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भारत में लोकतंत्र बहुत है !

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भारत में लोकतंत्र बहुत है !
कुपोषण से यहां
बच्चे मरते बहुत हैं !
बिना दवा-दारू के
अकाल मौतें बहुत हैं !
किसान करते यहां
आत्महत्या बहुत हैं !
बेगुनाह लोग यहां
जेल भरते बहुत हैं !
लड़कियों के साथ यहां होते
बलात्कार बहुत हैं !
जल-जमीन-जंगल के लिये यहां
होते जुल्म बहुत हैं !
सरकार खजाने की लूट बहुत है
उसी खजाने में लोक को देने
षड़यंत्रकारी, अलगाववादी, नक्सलवादी
देशद्रोही, वामपंथी, टुकड़े-टुकड़े गैंग जैसे
आभूषण भी बहुत हैं !

अभी अभी हुआ है
संसद की नई भव्य इमारत का शिलान्यास !
बनने वाला है आलीशान नया राजपथ !
अभी-अभी गांधी के चरणों में
अर्पित किये हैं फूल
अभी-अभी बाबा साहेब को पहनाई है माला
अभी-अभी
दिल्ली के जनपथ पर
कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे
किसान लड़ रहें हैं जिंदगी की जंग !
अभी-अभी हुई है उनपर
लाठी-गोली, पानी की बौछार !
बरस रही है लोक-तंत्र की अनवरत धार !

अभी-अभी एक किसान ने
अपनी पकी-पकाई फसल पर
चला दिया है ट्रैक्टर !
अभी-अभी कई किसान
सड़क पर फेंक रहें हैं आलू, टमाटर और प्याज़ !
अचानक सड़क पर बहने लगी है
दूध की नदी !
एक भिखारी और कुत्ता साथ-साथ
पी रहें हैं वो दूध !
भारत में लोकतंत्र बहुत है !

अभी-अभी रिकार्ड दीये जलाकर
गिनीज़ बुक में अपना नाम दर्ज कराया है उन्होंने
रात भर जले हुए दीयों से
बचा हुआ तेल शीशी में भर रही है
एक छोटी सी बच्ची !

संसद की पुरानी इमारत
कोरोना के डर से कांप रही है !
सांसदों को या सरकार को
कोरोना न हो जाये
इसलिये
शीतकालीन अधिवेशन
नहीं होगा !

चुप ! भारत में लोकतंत्र बहुत है !

  • सरला माहेश्वरी

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ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

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