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अंतरराष्ट्रीय साज़िश

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एक अंतरराष्ट्रीय साज़िश के तहत
उस बच्चे ने कहा था
अपनी मांं से
मरने से पहले
एक रोटी दे दो मांं
मुझे बहुत भूख लगी है

वह कितनी बड़ी अंतरराष्ट्रीय साज़िश थी
जब एक युवक ने कहा
मुझे वर्षों से नौकरी नहीं मिल रही है
जीने का कोई अर्थ नहीं बचा
अब मैं आत्महत्या कर लेना चाहता हूंं

वह तो सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय साज़िश थी
जब किसानों की आत्महत्या
के पीछे भी
पाकिस्तान का हाथ होने की ख़बर आई

क्या आपने कभी सोचा था
इतनी तादाद में कभी अन्नदाता मरते
हैं किसी मुल्क में ?

जब एक लड़की ने कहा
मेरा बलात्कार हुआ है
पुलिस थाने में रिपोर्ट भी दर्ज़ नहीं कर रही है
आप खु़द सोच सकते हैं
एक मुल्क को बदनाम करने की
इससे बड़ी अंतरराष्ट्रीय साज़िश
और क्या हो सकती है ?

जब एक ग़रीब आदमी ने कहा
कंपनी वाले ने नौकरी से निकाल दिया है उसे
बिना किसी विदेशी फंडिंग के
यह बात नहीं कही जा सकती है

मुझे लगता है
इस समय देश में
वाकई हर जगह
अंतरराष्ट्रीय साज़िश रची जा रही है

जब एक आदमी कहता है
मैं अस्पताल में 4 घंटे से लाइन में लगा हूंं और
डॉक्टर नहीं है
वे हड़ताल पर हैं

मुझे लगता है
बिना किसी अंतरराष्ट्रीय साज़िश के
कोई आदमी यह बात कैसे कह सकता है

इस अंतरराष्ट्रीय साज़िश से
प्रधानमंत्री भी बहुत परेशान हैं
बहुत परेशान हैं हमारे मुख्यमंत्री
उससे भी ज़्यादा परेशान हैं
पुलिस महानिदेशक
उस से अधिक डीएम साहब
और अख़बार नवीस तो और भी परेशान हैं,
वे चाहते हैं
हर कीमत पर इस साज़िश का पर्दाफाश हो

मुझे लगता है
अब कोई साज़िश इस मुल्क में नहीं बची है
जो अंतरराष्ट्रीय न हो
भूमंडलीकरण के दौर में
स्थानीयता से ऊब गए थे हम
बिना अंतरराष्ट्रीय हुए
अब जीवन में कहांं कुछ संभव है
एक अंतरराष्ट्रीय प्रधानमंत्री ही इस देश को
बेचकर एक मुल्क को बचा सकता है

  • विमल कुमार

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ROHIT SHARMA

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