Home कविताएं आंतरिक मामला

आंतरिक मामला

0 second read
0
0
523
आंतरिक मामला

भुखमरी
बेरोजगारी
हत्याएं
बलात्कार
मंदी
भ्रष्टाचार
अशिक्षा
कुपोषण
बीमारी
हमारा आंतरिक मामला है
हमें किसी बाहरी हस्तक्षेप की
ज़रूरत नहीं है
हम
जब चाहें एक पूरे सूबे को
जेल बना दें
और किसी भी जेल को
अपराधियों के लिए स्वर्ग
और मासूम लोगों के लिए
नर्क बना दें
ये हमारा आंतरिक मामला है.

हम
कीड़े पड़े एक पुराने नक़्शे को देश
और देश को
लफ़ंगों के नारों में ढूंंढ सकते हैं

ख़ुदकुशी करते किसान और युवा
हमारे नागरिक हैं
इसलिए उनकी मौत
हमारा आंतरिक मामला है.

सूखे हुए जलाशयों के किनारे
मरे हुए जानवर
पनपी सभ्यताओं के गले में
सुशोभित हार है
जेठ की धौंकनी सा हाँफता समय
और कभी न ख़त्म होने वाली अमावस
हमारा आंतरिक मामला है.

बाहरी हस्तक्षेप
नवजात के मुंंह में पड़ने वाली
पोलियो के टीके की दो बूंंद-सी
कड़वी है

हम अपने आंतरिक मामलों को
खुद निबटाने को समर्थ हैं
लोकतंत्र के चारों स्तंभ
अब कुष्ठ रोगी को ढोते
ठेले पर सवार है
कुछ दिनों में
वे ढूंंढ लेंगे
चूतड़ के नीचे फटे टायर की सीट
और हाथों में
लकड़ी के खंडाऊ

आख़िर एक
स्वनिर्भर क़ौम को
अपनी नियति की तरफ़
बढ़ने के लिए
इतने उपादान तो चाहिए

काली रातों के शाख़ों पर
उल्टे लटके
रक्तपिपासु चमगादड़ देखकर
जब कभी डरता है कोई बच्चा
मांं कहती है
चुप हो जा
ख़ून का बनना
और चूसा जाना
हमारा आंतरिक मामला है !!

  • सुब्रतो चटर्जी

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • शातिर हत्यारे

    हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…
  • प्रहसन

    प्रहसन देख कर लौटते हुए सभी खुश थे किसी ने राजा में विदूषक देखा था किसी ने विदूषक में हत्य…
  • पार्वती योनि

    ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…