पड़ोसी देशों पर घौंस जमाकर अमरीकी चरणों में शरणागत देश के प्रधानमंत्री मोदी ‘‘हार्डवर्क’’ करते हुए पिछले तीन सालों से पृथ्वी का चक्कर काट रहे हैं. इसी के साथ दो काम और कर रही है. एक तरफ तो वह अंबानी-अदानी के निजी कम्पनियों के विस्तार और उसके मुनाफे के लिए देश की जनता के टैक्स के पैसों का खुलकर दुरूपयोग कर रही है तो वही दूसरी तरफ देश में व्याप्त अराजकता के माहौल में उठ रहे आवाज को दबाने के लिए सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों यथा-अन्य हिन्दुत्ववादी संगठनों की मदद से लोगों पर देशद्रोह के झूठे मुदकमें कर जेल में बंद करने से लेकर हत्या तक पर उतारू है. विश्व की सर्वाधिक बिकाऊ मीडिया को अपना दलाल बनाकर दिन-रात लोगों के दिमाग को उत्तेजक बनाकर देश भर में दंगे भड़काने का कुत्सित प्रयास कर रही है.
विश्व भर में देश को हास्यास्पद बना डालने वाले मोदी की कुशलता इस बात में भी निहित है कि भ्रष्टाचार में देश को अब्बल नम्बर पर ले आने का श्रेय उन्हें दिया जायेगा. भ्रष्टाचार और काले धन के नाम पर नोटबंदी के बहाने देश को अराजकता के शीर्ष पर पहुंचा दिया. नोटबंदी के नाम पर 8 लाख करोड़ रूपयों के महाघोटाले को अंजाम तक पहुंचाया. सैकड़ों लोग इस नोटबंदी के नाम पर बलि चढ़ गये, हजारों की संख्या में कल-कारखाने बंद हो गये, लाखों रोजगार प्राप्त लोग बेरोजगार हो गये.
देश की अर्थव्यवस्था को रसातल में पहुंचा कर यह कहना कि यह ‘टेक्निकल प्राॅबलम’ के कारण हुआ, इससे ज्यादा और लज्जास्पद बातें और क्या हो सकती है. पूरी भाजपा पार्टी सत्ता के नशे में मदमस्त होकर चारो तरफ हत्या, बलात्कार और खुलेआम लूट-खसोट में जुट गई है. वह देश की जनता के सामने एक भी ऐसा उदाहरण रखने का साहस नहीं कर सकती है, जिसमें देश की जनता के हित कोई सार्थक काम किया हो. नये रोजगार देने के बात तो दूर रोजगार प्राप्त लोगों का भी रोजगार छिन लिया गया. चिकित्सा के नाम पर बच्चों तक की हत्यायें की जा रही है. स्कूल में शिक्षा की जगह बच्चों की हत्यायें तक हो रही है, यही नहीं हत्यारों को न केवल खुलेआम बचाया ही जा रहा है बल्कि उसे विभिन्न तरीके से पुरस्कृत भी किया जा रहा है.
जीएसटी के नाम पर भारी-भरकम टैक्स और जलेबी की तरह उलझाऊ न समझ में आने वाली प्रणाली को जबरन लागू करवाकर देश की समूची व्यवसाय प्रणाली को ही खतरे में डाल दिया है. पहले से ही रसातल में गिर चुकी अर्थव्यवस्था को जीएसटी और भी ज्यादा पतन के कागार पर पहुंचा कर ही दम लेगा.
मोदी और अमित शाह जैसे खूख्वांर हत्यारे के हाथों में देश की बागडोर सौंप कर हम काल के एक ऐसे अंधेरे कालखण्ड का हिस्सा बनने को मजबूर हो गये हैं, जब सवाल उठाना मौत को दावत देना हो गया है. लंकेश की हत्या और एनडीटीवी के एंकर रवीश को हत्या करने की निरन्तर दी जा रही धमकी इसी अंधकार का द्योतक है.
इस अंधकार के खिलाफ सवाल उठाना आज देश की आम जागरूक लोगों की बुनियादी जरूरत बन गई है, वरना वह दिन दूर नहीं जब देश के इतिहास को पूरी तरह उल्टा कर पढ़ा जायेगा और देशभक्त एक बार फिर फांसी और जेल में डाले जायेंगे और देशद्रोही-गद्दार का महिमामंडन किया जायेगा. आज समाजवाद की नहीं मामूली हासिल जनवाद को बचाने की लड़ाई अब लड़ने की जरूरत हो गई है. आज प्रगतिशीलता का अर्थ प्राप्त जनवाद को बचाने में निहित हो गया है.