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किसान

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किसान

तुम किसानों को सड़कों पे ले आए हो
अब ये सैलाब हैं
और तिनकों से रूकते नहीं

ये जो सड़कों पर हैं
खुदकुशी का चलन छोड़ कर आए हैं
बेड़ियां पाओं की तोड़ कर आए हैं
सोंधी खुशबू की सबने कसम खाई है
और खेतों से वादा किया है के अब
जीत होगी तभी लौट कर जाएंगे

अब जो आ ही गए हैं तो यह भी सुन लो
झूठे वादों से ये टलने वाले नहीं
तुम से पहले भी जाबिर कई आए हैं
तुम से पहले भी शातिर कई आए हैं
तुम से पहले भी ताजिर कई आए हैं
तुम से पहले भी रहजन कई आए हैं
जिन की कोशिश रही
सारे खेतों के कंगन
सारे खेतों का कुंदन, बिना दाम के
अपने आकाओं के नाम गिरवी रखें
उनकी किस्मत में भी हार ही हार थी
और तुम्हारा मुकद्दर भी बस हार है

तुम जो गद्दी पर बैठे, खुदा बन गए
तुमने सोचा के तुम आज भगवान हो
तुम को किसने दिया था ये हक
खून से, सब की किस्मत लिखो, और लिखते रहो

गर जमीं पर खुदा है, कहीं भी कोई
तो वो दहकान है
है वही देवता, वो ही भगवान है
और वही देवता
अपने खेतों के मंदिर की दहलीज को छोड़ कर
आज सड़कों पे है
सर-ब-कफ, अपने हाथों के परचम लिए
सारी तहजीब-ए-इंसान का वारिस है जो
आज सड़कों पे है

हाकिमों जान लो, तानाशाहों सुनो
अपनी किस्मत लिखेगा वो सड़कों पे अब
काले कानून का जो कफन लाए हो
धज्जियां उस की बिखरी हैं चारों तरफ
इन्हीं टुकड़ों को रंग का धनक रंग में
आने वाले जमाने का इतिहास भी
शाहराहों पे ही अब लिखा जाएगा
तुम किसानों को सड़कों पे ले आए हो
अब ये सैलाब हैं
और सैलाब तिनकों से रूकते नहीं

  • गौहर रजा
    हमारे प्रिय मशहूर शायर व वैज्ञानिक की ताजा नज्म.

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ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

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