एक पागल कुत्ता समूचे मोहल्ले को दहशत में डाल देता है, पर यहां तो एक पागल कुत्ता देश की सत्ता पर बैठकर समूचे देश को दहशत में डाल दिया है. प्रधानमंत्री के पद पर विद्यमान नरेन्द्र मोदी ने कोरोना के नाम पर देश में आपातकाल लागू कर अपने मालिक अंबानी-अदानी की सेवा में किसानों को गुलाम बनाने के लिए तीन कानून जबरन संसद से पारित कराकर थोप दिया है. अब जब देश भर के करोड़ों किसान इस गुलामी के कानून के खिलाफ प्रतिरोध कर रहे हैं तब पहले तो उनकी बात ही नहीं सुना.
जब यह प्रदर्शनकारी किसान ‘दिल्ली चलो’ का नारा बुलंद किया तब यह पागल कुत्ता बना नरेन्द्र मोदी और उसकी सरकार ने किसान प्रदर्शनकारियों को दिल्ली पहुंचने से रोकने हेतु पहले तो पुलिस बल का प्रयोग किया, फिर सड़कों को काटकर उनके आगमन को बाधित करने का प्रयास कराया. जब इससे भी बात नहीं बनी तब उनपर विभिन्न तरीकों के आरोप अपने छोड़े हुए कुत्तों के माध्यम से फैलाना शुरू किया कि ये सब खालिस्तानी हैं, पाकिस्तानी हैं, चीनी हैं, विदेशी फंडिंग के तहत देश को अस्थिर करने आये हुए हैं, विपक्ष की साजिश है, और अब माओवादी हैं.
जब इन सब साजिशों और झूठे आरोपों के बाद भी बात नहीं बन रही है तब उसने सुप्रीम कोर्ट का सहारा लिया. पर सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी इज्जत बचाते हुए पैर पीछे खींच लिया. इसके बाद नरेन्द्र मोदी की पागल सरकार ने किसानों के इस करोड़ों प्रदर्शकारियों के खिलाफ एक ओर तो देश भर में दुश्प्रचार का नया अभियान चालू कर दिया तो वहीं दूसरी ओर एक और पागल कुत्ता बना अजय कुमार विष्ठ की उत्तर प्रदेश की भाजपाई सरकार ने दिल्ली प्रदर्शन में भाग लेने आये हुए किसानों पर जुर्माना लगाना शुरू कर दिया है.
विदित हो कि प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा नरेन्द्र मोदी ने संसद भवन से महज कुछ किलोमीटर दूर बैठे करोड़ों किसानों को अनदेखा करते हुए हजारों किलोमीटर दूर कच्छ के किसानों से मिलने और उसका समर्थन हासिल करने गुजरात पहुंच गया. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कच्छ में जिन 245 सिख किसानों को इकट्ठा किया है, उनकी जमीनों के रिकॉर्ड गुजरात सरकार ने बीते 10 साल से दबा रखे हैं.
गुजरात सरकार का कहना है कि ये किसान राज्य में बाहर से आकर खेती कर रहे हैं, जिसकी अनुमति नहीं है. गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को किसानों के जमीन के रिकॉर्ड वापस करने को कहा है लेकिन सरकार ने इस आदेश के खिलाफ अपील दायर कर रखी है, जिसे मोदी की दलाल मीडिया ने चतुराई से इस खबर को दबा दिया और खबर इस तरह चलाया मानो आंदोलनकारी किसानों से बातचीत की कमान अब मोदी ने संभाल ली है.
जबकि पिछले दिनों नरेन्द्र मोदी ने खुद वणिकों की एक सभा को संबोधित करते हुए कह दिया कि वे किसानों की भलाई के लिए जो कदम उठा रहे हैं, उनसे उद्योगपतियों के पंजे से अभी तक बचा हुआ कृषि क्षेत्र भी उनके लिए पूरी तरह से खुल जाएगा. अर्थात् अब वे इस क्षेत्र का भी अबाध रूप से दोहन कर पाएंगे. अंबानी-अदानी जैसी काॅरपोरेट घरानों की चैकीदारी करते हुए नरेन्द्र मोदी किसान और किसानों के विशाल प्रदर्शन के खिलाफ अबाध और निर्लज्ज दुश्प्रचार अभियान छेड़ दिया है.
भाजपा और उसके आईटी-सेल और दलाल मीडिया के जरखरीद गुलाम दिल्ली की सीमाओं पर बैठे करोड़ों किसानों को महज पंजाब से आये किसान बता रहा है, जिसे कभी खलिस्तानी, तो कभी पाकिस्तानी-चीनी बता रहा था, अब वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर बैठे अजय कुमार विष्ठ की सरकार ने दिल्ली किसान आन्दोलन में शामिल होने आये उत्तर प्रदेश के किसानों पर नोटिश जारी कर रहा है और लाखों का जुर्माना ठोक रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश के संभल जिले से किसान आंदोलन में भाग लेने वाले किसानों को नोटिस भेजा जा रहे है. संभल के उपजिला मजिस्ट्रेट ने छह किसानों को 50 हजार तक का मुचलका भरने के लिए नोटिस भेजा है. पहले इन किसानों को 50 लाख के नोटिस भेजा गया था, लेकिन अब इस नोटिस को संशोधित कर दिया गया है. SDM दीपेंद्र यादव ने 50 लाख वाले नोटिस पर सफाई देते हुए इसे निचले स्तर पर की गई गलती बताया और कहा कि किसानों को बाद में संशोधित नोटिस भेज दिया गया. जिन छह किसानों को यह नोटिस भेजा गया है, उनमें भारतीय किसान यूनियन (असली) संभल के जिला अध्यक्ष राजपाल सिंह यादव के अलावा जयवीर सिंह, ब्रह्मचारी यादव, सतेंद्र यादव, रौदास और वीर सिंह शमिल हैं. नोटिश मिले इन किसानों ने साफ कहा, ‘हम ये मुचलके किसी भी हालत में नहीं भरेंगे, चाहे हमें जेल हो जाए, चाहे फांसी हो जाए. हमने कोई गुनाह नहीं किया है, हम अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं.’
इस नोटिस के समर्थन में अजय कुमार विष्ठ की सरकार का कहना है कि ‘ये किसान गांव-गांव जाकर किसानों को भड़का रहे हैं और अफवाह फैला रहे हैं, जिससे कानून व्यवस्था खराब हो सकती है.’ नोटिस में इन किसानों से जवाब मांगा गया है कि किसानों पर 1 साल तक शांति बनाए रखने के 50 लाख रूपए का मुचलका क्यों न लगाया जाए ? ये नोटिस धारा 111 के तहत 12 और 13 दिसंबर को भेजे गए हैं. इस नोटिस के अनुसार किसान, किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं जिससे कानून व्यवस्था भंग होने की संभावना है. ये किसान, किसान आंदोलन में हिस्सा ले रहे किसान संगठनों के सदस्य हैं. उत्तर प्रदेश की बिष्ठ सरकार की यह नोटिस केन्द्र की मोदी सरकार के गाल पर करारा तमाचा है, जो यह कहती है कि दिल्ली की सीमाओं पर रोक दिये गये किसान केवल पंजाब के हैं, कि उन्हें देश के अन्य हिस्सों के किसानों का कोई समर्थन हासिल नहीं है.
वहीं, आन्दोलनकारी किसानों के विपरीत देश के जिन हिस्सों के किसानों को भलामानुस बताया जा रहा है, उन किसानों की दुर्दशा पर भी गौर कर लीजिए. बिहार के कुछ जिलों में किसान पैदावार की उचित कीमत नहीं मिलने पर अपने फसलों पर ट्रैक्टर चला रहे हैं क्योंकि उन्हें उन फसलों का कोई भाव ही नहीं मिल रहा है. बिहार के समस्तीपुर के बाद अब मुजफ्फरपुर जिले में भी कई किसानों ने गोभी की तैयार फसल पर ट्रैक्टर चला खेतों में ही जमींदोज कर दिया. वहीं, मुजफ्फरपुर के बोचहा के सरफुद्दीनपुर में भी दो किसानों ने गोभी का उचित मूल्य नहीं मिलने से निराश होकर करीब 10 बीघे में लगी अपनी फसल को खेत में ही ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर दिया. इसी गांव की महिला किसान शैल देवी ने भी करीब 1.50 लाख रुपये का कर्ज लेकर करीब दो बीघा में फूलगोभी की खेती थी लेकिन लागत नहीं निकलने से परेशान शैल देवी ने भी ट्रैक्टर चलवाकर अपनी फसल नष्ट करा कर गेहूं बो दिया.
पागल कुत्ता बना केन्द्र की मोदी सरकार एक ओर किसानों को अपने मालिक अंबानी-अदानी का गुलाम बनाने के लिए दिन-रात एक कर रहा है, वहीं दूसरी ओर किसानों को बरगला रहा है, वहीं इसका तीसरा कुत्ता जोर से भौंकते हुए कहता है कि देश में लोकतंत्र ज्यादा है, इसे खत्म किये जाने की जरूरत है यानी देश में आपातकाल लगाये जाने की जरूरत है, जो देश के हर नागरिकों का न्यूनतम अधिकार भी छीन लेने पर आमादा है.
Read Also –
अफवाहों, गलत खबरों का जवाब अब किसान देंगे
किसान आन्दोलन का माओवादी कनेक्शन ?
किसानों को आतंकवादी कहने से पहले
IRCTC का ई-बुक : क्या ये अपमानजनक नहीं है ?
किसान आन्दोलन : किसानों के लिये जीवन-मरण का आन्दोलन है
किसान विरोधी बिल : शहरी मध्यम वर्ग के थाली से खाना गायब होने वाला है
APMC मंडी सिस्टम पर मक्कार मोदी का आश्वासन कितना भरोसेमंद
[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]