क्या आप सोचते हो ?
क्या आप सोच को लिख सकते हो ?
यदि हांं
तो लिखो
जो आप सोचते हो.
सच को सच लिखो
बावजूद इसके कि
यदि आपने सच लिखा तो
आपकी खैर नहीं
फिर भी, लिखो
लिखना जरूरी है.
क्या आप बोलते हो ?
क्या आप सच बोलते हो ?
तो बोलो
यह भी सच है आपने बोला तो
आपकी खैर नहीं
फिर भी, बोलो
जिंदा हो तो बोलना जरूरी है.
आप की सोच, आपकी आवाज
आपकी लेखनी और आपका अंदाज
धीरे-धीरे मर रहा है
इससे पहले की यह
मर जाए पूरी तरह
एक अन्तिम कोशिश करो
जिंदा हो तो जीने के लिए.
- खजान पांडेय
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