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नोटबंदी : झूठे वादों का पिटारा

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देश के प्रधानमंत्री मोदी ने 8 नवम्बर, 2016 की शाम को नोटबंदी का ऐलान कर 500 और 1000 रूपये के नोट को चलन से बाहर करने का जब फैसला लिया था तब उसे एक शानदार कदम की शुरूआत बतलाया गया था. मोदी समर्थकों ने भी इसे भविष्य के किसी अकल्पनीय काल इसके फायदे गिनाते हुए नोटबंदी का समर्थन किया था. देश की जनता ने भी कुछ नये की आश में मौत को गले लगाते हुए मोदी के इस फैसलों पर अपनी मौन सहमति प्रदान कर दी. 2016 के आखिर में मोदी ने फिर से कहा था कि ‘‘मैंने देश से सिर्फ 50 दिन मांगे हैं और इसके बाद कहीं कमी रह जाए तो देश जो सजा देगा, मैं उसे भुगतने के लिए तैयार हूं.’’

नोटबंदी के 50 दिन में 60 से ज्यादा बार नियमों और कायदों में बदलाव लाने और 160 लोगों की मौत के बाद देश आज एक साल पूरे होने पर कहां है ? क्या देश आज सारी समस्याओं से निबट चुकी है और हमारा देश भारत और देशवासी सपनों के भारत में रह रहे हैं ?

नोटबंदी के फैसले का ऐलान करते समय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि नोटबंदी से काले धन पर प्रहार होगा, जाली नोटों के चलन रूकेंगे, भ्रष्टाचार कम होगा, आतंकवाद और नक्सलवाद की कमर टुट जायेगी, कि किसानों-व्यापारियों और श्रमिकों को कई फायदे होंगे. बाद में काश्मीर में हो रहे पत्थरबाजी पर अंकुश जैसे शोशे भी जोड़े गये थे.

नोटबंदी के एक साल पूरे होने के ठीक पहले तक देश की बदहाली और चरमरा चुकी अर्थव्यवस्था को देखते हुए यही जा सकता है देश कई कदम और पीछे चला गया है. रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल को बंदर की तरह नचाने के बाद भी जब रिजर्व बैंक की 2016-17 की सालाना रिपोर्ट को देखें तो साफ पता चलता है कि मोदी के काले धन पर अंकुश लगाने या वापस आने के दावे बिल्कुल झूठे थे. यहां तक कि रिजर्व बैंक की रिपोर्ट आने से बहुत पहले 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से ऐलान करते हुए मोदी ने नोटबंदी से 3 लाख करोड़ काले धन आने की बात कही थी. पर 1000 और 500 के चलन से बाहर कर दिये गये नोटों के 99 प्रतिशत बैंकिंग सिस्टम में वापस आ जाने पर मोदी के दावे न केवल सच्चाई से परे साबित हो गये हैं वरन् वह लाल किले पर खड़े होकर देश की जनता को झूठे आंकड़े पेश कर देश की जनता को धोखा देने का अपराध भी किया है.

नोटबंदी के तुरन्त बाद 2000 के और 500 के नये नोटों के चलन में आ जाने के तुरन्त बाद ही जाली नोटों के प्रचलन और उसके पकड़े जाने के दर्जनों मामले सामने आते रहे. अब तक को भारतीय मुद्रा में न जाने कितने ऐसे नकली नोट शामिल भी हो चुके होंगे, जो प्रचलन में भी हैं और पकड़े भी नहीं जाते क्योंकि नये नोटों का नकल न केवल बेहद आसान ही साबित हो रहा है, बल्कि उसके पकड़े जाने की संभावना भी कमतर होती है क्योंकि देश की आम आबादी इन नकली नोटों की पहचान खुद कर पाने में पूरी तरह सक्षम नहीं हो पाये हैं.

भ्रष्टाचारी-आतंकवादी और नक्सलवादी की कमर टूटने की बातें भी जहां बेमानी साबित हो चुकी है तो वहीं किसानों, व्यापारियों और श्रमिकों की फायदे की बातें भी बेअसर हो चुकी है. नोटबंदी के साथ ही हजारों की तादाद में कल-कारखाने बंद हो जाने के कारण कामगार श्रमिक बेरोजगार हो गये. किसानों को उनके फसल का मूल्य तक मिलना मुश्किल हो गया और व्यापारियों के काम-धंधे ठप्प से हो गये. नोटबंदी के एक साल होने आये पर अब तक हालात सामान्य नहीं हो पाये हैं.

नोटबंदी जैसे देशधातक फैसले जहां देश को बर्बादी की कागार पर ला खड़ा कर दिया है वहीं देश को दोनों हाथों से निजी काॅरपोरेट घरानों को लूटने की खुली छूट और संरक्षण प्रदान किया गया.

देश के तथाकथित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश की आम आबादी के लिए बेहद ही घातक साबित हुए हैं तो वहीं नोटबंदी का उनका फैसला देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने के लिए इतिहास में उसी प्रकार याद किया जायेगा, जिस प्रकार एक सनकी चीनी शासक को इतिहास याद करता है जब उसने देश के सारे विद्वानों की हत्या करने, पुस्तकों को जला कर नष्ट करने का ऐलान किया था कि ‘‘दुनिया उसके साथ ही बनी थी… कि उसके पूर्व दुनिया थी ही नहीं.’’

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One Comment

  1. cours de theatre paris

    September 30, 2017 at 4:01 am

    Thanks so much for the post. Cool.

    Reply

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