चौहत्तर साल पुरानी लाश के
पैर के अंगूठे में
जो टैग लटक रहा है
उस पर लिखा नंबर
अब मिट गया है
करोड़ों बार
जब भी
जहांं भी
कोई कटा है
पुराने नंबर को मिटा कर
नया नंबर लिखने का रिवाज
बेमानी हो गया है अब
वैसे भी
एक छोटे से तिरंगे टुकड़े पर
कितने नंबर लिख सकते हैं आप
यह कोई
विश्व की सबसे मोटी किताब तो नहीं
कि, जब चाहा
एक पन्ने के हाशिए पर
लिख दिया एक संशोधित वाक्य
इसलिए
आंंकड़े नहीं हैं
आदमी की
आंंकड़ों में उतक्रमित होने का इतिहास
बहुत पुराना है
इतिहास की बड़ी-बड़ी लड़ाइयांं
अब मृतकों के आंंकड़े ही तो हैं
बीती शाम जब
अपने सारे कंचे हारकर
समय, द्युत क्रीड़ा से
धर्मराज जैसा
वनवास के लिए सज्जा बदल रहा था
मैंने कोशिश की थी
आसमान की आंंखों में
आंंसुओं के कणों को गिनने की
असफल रहा
आंंकड़े
रोशनी की बर्छियों की नोक से
बिंधे हुए थे
गिनती असंभव थी
पृथ्वी पर
ढोर बकरियों के साथ
इंसान की लाशों को
किनारे लगा रही थी बाढ़
मैंने सोचा
मरे तारों की न सही
मरते हुए तारों की गिनती तो हो
फिर मालूम पड़ा कि
पाँच किलो के बटखरे पर
भारसाम्य स्थापित करने के लिए
कट रहे हैं करोड़ों शिवि
गिद्ध की भूख में
कितनी सांंसों का अवदान है
गिनेगा कौन ?
- सुब्रतो चटर्जी
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