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दो चूहे और सत्तरघाट पुल

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दो चूहे और सत्तरघाट पुल

एक बिहारी चूहा टुन्न होकर लड़खड़ाती आवाज में दूसरे चूहे से बोला – ‘ए बुड़बक, ए का, सुन रहे हो बे…’

दूसरा चूहा बोला – ‘का महाराज, का हो ? सुबह सुबह ही चढ़ा लियो हो का ? का हो गया … !

शराबी चूहा बोला, ‘अरे साला आज प्रभात खबर नहीं कुतरे का ? … अरे उ पुल बना था न गंडक नदी पर, 264 करोड़ रुपये का सत्तर घाट पुल ! उ टूट गवा, उ का महीने भर पहले इनॉग्रेसन किया था न नीतीशवा, …. वही खराब डीएनए वाला…

दूसरा चूहा इतना सुनकर सुबक सुबक कर रोने लगा.

अरे इतना काहे सेंटिया रहे हो, शराबी चूहा बोला. अन्तरात्मा की आवाज सुन लिए हो का बे ?

सुबकते हुए दूसरा चूहा बोला, ‘अरे तुम जानते नहीं हो, इ पुल बनाने वाले पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव है, ई वही नीतीशवा की सरकार का मंत्री है जो हमारे भाई बंधुओं पर बार-बार इल्जाम लगा देती है. हमका याद है जब पिछली बाढ़ आई थी तो इसके मंत्रियों ने हम पर ही इल्जाम लगाया था कि हमारे कारन ही नदी में बाढ़ आयी है, इनके मंत्री बोलते थे कि बांंध की हमने पूरी दीवारें खोद डाली… ! अब पुल ढह गया है तो फिर बोल देगा कि ये काम भी हमने ही किया है, साला इंटरनेसनल लेबल पर हमारा इंसलेट कर देता है.

ओर देखो साला ! … तुमको भी इन्होंने शराबी बना दिया … इन्होंने हमारी पूरी बिरादरी पर थानों में रखी पूरी नौ लाख लीटर शराब पीने का इल्जाम लगा दिया ! जबकि सारी शराब इसके पुलिस वालों ने बेच खाई थी !

हा भैया ! कह तो तुम सही रहे हो – शराबी चूहा बोला. ‘तोहरी भाभी भी यही कह रही थी कि जब से थानों के मालखाने में शराब रखी गयी थी, तब से तुम पक्के शराबी बन गए हो, … लेकिन हम ई नंद किशोर यादव को छोडेंगे नहीं. हमको मालूम है जांंच होगी तो ई ससुरा अपने आप को बचाने के लिए बोल देगा कि 246 करोड़ के इस प्रोजेक्ट की फाइलों को भी चूहे कुतर गए, चलो आज ही फाइलें विभाग के ऑफिस से निकाल कर दिल्ली में PMO को भेज देते हैं.

अरे रहने दे ! कुछ नही होगा ! … पहला चूहा बोला – तेरे को इतनी चढ़ गयी है कि तू भूल गया है ये मोदी जी का भारत है, जहांं नीतीशवा खुद भी खाता है और मोदी जी को भी खिलाता है.

  • गिरीश मालवीय

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