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वैक्सीन के नाम पर गिनीपिग बनने को तैयार रहिये

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वैक्सीन के नाम पर गिनीपिग बनने को तैयार रहिये

पं. किशन गोलछा जैन, ज्योतिष, वास्तु और तंत्र-मंत्र-यन्त्र विशेषज्ञ

मेरे प्यारे भारतवासियों, वैक्सीन के नाम पर गिनीपिग बनने को तैयार रहिये क्योंकि सीरम में मोदीजी के जाने के बाद उठे कई सवालो के जवाब में सीरम ने कहा था कि ‘वैक्सीन लेने के बाद भी अभी कम से कम दो साल तक अभी और मास्क, दस्ताने, शील्ड, किट, सैनिटाइजर और हैंड वाश इत्यादि सभी कार्य करने जरूरी होंगे.’

इससे स्पष्ट ज्ञात होता है कि वैक्सीन की आड़ में क्रेडिट लेने की होड़ मची है और वैक्सीन का नेशनल कम्युनिटी ट्रायल आप सब को गिनीपिग बनाकर किया जायेगा. इसके साथ ही अगले लोकसभा तक सभी शांत होकर बैठे रहेंगे और बेरोजगारी का रोना भी नहीं रोयेंगे (बेरोजगारी बेचारे कोरोना के मत्थे मढ़ी जायेगी). और अगले लोकसभा में फिर से नौकरियों का झांसा देकर वोट बैंक भुनाया जायेगा. (महामारी के मौके को लम्बा खेल के चौके में भुनाया जा रहा है).

वैक्सीन की ट्रायल में कई साइड इफेक्ट उभरे हैं और शायद सीरम इसे मान भी लेता लेकिन मोदीजी सीरम जाने का मतलब ही साइलेंट चेतावनी थी कि जैसा चल रहा है, चलने दो वर्ना न सिर्फ नौकरी जायेगी बल्कि जीवन भी बर्बाद कर दूंगा. (अब बेचारे दो कोड़ी के किसी वैज्ञानिक या डॉक्टर की हिम्मत कहां जो मोदीजी की अवहेलना करे). क्योंकि भारत की जनता तो मोदीजी की नजर में वैसे भी गिनीपिग है, सो कुछ हजार या कई लाख लोग मर भी जायेंगे तो क्या फर्क पड़ने वाला है ! वैसे सबसे बड़ा सवाल ये भी है कि अगर वैक्सीन सफल और सुरक्षित है तो अचानक इसका तीसरी स्टेज ट्रायल को लास्ट में (अक्टूबर में) रोका क्यों गया ?

याद रखियेगा कि सीरम ने 1600 प्रतिभागियों पर तीसरे चरण का ट्रायल किया था मगर चौथे और पांचवेंं चरण का ट्रायल कहीं पर भी नहीं हुआ. और अब आपको गिनीपिग की तरह इस्तेमाल कर इसका चौथे चरण का ट्रायल किया जायेगा. इसके लिये 4 करोड़ खुराक का निर्माण भी हो चुका है.

जनवरी से पांचवें चरण का ट्रायल शुरू करने के लिये इसका प्रोडक्शन बढ़ा दिया जायेगा ताकि जरूरत के मुताबिक जून तक 50-60 करोड़ खुराक तैयार रहे मगर इसे ट्रायल के रूप में नहीं दिखाया जायेगा बल्कि वैक्सीन लॉन्चिंग के रूप में दिखाया जायेगा क्योंकि मोदीजी अच्छे से जानते है कि भारत की जनता भेड़चाल मानसिकता की है.

दूरगामी परिणामो पर विचार करने वाले कम होंगे जिसे आईटी सेल से उलझा दिया जायेगा और ज्यादातर लोग भेड़चाल की तरह वैक्सीन लगवाने को आतुर रहेंगे. (बाद में दो साल बाद पता चलेगा कि वैक्सीन फेल हो गयी है और प्रभाव नहीं दिखा पा रही है लेकिन तब तक लोकसभा चुनाव हो जायेगा और हो सकता है कि वैक्सीन एक बड़ा मुद्दा बने लोकसभा चुनाव में).

वैक्सीन के साईड इफेक्ट्स

  • याददाश्त कमजोर होना
  • न्यूरोलॉजिकल समस्याये
  • साइकोलॉजिकल समस्याये
  • विटामिन डी की कमी
  • विटामिन B12 की कमी
  • बोलने की और सुनने की क्षमता प्रभावित
  • लगातार सिरदर्द
  • चिड़चिड़ापन
  • लोगो को पहचानने की क्षमता पर असर

इसके अलावा अन्य और भी कई तरह के साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं. ये तो सिर्फ वो है जो अक्टूबर में पूर्ण हुए तीसरे चरण के ट्रायल में 1600 प्रतिभागियों ने भुगते हैं. सो वैक्सीन लगवाने को आतुर लोग सिर्फ अपनी जिम्मेदारी पर ही लगवाये, सरकार के भरोसे नहीं.

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ROHIT SHARMA

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