गिरीश मालवीय
मुंबई पुलिस प्रेस कांफ्रेन्स कर बता रही है कि रिपब्लिक टीवी फर्जीवाड़ा कर टीआरपी में आगे निकल रहा था. रिपब्लिक पैसा देकर टीआरपी को मैन्युपुलेट करने का काम कर रहा था, पुलिस के अनुसार लोगों को अपने घरों में किसी विशेष चैनल को अपने टीवी पर लगाने के लिए क़रीब 400-500 रुपए हर महीने दिए जाते थे.
उसका यह फर्जीवाड़ा आज पकड़ा गया है. कुछ लोगों को यह खबर सुनकर जरूर आश्चर्य हुआ होगा लेकिन मुझे बिल्कुल आश्चर्य नहीं हुआ. मुंबई पुलिस रिपब्लिक टीवी और सोशल मीडिया के फर्जीवाड़े के पीछे बहुत पहले से पड़ी हुई थी.
मुंबई पुलिस ने कुछ महीने पहले ऐसा ही एक केस दर्ज किया था जिसमें मुंबई पुलिस ने एक कंपनी के प्रमुख को गिरफ्तार किया था. उसकी कम्पनी फेक व्यूज, लाइक्स, कमेंट्स, सब्सक्राइबर्स और शेयर्स सोशल मीडिया पर उपलब्ध कराती है. दरअसल सिंगर भूमि त्रिवेदी ने जुलाई, 2020 में मुंबई पुलिस से संपर्क कर एक फर्जी इंस्टाग्राम अकाउंट बनाए जाने के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. इस केस में मुंबई पुलिस ने 16 जुलाई को एक बड़े इंटरनेशनल रैकेट का खुलासा किया.
पुलिस ने बताया कि सोशल मीडिया मार्केटिंग कंपनियां फर्जी प्रोफाइल बनाकर उसे ऑपरेट कर रही हैं. एक आदमी को भी उन्होंने गिरफ्तार किया था, जो कथित तौर पर फीस लेकर इंस्टाग्राम यूजर्स को फर्जी फॉलोअर मुहैया कराता है. वही से ये सारी कड़ियां जुड़नी शुरू हुई थी.
मुंबई पुलिस ने भारत में काम करने वाली ऐसी 54 कंपनियों का पता लगाया था, जो फर्जी प्रोफाइल और फर्जी पहचान बनाने में शामिल हैं. ऐसा वो मैनुअल या बॉट्स नाम के एक सॉफ्टवेयर की मदद से करते हैं. गिरफ्तार व्यक्ति से की गई पूछताछ में ये पता चला कि उसने कम से कम 176 अकाउंट्स के लिए 5 लाख फर्जी प्रोफाइल मुहैया कराए थे.
मुंबई पुलिस ने यह भी खुलासा किया था कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद ऐसे करीब 80 हजार से ज्यादा अलग-अलग मंचों पर फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स बनाए गए. साइबर सेल यूनिट ने पाया कि पोस्ट्स को सोशल मीडिया के मंचों पर दुनिया के विभिन्न देशों जैसे- इटली, जापान, पोलैंड, स्लोवेनिया, इंडोनेशिया, तुर्की, थाईलैंड, रोमानिया और फ्रांस से पोस्ट किए गया. इन सभी पोस्ट में अधिकतर हैशटैग- #justiceforsushant #sushantsinghrajput और #SSR इस्तेमाल किया गया.
सुशान्त सिंह केस को खास तौर पर सुसाइड के बजाए मर्डर के रूप में सोशल मीडिया पर चलाया गया. सोशल मीडिया पर फैलाया जाने वाला यह कंटेंट बिल्कुल निराधार मर्डर थ्योरीज को प्रमोट कर रहा था. उन्हें सुसाइड थ्योरी से कहीं ज्यादा ट्रैक्शन मिला.
मिशिगन यूनिवर्सिटी में एक एसोसिएट प्रोफेसर के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने यह स्टडी की. इसमें रिसर्च टीम ने करीब 7,000 यूट्यूब वीडियोज और 10,000 ट्वीट्स का विश्लेषण किया, जो करीब 2,000 पत्रकारों और मीडिया हाउसेज और 1,200 राजनेताओं से जुड़े थे. ये सारे ट्वीट, वीडियो और पोस्ट SSR केस में नेरेटिव को सुसाइड से मर्डर में बदलने में अहम रहे.
दरअसल जिस तरह से हमारे सामाजिक जीवन को रिपब्लिक जैसे चैनल और सोशल मीडिया के इन एकॉउंट के द्वारा बदलने का प्रयास किया जा रहा है, उस पर ठिठक कर एक नजर डालने की जरूरत है.
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