Home गेस्ट ब्लॉग वर्षा डोंगरे लाखों दलित महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है

वर्षा डोंगरे लाखों दलित महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है

2 second read
0
0
604

वर्षा डोंगरे लाखों दलित महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है

वर्षा डोंगरे

वर्षा डोंगरे एक जेल अधिकारी हैं. छत्तीसगढ़ में जब भाजपा की सरकार थी तब एक बार मैंने फेसबुक पर पुलिस थाने में आदिवासी महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के बारे में लिखा था.

मैंने लिखा था कि मुझे सोनी सोरी ने बताया कि वह ऐसी महिलाओं से मिली जिनके साथ पुलिस वालों द्वारा भयानक शारीरिक दमन किया गया है. एक महिला के तो निप्पल काट दिए गये थे. पुलिस थानों में महिलाओं को बिजली के झटके दिए जाते हैं जिसके जलने के निशान उनके शरीरों पर पड़ जाते हैं

मेरी इस सोशल मीडिया के पोस्ट पर डिप्टी जेलर वर्षा डोंगरे ने कमेन्ट किया और लिखा कि यह बात बिलकुल सच है और उन्होंने जगदलपुर जेल में खुद ऐसी लड़कियों को देखा था, जिनके शरीर पर जलाए जाने के निशान थे.

इसके बाद पूरी भाजपा सरकार में हडबडी मच गई थी. डिप्टी जेलर वर्षा डोंगरे को भाजपा सरकार ने निलम्बित कर दिया. भाजपा सरकार अगला चुनाव हार गई

कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई. वर्षा डोंगरे को बहाल किया गया. वर्षा डोंगरे को कोरबा जेल में जाकर काम करने के लिए कहा गया.

वर्षा डोंगरे ने बताया कि उनकी कुछ महीने की बेटी है और उनके पति की नौकरी दुर्ग में हैं इसलिए उन्हें दुर्ग जेल में नियुक्त कर दिया जाय. इस बात को लेकर वह गृह मंत्री से मिली. बाद में उन्होंने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया.

अदालत ने सरकार से पूछा कि ‘इन्हें दुर्ग जेल में अटैच करने में आपको क्या परेशानी है ?’ सरकार ने उस बात का अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है. पिछले दस महीने से वर्षा डोंगरे को वेतन नहीं मिल रहा है.

वर्षा डोंगरे असल में जेल के भीतर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ पहले से ही लडती रही हैं. रायपुर जेल में जेल अधीक्षक की जानकारी में जेल की महिला डाक्टर द्वारा महिला जेल में आदिवासी दलित और उनके हिमायती कैदियों को एक्सपायरी दवाई खिलाती है ताकि यह मर जाएंं.

इस बात की शिकायत सोनी सोरी ने भी सर्वोच्च न्यायालय में की थी..वर्षा डोंगरे ने रायपुर जेलमें आपनी ड्यूटी के दौरान इस बात के सबूत जमा कर लिए थे इसलिए उन्हें सजा के तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है.

वर्षा डोंगरे पुरानी योद्धा हैं. उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य प्रशासनिक सेवा परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर एक मुकदमा किया था, जिसमें वर्षा डोंगरे जीत गई थी. अदालत ने मुकदमा खर्च के तौर पर राज्य शासन से कहा कि वह वर्षा डोंगरे को पांच लाख रूपये का मुआवजा दे. लेकिन आज तक वर्षा डोंगरे को एक भी पैसा नहीं मिला.

वर्षा दलित महिला हैं इसलिए उनका संघर्ष लाखों दलित महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है. बाबा साहब को दलित समाज से सरकारी नौकरी में जाने वालों से शिकायत थी कि वे अपने समाज को भूल जाते हैं. लेकिन वर्षा डोंगरे ने बाबा साहब की आशाओं को जिन्दा किया है.

उन्होंने आदिवासी महिलाओं के दमन के खिलाफ अपनी नौकरी को खतरे में डाल कर जो साहस दिखाया है, उसके लिए उन्हें सम्मानित किया जाना चाहिए लेकिन अभी तो वह सजा भुगत रही हैं.

  • हिमांशु कुमार

Read Also –

वर्षा डोंगरे के खिलाफ शासकीय कार्यवाही का विरोध करो!
महिलाओं के खिलाफ हिंसा में पुलिसकर्मियों की भूमिका और आम जनों का प्रतिशोध 

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…