मेक्सिको की संसद में एक सदस्य ने ऊर्जा के निजीकरण के ऐतिहासिक विधेयक पर रात भर चली बहस के दौरान सदन में इसका विरोध करते हुए अपने सारे कपड़े उतार दिये थे. यह बात 12 दिसम्बर, 2013 की है.
इस सांसद का नाम था एन्टोनियो गार्सिया कोनेजो और वे लेफ़्टिस्ट डेमोक्रेटिक रिवॉल्यूशन पार्टी के नेता थे. मतदान से पहले बिल के विरोध में बोलते हुए कोनेजो ने एक-एक कर अपने सारे कपड़े उतार दिये. उनके शरीर पर अब केवल एक अंडरवियर बच गया था.
मेक्सिको अमेरिका को सर्वाधिक कच्चा तेल निर्यात करने वाले पांच देशों में से एक था और वह प्रतिदिन 1 मिलियन बैरल से अधिक तेल निर्यात करता था. ऊर्जा बिल के विरोधियों का कहना था कि इस नये बिल के पारित होने के बाद मेक्सिको के तेल भंडार पर एक बार फिर से बहुराष्ट्रीय कंपनियों, विशेष रूप से अमेरिका का एकाधिकार स्थापित हो जायेगा, जैसा 1938 से पहले हुआ करता था.
वामपंथी सांसदों ने बिल पर चर्चा को रोकने के लिये पहले सदन के मुख्य कक्ष के प्रवेश द्वार को कुर्सियों और मेज़ों से अवरुद्ध करने का प्रयास किया. जब बहस को दूसरे कमरे में ले जाया गया, तब उन्होंने इस चर्चा को अगले 20 घंटों तक खींचा, ताकि पूर्ण बहुमत वाली सरकार को यह बिल पारित करने से रोका जा सके.
निजीकरण के विरूद्ध सांसद एन्टोनियो गार्सिया कोनेजो
वे मेक्सिको के झंडे को लहराते हुए लगातार सदन में नारे लगा रहे थे : ‘हमारा देश बिक्री के लिये नहीं है ! हमारे देश को बचाया जाना चाहिये !’ सदन की कार्यवाही ने एक अजीब मोड़ ले लिया जब सुबह होने से ठीक पहले गार्सिया कोनेजो अपना विरोध जताने के लिये पोडियम पर आये. उन्होंने अपना सूट और टाई फाड़ कर फेंक दिया और बोलना शुरू किया –
‘… आपको मुझे इस तरह नग्न देख कर शर्म आती है, लेकिन आपको अपने ही देशवासियों को सड़कों पर नग्न, नंगे पैर, हताश, बेरोज़गार और भूखे-प्यासे देख कर शर्म क्यों नहीं आती ? आपने उनके सारे पैसे और धन की चोरी की है … आपने उनको नंगा कर दिया है…’
यह बिल 134 के मुक़ाबले 353 मतों से पारित हो गया था, और इसने मेक्सिको की इन्स्टीट्यूशनल रिवॉल्यूशनरी पार्टी की सरकार को 1938 के बाद पहली बार यह अधिकार दे दिया था कि वह विदेशी और देशी निजी कंपनियों को मेक्सिको के तेल एवं गैस भंडारों की खोज और विस्तार का लाइसेंस प्रदान कर सकती थी, जिसे मेक्सिको के संविधान ने प्रतिबंधित कर रखा था.
तेल और गैस के प्राकृतिक भंडारों के निजीकरण का आगे चल कर मेक्सिको की अर्थव्यवस्था पर कैसा प्रभाव पड़ा, इस पर बहस हो सकती है, पर वामपंथी सांसदों और गार्सिया कोनेजो के उस साहसिक विरोध ने जनता के पक्ष में संघर्ष की एक नयी और अमिट इबारत लिख दी थी, इसको लेकर कोई सन्देह नहीं है.
आज भारत में भी सरकार प्रचंड बहुमत के ज़ोर पर एक से बढ़ कर एक जनविरोधी कानून संसद में पारित कराती जा रही है, पर विपक्ष विरोध के नाम पर केवल टोकेनिज़्म और रस्मअदायगी करता हुआ ही दिखायी पड़ता है.
- राजेश चन्द्र
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