कल सुबह सूनी सड़क पर,
एक गाड़ी में डाली गई थीं
कुछ ज़िंदा लाशें,
कहते हैं उन्हें भेजना था,
380 किमी दूर किसी होटल में,
थानेदार ने पकड़ा, थाने में बिठाया
एक रसूखदार बड़े ‘भाई साहब’,
कई अमीर, पत्रकार, नेताजी के नकाब उतरे,
एक ‘भाई साहब’ ने फ़ोन घुमाया,
‘बड़े भाई साहब’ को छोड़ने का आदेश दिया,
बात नहीं बनी, डील होनी थी,
डील हुई और बड़ी डील हुई,
बड़ी-बड़ी मछलियां निकल गईं,
फंस गई छोटी मछलियां,
बच गए कई नकाबपोश,
लोग कह रहे हैं,
लॉकडाउन अच्छा है.
कोरोना तो एक बहाना है,
पकड़ना और छुड़वाना है,
लॉकडाउन अभी और होना है,
बात भोपाल की है,
लॉकडाउन अच्छा है.
- सौमित्र राय
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