संघी बत्रा जी ने हिंदुत्व के रंगरूटों को बताया कि मलेच्छ आक्रांता हैं. इस्लाम एक हाथ में तलवार और दूसरे में क़ुरान लेकर भारत में आया. हिंसक मुल्लों ने अहिंसक संस्कृति को भ्रष्ट किया. हमें पूर्ण रामराज्य की स्थापना कर इन मलेच्छों को सबक सिखाना है.
ये सब ठीक करने के लिये गुरुजी शाखा लगाते हैं. इतिहास बदल देते हैं. गौ रक्षक दल बनाते हैं. मजनू और रोमियो दमन दल बनाते हैं. तिरंगा, राष्ट्रगान और वंदे मातरम के फ़र्ज़ी मुद्दे खड़े करते हैं. लव जिहाद, तीन तलाक़, बहुविवाह और बढ़ती जनसंख्या की अफवाह बनाते हैं.
आईटी सेल से तरह-तरह के नफरत फैलाऊ व्हाट्सएप्प और फेसबुक पोस्ट वायरल करवाते हैं. योगी के आपत्तिजनक चित्र मलेच्छ नाम से पोस्ट करवाते हैं, जो कि बाद में पंडित जी या ठाकुर साहब निकलते हैं. सनातन संस्था के वैभव राउत से बम बनवा आतंक फैलवाते हैं. ध्रुव सक्सेना से देश की जासूसी करवाते हैं. देश के बुद्धिजीवी, वैज्ञानिको, तर्कवादियों, लेखकों, पत्रकारों की हत्या करवाते हैं.
आचार्य अटल बनकर समस्त मीडिया को अपने देश तोड़क नफरत फैलाने वाले दुष्प्रचार के लिए खरीद लेते हैं. देश का अधिकांश वोटर इस फ़र्ज़ी कुप्रचार से प्रभावित हो दंगाइयों, हत्यारों, बलात्कारियों, बेईमानों और कारपोरेट के दलालों को सत्ता दे भी देते हैं.
और जब-जब नोटबंदी, जीएसटी, आत्महत्या करते किसानों, भ्रष्टाचार, दंगों, कुव्यवस्था, लोगों की हत्याओं, बलात्कारों, लिंचिंग, अस्पतालों में मौतों पर सरकार घिरती है तो ये मलेच्छ आतंकवादी सरकार को फायदा दिलाने के लिए कोई हमला कर देते हैं. कमाल देखिये भाजपा को जिताने के लिए आतंकी संस्थाएं बाकायदा हमलों की ज़िम्मेदारी भी लेती हैं.
इन सब कोशिशों के बाद भी जब तीर्थयात्रियों की बस पर प्रायोजित आतंकवादी हमला कर कई हिन्दू तीर्थ यात्रियों को मौत के घाट उतारते हैं तो एक मलेच्छ सलीम न जाने कहांं से ड्राइवर के रूप में आकर बाकी तीर्थयात्रियों की जान बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा देता है.
गोरखपुर के अस्पताल में जब केंद्र और राज्य सरकार, प्रशासन, चिकित्सा विभाग फेल हो गए और 60 मासूम बच्चों को ऑक्सीजन की कमी से दम घुटते मरते देखते रहे, तब फिर एक मलेच्छ डॉ. कफ़ील मददगार बन ऑक्सीजन के सिलिंडर ले बच्चों और मौत के बीच आ खड़ा हुआ.
अब आप ही देखिए कि जब कश्मीर की आसिफा के साथ हमारा हिंदुत्ववादी कश्मीरी ब्राह्मण बुड्ढा पुजारी अपने नाबालिग भांजे, भतीजे, पुत्र और पुलिस वाले के साथ जम्मू के मंदिर में बलात्कार करवाकर हत्या करवा रहा था, तब हम उन वीरों के समर्थन में तिरंगे लहरा रहे थे. उन्नाव की बलात्कृत लड़की के बलात्कारी कुलदीप सेंगर विधायक को बचाने के लिए भी हमने तिरंगा यात्राएं निकाली.
दूसरी ओर इन मलेच्छों की हिम्मत तो देखो. जब मंदसौर की मासूम बालिका का अपराधी एक मुसलमान निकला तो ये चालाक लोग अपने गुनाहगार भाई की ही मुखालफत करने लगे. न वकील, न समर्थन, न कब्रिस्तान मुहैय्या कराने की बात कह अपराधी को बहिष्कृत कर जनता के हीरो बन गए. समझदार हिन्दू जनता के दिल में दस्तक देने लगे.
कासगंज में हमारा दंगाई शूरवीर चंदन गुप्ता जब मलेच्छ मुहल्ले में भगवा झंडा लेकर तिरंगा फहराने की नसीहत देने गया तो ये देशद्रोही पहले ही तिरंगा फहरा रहे थे. हमारे वीर योद्धाओं ने फिर भी उन्हें सबक़ सिखा दिया. दंगे में चंदन के मारे जाने के लिये हमने और बड़े दंगे खड़े किए. चंदन के पिता ने देश से शहीद का दर्जा और मुआवज़ा मांगा.
दूसरी ओर इनकी हिमाकत देखो कि बंगाल में एक मौलवी इमाम का इंटर में पढ़ने वाला लड़का दंगे में मार दिया गया तो इमाम ने नाराज़ मुसलमानों से किसी भी बदला, प्रतिक्रिया, दंगा आदि के लिए मना किया. कमबख्त ने ये तक कह दिया कि अगर किसी को बदले में गाली भी दी तो मस्जिद और शहर छोड़ जाऊंगा. ऐसी फ़र्ज़ी गांधीवादी बातें कर वह हमारे हिन्दू भाइयों का भी हीरो बन गया.
कमबख्त इस गांधी को हमने 1948 में ही ठिकाने लगा दिया था लेकिन इसकी विचारधारा अब भी पीछा नहीं छोड़ रही. कहीं न कहीं से उठ खड़ी होती है.
हमने औरंगज़ेब को खलनायक बनाया तो ये कश्मीर का शहीद सैनिक सिपाही औरंज़ेब ले आये, जो आतंक से लड़ा. आतंकवादियों द्वारा अपहरण होने, पीटे जाने, टॉर्चर होने के बावजूद अपने मौत वाले वीडियो तक में भी तनिक न डरा. आंख में आंख डाल आतंकियों के सवालों का जवाब देता रहा.
हमारी बदकिस्मती देखिए कि ये बेशर्म मलेच्छ घुसपैठिये हमारी इस पावन भूमि पर हमारे पीछे-पीछे न जाने कहांं से आये और हमारी संस्कृति, देश, शासन, ज़मीनों और स्रोतों पर छा गए ! उन स्रोतों पर छा गए जो हमने मूलनिवासियों से धोखा, छल प्रपंच, धर्मिक ठगी और शोषण के माध्यम से छीने थे.
अब इनकी बेशर्म गुस्ताखियांं देखो. ये अपने दुष्कृत्यों के सहारे हमारे लोगों के दिलों में घुसपैठ किये जा रहे हैं. हम कांवड़ और कुम्भ पर सरकारी देसी घी पी रहे हैं तो ये धर्मद्रोही खुशी-खुशी हज सब्सिडी छोड़ अलग खड़े हो जनता के हीरो बन रहे हैं.
अब अति देखिये कि हमने मस्जिद गिरा दी. रथयात्राएं निकाली और कारसेवाएं कर दंगों के माहौल बनाये. न्यायालय से न्याय के नाम पर बहुसंख्य की आस्था का झुनझुना दिलवाया और अब मंदिर निर्माण भी शुरू कर दिया और इन्हें देखिये की वे मस्जिद की जगह देश के सारे नागरिकों के लिए मुफ्त अस्पताल खड़ा करने की बातें करने लगे.
क्या देश सलीम, बंगाल के इमाम, अख़लाक़ के बेटे, मंदसौर के मुसलमानों की जमात, शहीद औरंज़ेब और डॉ. कफ़ील जैसे मददगार मलेच्छ घुसपैठियों को बर्दाश्त कर पायेगा ?
- तनवीर अल हसन फरीदी
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