दिल्ली दूर है
तुम खून बहाओ
या पसीने
दिल्ली दूर है
तुम्हारे लिए
उसे न खून की जरूरत है
न अब तुम्हारे पसीने की
उसे जो मिलना था, मिल गया
जहां पहुंचना था, पहुंच गया
अब तुम्हें
जहां ज्यादा दाम मिले
तुम आजाद हो
खरीदने बिकने
जमा करने के लिए
तुम्हारे रास्ते तुम्हारे स्वागत में
न फूल बिछे हैं, न गलीचे
हर नाका पर बैरीकेड्स हैं
तुम्हारे पीने के लिए
कोई पियाऊ खोल नहीं रखे
वाटर कैनन की बौछारें हैं
जितना पीना है पी लो
इस पंद्रह डिग्री सेंटीग्रेड में
जितना नहाना है, नहा लो
तुम्हारी सलामी में
बंदूकें दगे न दगे
अश्रुगैस के गोले
जरूर दग रहे हैं
तुम्हारे तार कहां कहां जुड़े हैं
किसके कहे तुम इतना कूद रहे हो
सब मालूम है
किसान की आड़ मे कितने
आढ़ती – दलाल आतंकी खालिस्तानी
घुस आये हैं, इसकी पक्की सूचना है
डांगरों की तरह बेलगाम न हो जाओ
दिल्ली के हर प्रवेश द्वार पर
वज्रवाहनों की पूरी तैनाती है
मुकाबले के लिए कुरुक्षेत्र
पानीपत के मैदान तैयार हैं
गेंद तुम्हारे पाले है
अश्वमेध के तीन घोड़े
जो तुम पकड़ रखे हो
छोड़ दो
बिना खून खराबा
अश्वमेध यज्ञ के अश्वों को आगे बढ़ने दो
याद रहे, सिंहासन पर
कोई लल्लू पच्चू नहीं
जगत विख्यात एक चक्रवर्ती
हिंदू हृदय सम्राट की ताजा ताजपोशी है
जो कुछ करने के पहले जरूरी नहीं
तुम्हारी राय ले, तुमसे सलाह मशविरा करे
- राम प्रसाद यादव
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]