राम चन्द्र शुक्ल
बिहार में एपीएमसी एक्ट को संभवतः 2006 में ही खत्म कर दिया गया था. उत्तर प्रदेश में अब इन नये तीन कानूनों के बन जाने के बाद से यह एक्ट निष्प्रभावी हो गया है. चूंकि पंजाब तथा हरियाणा में यह अब तक (सितंबर 2020 में नये तीन अध्यादेशों के आने के पहले तक) यह प्रभावी रहा है, इसलिये हरियाणा व पंजाब के किसान इसके महत्व को बेहतर समझते हैं. इसीलिये इन तीन काले कानूनों को निरसित किए जाने का आन्दोलन उनके लिये जीवन-मरण का आन्दोलन बन गया है.
इसी तरह से आवश्यक वस्तु अधिनियम (एसेंशियल कमोडिटी एक्ट) के निष्प्रभावी बना दिए जाने के कारण व्यापारियों तथा आढ़तियों को खाद्यान्न के असीमित भण्डारण की सुविधा प्राप्त हो गयी है. इस अधिनियम के प्रभावी रहते कोई भी आढती या व्यापारी किसी भी तरह के खाद्यान्न की 100 कुंतल (10 टन) से अधिक मात्रा अपने गोदाम में नही रख सकता था. इससे अधिक मात्रा रखने पर एसडीएम या सक्षम प्राधिकारी उसका गोदाम सील कर उसे कालाबाजारी व जमाखोरी करने के लिए जेल भी भेज सकता था. पर इन नये किसान व जनविरोधी कानूनों के बन जाने से कोई भी व्यापारी अथवा आढ़ती असीमित खाद्यान्न का भण्डारण अपने गोदामों में कर सकता है.
वर्तमान काले कानूनों का असली व सबसे ज्यादा फायदा देश के सत्ताधारी शासकों के मुख्य प्रोड्यूसर व डायरेक्टर रहे दो कारपोरेट घरानों को मिलने वाला है. पहला फायदा अडानी को मिलने वाला है, जो कई साल पहले से देश भर में साइलो गोदामों का निर्माण करवा रहा है. उसकी कंपनी अडानी लाजिस्टिक लि. द्वारा देश भर में 9000 खाद्यान्न भंडारण के गोदाम बनाने की योजना है. इनमें से एक-एक गोदामों में लाखों टन अनाज का भंडारण किया जा सकेगा. ऐसा ही एक साइलो गोदाम अडानी लाजिस्टिक लि. द्वारा हरियाणा में 100 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है, जिस तक रेल रैक की पहुंच के लिए निजी रेल लाइन भी बिछा दी गयी है.
अंबानी की कंपनी रिलायंस फ्रेश पहले ही देश भर में खुदरा बिक्री के लिए बड़े-बड़े शापिंग माल्स बना चुकी है, जिसमें सब्जी, फल व दालों की फुटकर बिक्री की जा रही है. इन नये काले कानूनों का फायदा काने बाबा (रामदेव) को भी मिलने वाला है. अब तक इस आन्दोलन में शामिल 26 किसान शहीद हो चुके हैं. इन किसानों की शहादत को व्यर्थ नही जाने देना है.
देश के छोटे व बड़े नगरों तथा कस्बों में बसा मध्यम वर्ग/निम्न मध्यम वर्ग किसानों द्वारा उत्पादित खाद्यान्नों, फलों, सब्जियों व दूध के दाम कम करने के लिए भिखारियों की तरह उनके सामने गिड़गिड़ाता है. वह सब्जी वाले से, फल वाले से तथा अपना अनाज व अन्य उत्पादों को लाकर शहर में बेचने वाले किसानों के सामने एक-एक, दो-दो रूपये छोड़ने के लिए नाक रगड़ता है. किसानों व मजदूरों की मेहनत पर पूरा समाज पलता है.
इसलिए खुद शारीरक श्रम न करने वाले परजीवियों की समझ किसानों के आन्दोलन के संबंध में नकारात्मक होने पर मुझे कोई आश्चर्य नही हो रहा है. ऐसे ही परजीवी वर्गों के लोग किसानों के वर्तमान आन्दोलन को मीडिया व सोशल मीडिया पर खालिस्तानी, आतंकवादी और जाने क्या-क्या कहकर बदनाम कर रहे हैं.
देश के किसान पूरे देश में अनाज के भण्डारण व विपणन की व्यवस्था को अडानी व अंबानी समूह के हाथों में दे दिए जाने की सरकारी नीति के विरुद्ध आन्दोलन कर रहे हैं, जो लड़ाई हम आप सब को मिलजुलकर लड़नी चाहिए थी, उस लड़ाई को आज देश के किसान दिल्ली की सीमाओं पर इस भयावह सर्दी के मौसम में अपनी जान हथेली पर रखकर लड़ रहे हैं.
इस आन्दोलन में अब तक 26 किसानों की जान जा चुकी है इसलिये अपने सभी मित्रों से – विशेषकर दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के मित्रों से अपील है कि इस आन्दोलन में तन- मन-धन से किसानों का साथ दें. इसके साथ ही साथ जिओ सिम तथा अडानी, अंबानी व पतंजलि समूह के तमाम तरह के उत्पादों, इनके पेट्रोल पंपों तथा इनके शापिंग माल का बायकाट करें. आर्थिक बायकाट सत्ता की गोद में बैठे इन तीनों कारपोरेट घरानों की शक्ति को क्षीण करेगा तथा आन्दोलनकारी किसानों के पक्ष को मजबूत करेगा.
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