रोहिणी सिंह
अमित शाह के ‘यशस्वी’ बेटे जय शाह ने मात्र 50 हजार की पूंजी लगाकर 15 करोड़ का लोन हासिल किया और महज एक साल के अन्दर 80 करोड़ रूपये कमा लिये. इस बात की खबर जब ‘द वायर’ वेबसाईट को लगी, तब उसने इसे देश के तमाम व्यवसायियों के हित में प्रकाशित किया. इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने वाली वेबसाईट ‘द वायर’ पर अमित शाह से पहले भारत सरकार के केन्द्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल, जो संभवतः अमित शाह के बेटे जय शाह की कम्पनी के ‘सीए’ भी हैं, ने बजाब्ता प्रेस काॅम्फ्रेस आयोजित कर 100 करोड़ रूपये की मानहानि का दावा ‘द वायर’ के सम्पादक और रिपोर्ट को लिखने वाली रोहिणी सिंह पर कोर्ट में करने की धमकी दे डाली. बाद में अमित शाह ने अपने यशस्वी बेटे की इस कमाई को ‘पूरी तरह वैध और किसी भी प्रकार की भ्रष्टाचार से दूर’ बताया. अब सारा देश यह जानना चाहता है कि आखिर वह कौन-सी तकनीक है जिसके सहारे जय शाह ने 50 हजार के पूंजी लगाकर एक साल के अन्दर 80 करोड़ अर्थात्, पूरे 16 हजार गुना कमाई कर ली. बजाय इस तकनीक को सार्वजनिक करने के 100 करोड़ की आपराधिक मानहानि का न केवल दावा ही कर दिया बल्कि यह भी कहा कि ‘जो कोई भी इस रिपोर्ट को प्रकाशित करेगा उस पर भी यह आपराधिक मानहानि का दावा किया जायेगा.’ जब यह कमाई पूरी तरह वैध और भ्रष्टाचार मुक्त है, तब अमित शाह को 100 करोड़ रूपये के आपराधिक मानहानि का दावा क्यों करना पड़ा ? ‘द वायर’ के लिए रिपोर्ट लिखने वाली रिपोर्टर रोहिणी सिंह को लगातार धमकियां क्यों मिल रही है ? सोशल मीडिया पर उनके चरित्र हनन की भी काशिश क्यों की जा रही है ? अनर्गल आरोप भाजपा के साईबर गुण्डों के ओर से क्यों लगाये जा रहे हैं ? जिस कारण रोहिणी सिंह को लगातार अपना ठिकाना बदलना पड़ रहा है.
गौरी लंकेश
भारत के मौजूदा मोदी सरकार के काल में बुद्धिजीवियों और पत्रकारों पर हमले जिस तेजी से बढ़े हैं, वह बेहद ही चिंताजनक है. बकौल रोहिणी सिंह, ‘‘उन्होंने 2011 में राॅबर्ट वाड्रा पर भी ऐसा ही खुलासा किया था लेकिन जैसी प्रतिक्रिया अभी मिल रही है, तरह-तरह से धमकियां दी जा रही है, ऐसा तब उन्हें नहीं करना पड़ा था.’’ साफ तौर पर कहा जा सकता है कि भाजपा अमित शाह के बेटे को ही क्यों, किसी भी भ्रष्ट भाजपाईयों को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. भाजपा के पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिंहा ने केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल को निशाने पर लेते हुए कहा कि ‘‘ऐसा लगता है कि वह कम्पनी के सीए के तौर पर सामने आये हैं. भ्रष्टाचार पर जीरो टाॅलेरेंस की बात कहने वाली भाजपा नैतिक आधार खो चुकी है. जिस तरह एडिशनल साॅलीसाॅटर मुकदमा की पैरवी करने जा रहे हैं, ऐसा कभी नहीं हुआ था.’’
मौजूदा हालात में एक चीज तो स्पष्ट हो गई है कि जो कोई संस्था या व्यक्ति भाजपा के भ्रष्टाचार को उजागर करता है, भाजपा के तमाम नेता सहित मोदी सरकार और उसकी गुंडा वाहिनी आईटी सेल वाले उस संस्था या व्यक्ति के खिलाफ तमाम तरह की आपराधिक गतिविधियों में लग जाते हैं. चाहे वह दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा और शहीद सैनिक की पुत्री गुलमेहर हो अथवा जनवादी पत्रकार रविश कुमार हो. भाजपा अपनी पूरी संगठित ताकत से उस पर टुट पड़ती है. भाजपा के झूठों को लगातार पर्दाफाश करने वाली कलबुर्गी, गौरी लंकेश जैसे प्रतिष्ठित पत्रकारों व बुद्धिजीवियों की हत्या इसी कड़ी का आगे बढ़ा हुआ कदम है. भ्रष्टाचार को उजागर करने पर मोदी सहित भाजपा की बौखलाहट यह साबित करती है, भाजपा पूरी तरह से आकंठ भ्रष्टाचार व आपराधिक गतिविधियों में डुबी हुई है.
डैफनी कैरूआना गालिजिया
सच्चाई से घबराने वाली अराजक भ्रष्ट ताकतों का बोलबाला केवल भारत में ही सीमित नहीं है. यह दुनिया भर में चल रहा है. चाहे वह विकिलिक्स के संस्थापक जुलियस असांजे पर अमरीकी सरकार का हमला हो, जिसने दुनिया भर में तहलका मचा दिया था और अमरीका के काले कारनामों को दुनिया के सामने उजागर कर दिया था. जुलियस असांजे खुशकिस्मत थे कि उन्होंने दूसरे देश में शरण लेकर अपनी जान बचा ली परन्तु पनामा पेपर्स लीक मामले में दुनिया भर के भ्रष्ट काॅरपोरेट लोगों की सूची जाहिर करने वाली महिला पत्रकार डैफनी कैरूआना गालिजिया, जो माल्टा से थी, इतनी खुशकिस्मत नहीं थी. इस शानदार निर्भीक महिला की हत्या कार में बम लगाकर कर बीते दिनों कर दी गई. डैफनी कैरूआना गालिजिया ने पनामा पेपरर्स लीक कर दुनिया को अनेक भ्रष्ट ताकतवर लोगों के निशाने पर आ गई थी. इसमें भारत से ही अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्य राय, अजय देवगन, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के बेटे अभिषेक सिंह, इंडिया बुल्स के समीर गहलोत, गौतम अदानी के भाई विनोद अदानी, पश्चिम बंगाल के नेता शिशिर बजोरिया, दिल्ली लोकसत्ता पार्टी के पूर्व नेता अनुराग केजरीवाल, दिवंगत इकवाल मिर्ची, गड़वारे परिवार के अशोक गड़वारे, आदित्य गड़वारे और सुषमा गड़वारे, अपोलो ग्रुप के चेयरमैन ओंकार कंवर, भारत के साॅलिसिटर जनरल रह चुके हरीष साल्वे, पूर्व अर्टानी जनरल सोली सोराबजी के पुत्र व बाॅम्बे हाॅस्पिटल में डाॅक्टर जहांगीर एस सोराबजी, इंडो रामा सिंथेटिक्स के चेयरमैन मोहन लाल लोहिया, अरबपति सायरस पूनावाला के भाई जावेरे पूनावाला, पूर्व विधायक अनिल वासुदेव सालगाउकर, अमलगमेंशंस ग्रुप के चेयरमैन की दिवंगत पत्नी इंदिरा सिवासेलम और उनकी बेटी मल्लिका श्रीनिवासन, काॅटेज इंडस्ट्रीज एक्सपोजीशन (सीआईई) के फाउंडर व सीईओ अब्दुल राशिद मीर व उनकी पत्नी तबस्सुम, डीएलसफ के कुशल पाल सिंह और परिवार के नौ सदस्य, मेहरासंस ज्वैलर्स अश्वनी कुमार मेहरा और परिवार के नौ सदस्य, वरिष्ठ पत्रकार करण थापर का नाम पनामा पेपरर्स लीक में सामने आये हैं, जिन्होंने कथित तौर पर कर चोरी और धन को दूसरे देशों में छिपाने का प्रयास किया है.
भारत में भाजपा सरकार ने इसकी जांच को सिरे से नकार दिया और इस प्रकार भ्रष्टाचार पर अपनी ‘जीरो टाॅलरेंस’ वाली नीति का न केवल प्रदर्शन ही किया बल्कि भाजपा के झूठ व भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले व्यक्ति व संस्था पर मानसिक और शारीरिक हमले भी बढ़ा दिया. ‘द वायर’ वेबसाईट पर किया गया 100 करोड़ के मानहानि के आपराधिक मुकदमे को इसी तरह से देखा जाना चाहिए और ‘द वायर’ के सम्पादक और रिपोर्ट रोहिणी सिंह के न झुकने की शानदार साहसिक कदम की न केवल सराहना ही की जानी चाहिए वरन् उनके पक्ष में जोरदार आवाज भी देश के तमाम जागरूक लोगों को उठाना चाहिए.
आज बुद्धिजीवियों की लगातार हत्याओं व प्रताड़ना के दौर में एक चीज जो स्पष्ट होती दीख रही है, वह यह है कि तमाम बड़े मीडिया प्रतिष्ठान दलाल की भूमिका में आ गये हैं और आशा के विपरीत छोटी मीडिया व छोटी वेबसाईट्स और सोशल मीडिया ही इस दौर में सशक्त आवाज बनकर उभरा है. ‘द वायर’ जैसी छोटी वेबसाईट के इस आवाज को सलाम !
S. Chatterjee
October 19, 2017 at 4:32 am
दियों ने मोर्चा संभाला है सूरज डूबने के बाद
ऐ फ़लक हम तुझे तारीक़ न होने देंगे।