी की टंकी में
और पहुंचा देता
घर घर के नलों तक
कि जिसे पीना है पीले छक कर
कि जिसे नहाना है
नहा ले आपादमस्तक

  • राम प्रसाद यादव

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • शातिर हत्यारे

    हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…
  • प्रहसन

    प्रहसन देख कर लौटते हुए सभी खुश थे किसी ने राजा में विदूषक देखा था किसी ने विदूषक में हत्य…
  • पार्वती योनि

    ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…