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नकारा सुप्रीम कोर्ट का हाथरस पर अट्टहास

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पुरानी कहावत है निर्लज्ज को लज्जा नहीं आती. परन्तु यह कहावत 21वीं सदी में बदल गई. अब यह कहा जाता है, भाजपाई को लज्जा नहीं आती. सुप्रीम कोर्ट के कुख्यात जज अरुण मिश्रा ने बलात्कारी और हत्यारों के सरगना नरेन्द्र मोदी की खुली सभा में तारीफ कर यह जता दिया कि मोदी का चारणगान करने वाली सुप्रीम कोर्ट का जज भी अब निर्लज्ज हो गया है.

लॉकडाऊन के दौरान भूखे-प्यासे भाग रहे करोड़ों प्रवासी मजदूरों की पीड़ा का आनन्द लेते सुप्रीम कोर्ट ने मजदूरों की ओर से दाखिल याचिका को खारिज कर रेल की पटरी के नीचे कुचल दिये गये मजदूरों की मौत पर जश्न मनाया, तो वहीं सुप्रीम कोर्ट के सबसे कुख्यात जज अरुण मिश्रा ने दिल्ली के हजारों झुग्गियों को उजारने और फिर कभी दुबारा कहीं भी सुनवाई न करने देने का ‘ऐतिहासिक’ फैसला देकर अपनी दानवीय चेहरा पेश किया. तो वहीं प्रशांत भूषण के बहाने भाजपा नेता के लाखों की बाईक पर बैठकर मोदीभक्ती से सराबोर अपना काला चेहरा दुनिया के सामने दिखा कर नाम कमाया.

कॉरपोरेटपरस्त मोदी सरकार की हिफाजत के लिए सुप्रीम कोर्ट देश के लाखों मजदूरों, किसानों, औरतों के खून से अपना चेहरा रंग रही है. तथाकथित न्याय की आखिर उम्मीद सुप्रीम कोर्ट अब दलालों, गुंडों और बलात्कारियों को बचाने का शरणस्थली बन गया है. देश का यह संविधान अब उसके पैर की जूती बन गई है.

आईएएस अधिकारियों की मीटींग को सम्बोधित करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने यह बताया कि किस तरह आज लोकतंत्र की परिभाषा को बदला जा रहा है. लोकतंत्र की स्थापित परिभाषा, ‘जनता के लिए, जनता के द्वारा, जनता का शासन’ को बदल कर अब ‘कॉरपोरेट के लिए, कॉरपोरेट के द्वारा, कॉरपोरेट का शासन’ कर दिया गया है. अब सुप्रीम कोर्ट भी लोकतंत्र की इसी नई परिभाषा का अनुसरण कर रहा है ताकि रिटायरमेंट के बाद अंबानी-अदानी या किसी कॉरपोरेट घरानों की नौकरी की जा सके.

सुप्रीम कोर्ट खुलेआम देश की जनता के खिलाफ खड़ी हो गई है, ठीक उसी तरह जैसे पुलिसिया तंत्र देश की जनता के खिलाफ खड़ी होकर आम जनता पर लाठी-गोली चला रही है. देश के लोकतंत्र के लिए लड़ रहे सैकड़ों की तादाद में सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, लेखकों यहां तक की गर्भवती महिला तक को पुलिस जेल भेज रही है तो वहीं सुप्रीम कोर्ट उन्हें निकलने नहीं दे रही है. जेल में ही मार डालने की हर कोशिश का समर्थन कर रही है.

और अब हाथरस में एक दलित युवती के साथ बलात्कार, उसकी हत्या के बाद पुलिसिया दविश देकर मोदी-योगी के सीधे आदेश पर आधी रात को लाश जला डालने वाली मोदी-योगी की जनता के आक्रोश का निशाना बनी मोदी-योगी की सरकार को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट खड़ी हो गई है.

 

 

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