पीओके पर हमला याद है आपको ? कुछ दिन पहले की ही बात है. सेना ने थोड़ी देर बाद भारत की बिकाऊ मीडिया की खबरों को रद्दी बताया था. अब एक और रद्दी खबर का खुलासा कर रहा हूं. पिछले दिनों खबर आई थी कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध और तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन सेना पीछे ले जाएंगे.
असल में ये झूठी खबर जान-बूझकर इमेज चमकाने के लिए छपवाई गई थी. किसकी इमेज ? आप जानते हैं.
सच्चाई यह है कि न चीनी सेना और न ही भारतीय सेना एक इंच पीछे हटी है. उल्टे चीन ने बॉर्डर पर फाइबर ऑप्टिक्स केबल बिछाना शुरू कर दिया है. उसने उत्तराखंड, हिमाचल और सिक्किम बॉर्डर पर फ़ौजें बढ़ा दी हैं. चीन के आगे मोदी का भारत लगातार कमज़ोर होता जा रहा है. भूटान ने अपनी सीमा में किसी चीनी गांव के होने से इनकार किया है, ठीक उसी तरह जैसे नेपाल ने हुमला में 9 चीनी भवनों के होने से इनकार कर दिया था.
ये कौन नहीं जानता कि नेपाल अभी चीन की मज़बूत पकड़ में है. कल भूटान की बारी आ सकती है. चीन ने तो भूटान के सकतेंग अभ्यारण्य पर भी दावा ठोक दिया है, क्योंकि उसे सड़क बनानी है. मीडिया और सरकार के झूठ और दुष्प्रचार के आगे अक्सर सच्चाई गुम हो जाती है.
2013 में चीन की सेना देपसांग में भारत की सीमा में 19 किलोमीटर अंदर घुस आई थी. तब मनमोहन सरकार के गृह मंत्री ने संसद में इस सच्चाई को माना था. लेकिन यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि पीछे हटने की सौदेबाज़ी में चीन ने चुमार सेक्टर में भारतीय सर्विलांस उपकरणों को हटवा लिया. इस साल अप्रैल की घुसपैठ से पहले की रिहर्सल 2013 में ही हो गई थी. चौकीदार को यह समझ नहीं आया.
उसने चीनी राष्ट्रपति को झूला झुलवाया. फिलहाल यह समझा जा रहा है कि भारत और चीन दोनों पूर्वी लद्दाख में एक बफर ज़ोन बनाने पर राजी हो गए हैं, जिसके आगे दोनों देशों की सेनाएं गश्त नहीं कर सकेंगी. इससे मोदी को संसद में अपनी ग़लती छिपाने और यह कहने का मौका रहेगा कि भारत ने अपनी कोई ज़मीन चीन को नहीं दी है.
मगर, असल बात यही है इस बफर जोन का मतलब यही होगा कि चीन अपनी सरहद को आगे बढ़ाने में सफल हो गया और हम बिना विरोध के अपनी ज़मीन दुश्मन के हाथ तोहफ़े में दे आए. सैकड़ों वर्षों से हिमालय भारत की सुरक्षा कर रहा है, आज वही हिमालय हमारे हाथों से निकलता दिख रहा है और हमारा चौकीदार अवाम को धर्म की अफ़ीम पिलाकर तोते खिला रहा है.
- सौमित्र राय
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