जश्न ए चिराग
जब सूरज डूब जाएगा
और चांद जब कहीं नहीं होगा आसपास
तुम्हें पूरी छूट होगी
जश्न ए चिराग मनाने की
जब गुमास्ता आएगा
और पूछेगा
क्यों गैरहाजिर है चांद
कह दूंगा अभी क्वारेंटाइन में है
प्रवास से अभी अभी लौटा है
जश्न ए चिराग हो और पटाखे न फूटे
कैसे हो सकता है
सदियों की परंपरा
मिनटों में कैसे टूट सकती है
विगत कई सालों से
अदब से यह छेड़छाड़
नाकाबिले बर्दाश्त है
और उस पर यह कुफ्र
फैसला
लानत है ऐसी अदालत पर
- राम प्रसाद यादव
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