Home गेस्ट ब्लॉग भीमा कोरेगांव का केस दलितों के खिलाफ साजिश है

भीमा कोरेगांव का केस दलितों के खिलाफ साजिश है

2 second read
0
0
620

भीमा कोरेगांव का केस दलितों के खिलाफ साजिश हैभीमा कोरेगांव सरकारी साजिश के कारण जेल में बंद 12 लोगों के समर्थन के लिए मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल ने आज वेबीनार का आयोजन किया, जिसमें देश भर से 496 लोग जूम से और सैकड़ों लोग जुड़े. ज़ूम एप की क्षमता आमतौर पर 100 लोगों की ही होती है, लेकिन इस मामले से लोगों के जुड़ाव गुस्से को इस बात से समझा जा सकता है. तय समय 4 बजे से 2 मिनट पहले ही शामिल होने वालों की संख्या 100 पर पहुंच गई, जबकि वक्ता अभी मीटिंग ज्वाइन नहीं कर सके थे. तुरंत तकनीकी विशेषज्ञों की मदद ली गई, जिन्होंने 20 मिनट में ज़ूम की क्षमता 500 लोगों तक बढ़ा ली. बेशक ये शुरुआती 20 मिनट अफरातफरी के थे, लेकिन जैसे ही क्षमता बढ़ाई गई ऐसा लगा जैसे बंद कमरे का दरवाजा अचानक खुल गया हो, 2-3 सेकंड के अंदर 250 लोग अचानक बढ़ गए, उसके अगले 15 मिनट में कुल संख्या 496 हो गई.

पहले सत्र की शुरुआत मुंबई के यलगार सांस्कृतिक टीम और छत्तीसगढ़ के रेला टीम के जनवादी गीतों से हुई. शुरुआत करते हुए पीयूसीएल की सचिव कविता श्रीवास्तव ने कहा कि बेहद विपरीत परिस्थतियों में जेल काट रहे इन राजनीतिक बंदियों की हिम्मत को सलाम करते हैं, साथ ही इनकी हिम्मत ऐसे ही बनी रहे, इसके लिए हमें बाहर उनके लिए आवाज उठानी होगी.

पहली वक्ता के तौर पर सुधा भारद्वाज की बेटी मायेशा ने सुधा की शारीरिक स्थिति की बात करते हुए कहा कि जिस तरीके से हर बार उनकी बेल खारिज हो रही है, उसका न्याय व्यवस्था से विश्वास ही उठता का रहा है.

वर्नान गोंजाल्विस के बेटे सागर ने अपने पिता के बारे में बताते हुए कहा कि उनके पिता और मां उनके रोल मॉडल हैं, जिन्होंने सिखाया कि कमजोरों की आवाज़ बनना है. उन्होंने बताया कि उनके पिता जेल में भी लोगों को शिक्षित करने का काम कर रहे हैं, लोगों की जमानत की अर्जियां लिख रहे हैं, जो बाहर निकलकर हमें फोन करते हैं.

न्यूयार्क से आनंद तेलतुंबडे के दोस्त बाल मुरली नटराजन ने उनके अकादमिक क्षमता के बारे में बताते हुए कहा कि उनके साथ अन्याय हुआ है.

हाल ही में गिरफ्तार किए गए भीमा कोरेगांव के 12वें शिकार हेनी बाबू की पत्नी जेनी रोवाना ने बताया कि वो ओबीसी कैटेगिरी से आते हैं और विश्वविद्यालय और समाज को न्यायपूर्ण बनाने के लिए लड़ते भी हैं, उन्हें इसकी ही सजा मिली है. उन्होंने बताया कि उनके घर पड़े छापे से लेकर गिरफ्तारी तक पुलिस ने किसी भी नियम का पालन नहीं किया.

सागर, जेनी और गौतम नवलखा की पार्टनर सहबा हुसैन ने जेल के सिस्टम पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि मुलाकात बंद है और हफ्तों फोन करने पर एक बार बात होती है और फोन 5 मिनट में अपने आप कट जाता है. किताबें नहीं देने देते.

वेबिनार के दूसरे सत्र में बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट की वकील वृंदा ग्रोवर ने इस मुकदमे को फर्जी बताते हुए कहा कि यह केस स्वतंत्र जांच का विषय है, लेकिन न्याय व्यवस्था अपना काम नहीं कर रही. उन्होंने कहा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बिना हमारी नागरिकता पूरी नहीं होती, और इसे नकार कर सरकार हमारी नागरिकता नकारने की कोशिश कर रही है. यह संविधान और देश की जनता के खिलाफ की गई सरकारी साजिश है.

अगले वक्ता के रूप में बांबे हाई कोर्ट के जाने माने वकील और पीयूसीएल के उपाध्यक्ष मिहिर देसाई ने टर्की के वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता ऐब्रू टेम्टेक का उदाहरण रखा, जिनकी कल जेल में भूख हड़ताल के कारण मौत हो गई. टर्की सरकार ने उन पर और 12 अन्य वकीलों पर आतंकवादी संगठन से जुड़ने का आरोप लगाकर जेल में डाल दिया और उन्हें बिना सुने सजा भी सुना दी. ऐसे ही हालात यहां भी हैं, लेकिन हमें अपने लोगों की ऐसी हालत नहीं होने देना है. उन्होंने भीमा कोरेगांव के केस को विस्तार से समझते हुए कहा हमारी सरकार इन पर कानूनी और न्यायिक हिंसा कर रही है, हमें यह लड़ाई जितनी है और मिलिंद एकभोटे और संभा जी भेडे के खिलाफ दर्ज मुकदमे को भी लड़ना है.

भीमा कोरेगांव केस की तलवार जिन पर अब भी लटक रही है, उनमें से हिन्दू कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर पी के विजयन, जिन्हे एनआईए ने पूछताछ के लिए बुलाया है, ने अपने संक्षिप्त वक्तव्य में कहा इस केस के तीन पहलू हैं, कानूनी राजनीतिक और जन दृष्टिकोण. लोगों के परसेप्शन को बदला जा रहा है, और सबमें डर पैदा किया जा रहा है. हमें लोगों को धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों के लिए शिक्षित करना है.

रिपब्लिकन पैंथर से जुड़े इस केस में गिरफ्तार सुधीर धावले की साथी हर्षाली पोतदार ने उनके बारे में बताया कि वे 2006 में खैरलांजी घटना के समय से ही जाति विरोधी आंदोलनों से जुड़े रहे हैं, इसीलिए सरकार उन्हें बार बार निशाना बना रही है. रोहित वेमुला की संसाथानिक हत्या के खिलाफ उनके प्रयास से ही देश भर में आंदोलन हुए.

भीमा कोरेगांव केस में जेल में बंद नागपुर विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की प्रोफेसर शोमा सेन के पार्टनर तुषार कांति ने उनके बारे में बताया कि जमीनी स्तर पर काम करने के लिए ही वो मुंबई का अपना भरापुरा घर छोड़कर नागपुर आ गई थी. अकादमिक क्षेत्र में भी उन्होंने काफी काम किया और प्रतिष्ठा अर्जित की. इस सत्र का संचालन पीयूसीएल की संगठन सचिव लारा जेसानी ने किया.

तीसरे सत्र में प्रसिद्ध आरटीआई कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने रिकॉर्डेड वीडियो के माध्यम से जेल में बंद लोगों को अपना समर्थन दिया.

निखिल डे ने कहा सरकार संविधान के खिलाफ जा रही है और जो भी उसपर सवाल उठता है, उसे लेबल करने की उसकी पुरानी आदत है, इस बार यह लेबल ‘अर्बन नक्सल’ का है.
तमिलनाडु पीयूसीएल के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में संसद सदस्य रवि कुमार ने कहा भीमा कोरेगांव दलितों के खिलाफ एक साजिश है. यह उनकी वीरता और स्वाभिमान का सिंबल और उनका इतिहास मिटाने का सनातनी लोगों का प्रयास है. पहले भीमा कोरेगांव दलितों के स्वाभिमान का सिंबल था, अब इसका अपराधीकरण करके इसे देश तोड़ने वालों की साजिश से जोड़ दिया. यह सनातनी लोगों की साजिश है. हमें इस केस को दाभोलकर, कलबूर्गी, पंसारे और गौरी लंकेश की अगली कड़ी के रूप में ही देखना चाहिए. अब सनातनी लोग सत्ता में हैं, इसलिए वे कानून का इस्तेमाल दलितों की आवाज दबाने के लिए कर रहे हैं.

एनएपीएम की उल्का महाजन जो कि 1 जनवरी, 2018 के यलगार परिषद के आयोजन से जुड़ी थीं, ने बताया कि इस कार्यक्रम में कोई उकसाने वाली बात नहीं कही गई थी, देश के 250 संगठन इसमें शामिल थे, और हमारे नारे भी संविधान को बचाने वाले थे जबकि हिंदूवादी मिलिंद एकभोते और संभाजी भिडे लगातार इस आयोजन के खिलाफ उकसाऊ बात बोल रहे थे, तैयारी कर रहे थे.

भीमा कोरेगांव केस में जेल में बंद मुंबई के वकील और कार्टूनिस्ट अरुण फरेरा के संत जेवियर्स कॉलेज के शिक्षक फादर फ्रेजर ने उनके बारे में बताते हुए कहा कि अरुण और स्टेन स्वामी तो न्याय व्यवस्था को ठीक से लागू कराने वाले लोगों में है, ये लोग स्वतंत्रता सेनानी जैसे है, इनकी गिरफ्तारी देश की कानून व्यवस्था पर हमला है.

गौतम नवलखा की पार्टनर साहबा हुसैन ने उनके कामों के बारे में बात करते हुए न्याय व्यवस्था के साथ जेल व्यवस्था पर सवाल उठाया.

चौथा सत्र, जो कि कानून की बारीकियों पर केन्द्रित था, में बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट की प्रसिद्ध वकील रेबेका जॉन ने यूएपीए को असंवैधानिक बताते हुए समझाया की कैसे इसे सामान्य कानून से अलग करके खतरनाक बना दिया गया है, जिसके कारण अंतहीन समय तक अभियुक्तों को बिना जमानत दिए, इन्वेस्टिगेशन चलता रह सकता है. हर बार 180 दिन पूरा होने के अंदर किसी को अरेस्ट करके जांच के लिए 180दिन का समय फिर से लेे लिया जाता है. ऐसा लिखा है कि इसमें रिमांड और चार्ज शीट दाखिल करने का समय बढ़ाया जा सकता है, लेकिन कोर्ट ‘सकता है’ कि बजाय आराम से समय बढ़ा देती है.

प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने देशद्रोह के कानून पर बोलते हुए कहा इसका लगातार दुरुपयोग किया जा रहा है. उन्होंने कहा सभी सीबीआई सहित सभी एजेंसियां आज सरकार के कब्जे में हैं, और न्याय व्यवस्था सरकार का बचाव कर रही है, यह बोल देने पर अवमानना का मुकदमा दर्ज हो जाता है.

भीमा कोरेगांव के सबसे कम उम्र अभियुक्त महेश राउत के मित्र शुभम शर्मा ने उनके बारे में बात रखते हुए बताया कि कहा जाता है नौजवान लोग सामाजिक कामों से नहीं जुड़ते है, महेश ने उसे गलत कर दिखता है. उसे 2013 में भी निशाना बनाया गया था, जब उसने खनन माफियाओं के खिलाफ बोला था. इस बार वो प्रधानमंत्री योजना के तहत ग्राम सभा को मजबूत करने के लिए काम कर रहा था तो भी उसे जेल में डाला गया, यह अन्याय है.

अंत में क्रांतिकारी कवि वरवर राव की बेटी सहजा ने पिता के बारे में बात करते हुए लोगों का धन्यवाद किया कि उनके आवाज़ उठाने के कारण वरवर राव का इलाज हो सका.

इस सत्र का संचालन पीयूसीएल की नागा सायला ने किया। वेबीनर का समापन भी रेला टीम के गीत से हुआ. जिस तरह ऐसे हर जनवादी आंदोलन में कुछ संघी घुसकर उसे डिस्टर्ब करने की कोशिश करते हैं, दो संघी ज़ूम मीटिंग में भी घुस आए थे. इन्होंने प्रशांत भूषण के बोलने के समय चैट बॉक्स में ‘जय श्री राम’, ‘वन्दे मातरम्’ ‘भारत माता की जय’ और ‘लाल सलाम मुर्दाबाद’ के नारे लिखना शुरू कर दिया और यहां भी साबित कर दिया कि ऐसे नारे लगाने वाले लोग ही संविधान विरोधी हैं.

यह शानदार वेबिनर सवा चार घंटे तक चला, जिसमें देश भर से लोगों ने भागीदारी की. यह वेबिनर भीमा कोरेगांव केस के 2 साल पूरा होने पर 28 अगस्त से 5 सितंबर (गौरी लंकेश की हत्या के दिन) तक पीयूसीएल द्वारा आयोजित प्रतिरोध सप्ताह का हिस्सा था.

Read Also –

भीमा कोरेगांवः ब्राह्मणीय हिन्दुत्व मराठा जातिवादी भेदभाव व उत्पीड़न के प्रतिरोध का प्रतीक
‘कौन है अरबन नक्सल ?’ संघी दुश्प्रचार का जहरीला खेल
आम आदमी के हीरो वरवरा राव को खत्म करने की सरकारी साजिश
आप बोलेंगे, और अपनी बारी आने से पहले बोलेंगे’
सुप्रीम कोर्ट का जज अरुण मिश्रा पर गौतम नवलखा का हस्ताक्षर 

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

चूहा और चूहादानी

एक चूहा एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था. एक दिन चूहे ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी…