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वरवर राव समेत सभी राजनैतिक बंदियों की अविलंब रिहाई सुनिश्चित करो

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वरवर राव समेत सभी राजनैतिक बंदियों की अविलंब रिहाई सुनिश्चित करो

दुनिया भर में बदनाम और मजाक बन चुकी भारत सरकार देश के तमाम बुद्धजीवियों को एक-एक कर खत्म कर रही है. इसके लिए दो हथकंडा अपनाया है – कानूनी और गैर-कानूनी. गैर कानूनी प्रक्रिया के तहत वह सीधे तौर पर अपने पाले हुए गुंडों के माध्यम से सुपारी कीलिंग करवा रही है. पनसारे, कलबुर्गी, गौरी लंकेश एक उदाहरण मात्र है, असल में यह लिस्ट बहुत बड़ी है.

दूसरे, पुलिसियातंत्र और न्यायपालिका का ‘कानूनी’ तरीक़े का इस्तेमाल करते हुए इन तमाम असहमत बुद्धिजीवियों को बर्बाद या मार डालने के लिए झूठे आरोपों का पुलिंदा गढ़कर जबरदस्ती जेलों की काल-कोठरियों में तड़पा-तड़पाकर मार डालने की कोशिश कर रही है.

दरअसल, केन्द्र की प्रतिक्रियावादी भ्रष्ट और पतित मोदी सरकार कोरोनावायरस के आड़ में लॉकडाऊन का नाजायज का फायदा उठाकर असहमति के तमाम स्वरों को खत्म कर रही है. सड़कों पर विरोध के तमाम स्वरों को पुलिसिया बूटों तले कुचलकर असंभव बना दिया है. ऐसे वक्त में सोशल मीडिया का इस्तेमाल समयोचित और बेहद जरूरी बन गया है.

सोशल मीडिया पर हस्ताक्षर अभियान चलाकर हजारों लाखों जनपक्षधर बुद्धिजीवियों ने केन्द्र सरकार की इस दुर्नीति का विरोध करते हुए अपना आवाज बुलंद किया है. इन्हीं सैकड़ों अभियान में से एक अभियान का मजमून हम यहां पेश कर रहे हैं.

पूंजीवादी सत्ता विरोध के स्वर को फौजी बूट तले रौंदकर खामोश करना चाहती है. 81 वर्षीय क्रांतिकारी कवि वरवर राव कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. अपने से कोई काम तक करने में अक्षम हैं. भ्रम की स्थिति में जा चुके हैं और प्रो. जी. एन. साईंबाबा जो 90% विकलांग हैं, कोरोना संक्रमित जेल में बंद हैं.

इनके अतिरिक्त तमाम राजनैतिक बंदी जो मानवाधिकार कार्यकर्त्ता, समाजसेवी, पत्रकार, कलाकार, संस्कृतिकर्मी, लेखक आदि हैं, वे आज इस संकट की स्थिति में जेल के चारदीवारी में मौत से जूझ रहे हैं. हम सभी राजनैतिक बंदियों की रिहाई की अपील करते हैं.

सभी राजनैतिक बंदियों को अविलंब रिहा किया जाये और बेहतर स्वास्थ्य की व्यवस्था की जाये.

सोशल मीडिया पर जारी इस अपील पर सैकड़ों जनपक्षधर लोगों ने अपने-अपने हस्ताक्षर किये हैं, जो इस प्रकार है –

Mantu gahlot, satyam verma, anupam kumar, vijay kumar singh, purnima, bhagwan das kisku, ashutosh kumar, deepak sharma, ram pyare rai, vishwas ekka, kumar hasan, binod kumar, irfan ahmad, kamlkant kuliya, kripa shanker, सतीश छिप्पा, mahesh yadav, arjun prasad singh, anil ranjan bhownick, ram kripal jaiswal, prativadi navin, vinod kumar bhardwaj, awadhesh yadav, indrajeet kumar, satya veer singh, dewan kundal, raghwendra pratap

Rupesh Kumar Singh, Ilika Priy, विशद कुमार, Bachcha Singh, Ranjit Verma, Anish Ankur, Jitendra Bhushan, Tejpratap Pandey, Ish Mishra, कृष्ण मुहम्मद, Manoj Bhushan Singh, Manoj Singh, Ravindra Patwal, Naveen Joshi, कॉमरेड आदित्य, कॉमरेड विक्रम आज़ाद, RD Anand, Kavita Krishnapallavi, Navmeet Nav, Mukesh Aseem, Ashok Kumar Chauhan, Aditya Kamal, सर्वहारा सर्वहारा,

Rajesh Chandra, Rajesh Kumar, Ishwar Shunya, Gautam Gulal, Ak Bright, Deepak Sinha, शैलेंद्र शांत, Kaushal Kishor, Mahesh Donia, Mahesh Vashistha, Aakanksha, Priya, Kamla Naagar, Pranshu Serene, Dhananjay Kumar, Amol Azad, Mk Azad, Azaad Rakesh, Rohit Sharma, Rajaram Chaudhary, Manikant Jha, अमित शाश्वत, Sangita Roy, Jagbir Singh, Anjani Wishu, Ipsa Shatakshi, Uday Chaudhary, Ganesh Rajwar, Vishnu Kumar… समेत सैकड़ों लोगों और बुद्धिजीवियों ने अपना समर्थन और हस्ताक्षर किया है.

असहमति के स्वरों को खत्म करने की केन्द्र की यह प्रतिक्रियावादी संघी सरकार की यह घृणित कोशिश के खिलाफ देश के तमाम लोगों को ही नहीं अपितु अंतरराष्ट्रीय समूहों को भी एक साथ खड़ा होने की जरूरत है, वरना यह संघी सरकार तो पूरी मानवता को कलंकित करने पर आमादा हो चुकी है.

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