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कोरोना दवा निर्माण : फर्जीवाड़ा बाबा की योजना 5 हजार करोड़ कमाने की थी

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कोरोना दवा निर्माण : फर्जीवाड़ा बाबा की योजना 5 हजार करोड़ कमाने की थी

कोरोना की दवा कोरोनिल बनाने में बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण तथा निम्स यूनिवर्सिटी के मालिक बीएस तोमर के अलावा एक और महत्वपूर्ण किरदार है जिसका नाम है – एस.के. तिजारावाला. मूल रूप से अलवर जिले के तिजारा कस्बा निवासी एस.के. तिजारावाला ना केवल पतंजलि का अधिकृत प्रवक्ता है बल्कि बाबा रामदेव के हर काले-पीले कारोबार का सहयोगी है. कोरोनिल के जरिये तीन माह में 5000 करोड़ कमाने का लक्ष्य था.

पतंजलि के एक आला अफसर के अनुसार एस.के. तिजारावाला सरकारी अफसरों से लाइजिंग के अलावा मीडिया का भी सारा काम वही संभालता है. उसकी एक एड एजेंसी है, जिसके जरिये पतंजलि की पूरी पब्लिसिटी की जाती है. पतंजलि में एस.के. तिजारावाला का उतना ही रुतबा है, जितना बाबा रामदेव का है. एस.के. तिजारावाला के बिना पतंजलि में पत्ता भी नहीं हिलता है.

एस.के. तिजारावाला और पतंजलि का रिश्ता तब का है जब बाबा रामदेव को कोई जानता तक नही था. चूंंकि तिजारावाला व्यवसायिक दिमाग वाला व्यक्ति है, उसने अपनी प्रखर बुद्धि के बदौलत पतंजलि के अलावा बाबा को भी विश्व प्रसिद्ध बना दिया. जितने नए प्रोजेक्ट लांच होते हैं, इनके पीछे तिजारावाला की अहम भूमिका होती है.

एफएमसीजी के अलावा जीन्स का प्लांट स्थापित करवाने में भी एसके की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इसके अलावा रुचि सोया कंपनी का अधिग्रहण भी एस.के. तिजारावाला ने करवाया है. इंदौर की कम्पनी रुचि सोया को लेने में अडानी ग्रुप भी लालायित था. अंततः 4385 करोड़ रुपये में पतंजलि ने देश की सबसे बड़ी इस तेल कंपनी को खरीद लिया-

जिस समय बाबा ने रुचि को खरीदा उस वक्त इसके शेयर का भाव मात्र 16.70 रुपये था जो बढ़कर 1507 रुपये तक चला गया. रुचि ने पिछले साल 8371 प्रतिशत का मुनाफा कमाया. चूंकि बाबा की किस्मत इस समय बुलंदियों पर है, इसलिए तिजारावाला की सलाह पर बाबा ने कोरोना की दवा ईजाद करने की योजना बनाई.

अन्ना के आंदोलन से पहले बाबा की दुकान इतनी नही चलती थी. आंदोलन में भाषण देने के बाद बाबा एकाएक लाइम लाइट में आ गया. बाद में पीएम मोदी से भी बाबा की निकटता बढ़ती ही गई. आज सत्ताधारी पार्टी बाबा की झोली में है. भाजपा की निकटता के कारण बाबा आज 20,000 करोड़ से ज्यादा के मालिक है. अपने कारोबार को गति देने के लिए राजनेताओं को इस्तेमाल बाबा करते है जबकि मीडिया और सरकारी अफसरों को संभालने की जिम्मेदारी तिजारावाला के कंधों पर है.

बताया जाता है कि बाबा और डॉ. तोमर की मुलाकात कराने में भी तिजारावाला की अहम भूमिका रही है. दोनों ने अपना-अपना फायदा देखते हुए कोरोनिल लांच करने की योजना बनाई. कोरोनिल की कुल लागत मात्र 45 रुपये है जो 550 रुपये में बेची जाने वाली थी. बाबा को उम्मीद थी कि कोरोनिल की भव्य लांचिंग के बाद लोग इसको खरीदने के लिए टूट पड़ेंगे इसलिए लांचिंग से पहले ही पूरे देश में कोरोनिल पर्याप्त मात्रा में भिजवा दी गई है.

पतंजलि का अनुमान है कि दो-तीन महीने में करीब 10 करोड़ कोरोनिल किट बिक जाएगी. इस प्रकार पतंजलि की झोली में करीब 5000 करोड़ रुपये तीन माह में आ जाएंगे. पतंजलि ने इसकी लांचिंग पर अनुमानित 100 करोड़ रुपये खर्च किये. सभी नेशनल चैनलों ने इसकी लाइव लांचिंग दिखाई और बाद में बाबा व आचार्य बालकृष्ण का इंटरव्यू सभी चैनलों पर चलवाया गया.

कोरोनिल लांचिंग की सारी योजना तिजारावाला द्वारा ही तैयार की गई और उसी ने इसको अंजाम दिया. पता चला है कि टीवी चैनलों को विज्ञापन के अलावा उन एंकरों को भी मोटी राशि बतौर उपहार में दी गई जिन्होंने इंटरव्यू लिया. इसके अलावा कई नामी पत्रकार भी उपहार पाने वालों की सूची में शामिल है, इनमें चार महिला एंकर भी शरीक है.

बाबा यह मानते है कि पतंजलि को बुलंदियों तक पहुंचाने में तिजारावाला की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है इसलिए तिजारावाला पर बाबा पूरा भरोसा करता है. इसलिये विज्ञापन और अन्य किसी प्रकार के लेन-देन पर बाबा कभी तिजारावाला से सवाल नही करते है. ज्ञात हुआ है कि नेशनल चैनलों के अलावा राजस्थान के चैनल जी राजस्थान, फर्स्ट इंडिया, ए वन टीवी के अलावा राजस्थान के 6 पत्रकारों को भी अच्छी खासी राशि देना पतंजलि के रिकार्ड में दर्ज है.

कोरोनिल के प्रचार में इंडिया टीवी ने सबसे अग्रणीय भूमिका निभाई. बताया जाता है कि पतंजलि की बहुत मोटी रकम इंडिया टीवी में निवेशित है. बाबा का इंडिया टीवी के मालिक रजत शर्मा से अच्छा याराना है. वैसे तो अधिकांश मीडियाकर्मी बाबा की चौखट पर अपना मत्था टेकना अपना सौभाग्य समझते है लेकिन अंजना ओम कश्यप, माणक गुप्ता तथा सुमित अवस्थी भी बाबा के काफी निकट बताए जाते है.

कोरोनिल पर रोक लगने के तुरन्त बाद डॉ. तोमर ने अपने को इस दवा से दूर कर लिया था लेकिन इससे पहले बाबा और तोमर की योजना मोटा माल कमाने की थी. बाबा की तरह तोमर भी बहुत ऊंची चीज है. मंच पर तोमर का परिचय इस तरह करवाया गया जैसे वह अंतरराष्ट्रीय स्तर का डॉक्टर हो, जबकि तोमर केवल बच्चों का साधारण-सा डॉक्टर है. आयुर्वेद से इसका दूर-दूर तक कोई ताल्लुक नही है.

बहरहाल गांधीनगर और ज्योतिनगर पुलिस के अलावा भी देश के कई हिस्सों की पुलिस बाबा के कथित फर्जीवाड़े की जांच कर रही है. कई जगह बाबा रामदेव, पतंजलि के सीईओ बालकृष्ण और डॉ. बीएस तोमर के खिलाफ फर्जीवाड़े के अतिरिक्त हत्या के प्रयास का भी मुकदमा भी दर्ज है. गांधीनगर के थाना प्रभारी अनिल जसोरिया ने बताया कि शिकायतकर्ता के अभी तक बयान नही हुए है. बयान होने के बाद आगे की प्रक्रिया प्रारम्भ की जाएगी.

  • महेश झलानी

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