मां

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मां !
मैंने खाये हैं तुम्हारे तमाचे अपने गालों पर,
जो तुम लगाया करती थी अक्सर,
खाना खाने के लिए.

मां !
मैंने भोगे हैं अपने पीठ पर,
पिताजी के कोड़ों का निशान,
जो वे लगाया करते थे बैलों के समान
मां !

मैंने खाई है अपने हथेलियों पर,
अपने स्कूल मास्टर की छड़ियां,
जो होम वर्क पूरा नहीं करने पर
लगाया करते थे

पर मां !
मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं
आखिर क्यों लगी है मेरे हाथों में हथकड़ियां ???

जानती हो मां ?
उन्होंने मुझे थाने लाकर उल्टा लटकाया
अनगिनत डंडे लगाये मेरे पैरों पर
उन्होंने सुईयां चुभोई है मेरे शरीर में …

[2]

वे मुझसे पूछ रहे थे-
उन साथियों का नाम मां,
जिन्होंने तुम्हारी लाज बचाई थी, उस समय
जब मैं और पिताजी घर से बाहर थे,
औ’ घरों में घुस आये थे गुण्डे

मां !
पुलिस ने मुझे इसीलिए गिरफ्तार किया है कि-
मैं बताऊं उनलोगों का नाम

तुम्हीं बताओ मां,
मैं कैसे उन लोगों का नाम
अपने जुवां पर लाता ?

मैं बेहोश हो गया था मां
न जाने कितने सारे प्रयोग किये थे,
मेरे शरीर पर.
शायद करंट भी दौड़ाया था मेरी नसों में

मां ! मुझे अफसोस है,
मैं आखिरी बार तुमसे नहीं मिल सका
मैं आखिरी सांस गिन रहा हूँ मां
मैं अपने विक्षत कर दिये गये शरीर को भी,
नहीं देख पा रहा हूं.

पर मां !
अब मैं चैन से मर सकूंगा
लाल सूरज कल जरूर ऊगेगा मां
तब लोग गायेंगे मेरे भी गीत

कह देना तुम मेरे साथियों से-
मैंने अपने जुबां पर नहीं आने दिया है,
अपने पवित्र साथियों का नाम

कि पुलिस मुझसे कुछ भी हासिल नहीं कर सकी,
कि मैंने बट्टा नहीं लगने दिया है,
उनके पवित्रतम आदर्श पर.

( 3 )

मां !
अगर मेरा बेटा जन्म ले,
तो बतलाना उसको,
उसके बाप के बारे में,
कि किस तरह उसका बाप मरा था
कि अन्तिम समय मैं उसे बेतरह याद कर रहा था

  • अभिजीत राय / 3.03.2003

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ROHIT SHARMA

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