गिरीश मालवीय
सरकारी और गैर-सरकारी तमाम फैक्ट चेक वेबसाइट यह बताने में जुटी है कि अडानी का रेलवे से कोई सीधा संबंध नही है. इस सम्बंध में खोजने पर एक खबर हाथ लगी है जो यह बताती है कि अडानी अब अपनी रेल तक अलग चला रहे हैं. एक विज्ञप्तिनुमा खबर जो सम्भवतः अडानी ने ही रिलीज की है, उसमें लिखा है कि ‘लॉकडाउन के दौरान अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड के एक हिस्से, अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड (एएएलएल) ने 30,000 मीट्रिक टन खाद्यान्न भेजने की सुविधा प्रदान की. खाद्यान्न की यह मात्रा भारत के विभिन्न राज्यों जैसे तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, बंगाल आदि में 60 लाख से अधिक नागरिकों को भोजन उपलब्ध कराने के बराबर है. उत्तर भारत स्थित उत्पादन केंद्रों से लेकर उपभोग केंद्रों तक खाद्यान्न के परिवहन के लिए कंपनी के स्वामित्व वाली और कंपनी द्वारा ही संचालित सात ट्रेनों की भूमिका महत्वपूर्ण रही.’
अब यहां साफ-साफ लिखा है कि ‘खाद्यान्न के परिवहन के लिए कंपनी के स्वामित्व वाली और कंपनी द्वारा ही संचालित सात ट्रेनों की भूमिका महत्वपूर्ण रही.’ अब तमाम बिकी हुई फैक्ट चेक़ करने वाली संस्थाए बताए कि यह बात सही है या नहीं ? वैसे सिर्फ रेलवे से ही कहां अडानी का मन भरने वाला है, देश के तमाम महत्वपूर्ण हवाई अड्डे और बंदरगाह पिछले 10-12 सालो में अडानी के नाम लिखे जा चुके हैं. देश की कोस्टल लाइन को आप ध्यान से देखेंगे तो आप पाएंगे कि विदेशी व्यापार के लिये महत्वपूर्ण तमाम पोर्ट्स अडानी के नाम किये जा चुके हैं. अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड (Adani Ports and SEZ Ltd) के शेयर अब तक के अपने रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया क्योंकि अडानी ने एक और पोर्ट खरीद लिया. कृष्णपटनम पोर्ट (Krishnapatnam Port) के अधिग्रहण के बाद इसके शेयर्स की प्राइज ऑल टाइम हाई पर है.
यह भी पता लगा है कि भारत का सबसे बड़े कंटेनर टर्मिनल भी अब अडानी के ही नाम है. AICTPL भारत का सबसे बड़ा कंटेनर टर्मिनल है. यह अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड (APSEZ) और टर्मिनल इन्वेस्टमेंट लिमिटेड (TiL) के बीच 50:50 का संयुक्त उपक्रम है. जिस किसान रेल की मोदी जी बात कर रहे थे वह भी पूरी तरह से PPP मॉडल पर आधारित है, जिसमे अडानी की हिस्सेदारी लगभग तय ही है. किसान रेल के लिए रेलवे की योजना एक एग्रीकल्चर लॉजिस्टिक सेंटर बनाने की है. यह लॉजिस्टिक सेंटर सोनीपत हरियाणा में बनाया जाएगा. यह लॉजिस्टिक सेंटर 16.40 एकड़ में बनेगा. बताया जा रहा है कि रेलवे की पीएसयू कॉनकॉर इसे बनाने जा रही है, अब कॉनकोर तो खुद बिकने के लिए बाजार में आ गयी है. अब यह मत पूछिएगा कि कॉनकोर यानी कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया कौन खरीदेगा ?
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