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आतंक की पुलिसिया पाठशाला : सैफुल्ला बनाम दूबे

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आतंक की पुलिसिया पाठशाला : सैफुल्ला बनाम दूबे

सैफुल्ला बनाम दूबे

आठ पुलिस वालों को भारी हथियारों की मदद से मारने वाले विकास दुबे के नाम के साथ बदमाश और हिस्ट्रीशीटर लगा हुआ है, जबकि मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश असेंबली चुनावों के दौरान लखनऊ में हुए एक एनकाउंटर में सैफुल्ला को आतंकी कहा गया था.

8 या 9 मार्च, 2017 में उज्जैन भोपाल पैसेंजर ट्रेन में एक हल्का विस्फोट होता है. कुल एक दर्जन लोग घायल होते हैं. मामूली किस्म का विस्फोटक था. तुरंत मध्यप्रदेश पुलिस 3-4 संदिग्ध को पकड़ लेती है और उनकी निशानदेही पर उसी देर रात लखनऊ में सैफुल्ला एनकाउंटर होता है. इस घटना में कुछ तथाकथित आतंकी जिनको आईएसआईएस से जुड़ा बताया था, वो भोपाल जेल में है तो कुछ लखनऊ जेल में.

इन्हीं लोगों ने वाराणसी और पटना में हुई मोदीजी की सभा से पूर्व आइईडी विस्फोट करने की कोशिश की थी, पहले ऐसा एनआईए ने दावा किया था, और यह फैलाया गया था कि मुस्लिम आतंकवाद से हिन्दु हृदय सम्राट मोदी को जान का खतरा है, और उन्हें आतंकी संगठन से धमकी मिली है. यह तो घिसा हुआ अलार्म बन चुका है. पता नहीं कितनी बार इस तरह की मीडिया हेडलाइन्स बनी होंगी.

यह पूरा खेल तेलांगना काउंटर इंटेलीजेन्स सेल (तेलंगाना पुलिस) का किया धरा था. उन लोगों ने एक फर्जी प्रोफाइल बनाई थी आईएसआईएस के नाम पर टेलीग्राम एप्प के ऊपर और वहां से यूपी के कुछ बेरोजगार गरीब मुस्लिम युवाओं को जिहाद और अल्लाह के नाम पर भड़काया था.

तेलांगना पुलिस के उस स्पेशल सेल के लोग उन दिनों यूपी में सक्रिय थे और उन्होंने यह सब प्लांट किया. इन सब को थोड़े बहुत पैसे दिए और काम चलाऊ विस्फोटक जो सिर्फ धमाका करके कुछेक को घायल कर सकते हो, उसी लेवल का दिया. ये लोग इन लड़कों के साथ साथ थे. ट्रेन में जब बम रखा तब भी और जहां-जहां वाराणसी, पटना में सभा होनी थी तब भी.

वाराणसी पटना वाले फुस्स विस्फोटक तो बजने से पहले ही बरामद कर लिए जाते थे एनआईए के जरिये और भोपाल उज्जैन पैसेंजर ट्रेन वाला विस्फोट हुआ. जैसे ही विस्फोट हुआ तेलंगाना पुलिस ने मध्यप्रदेश पुलिस को अलर्ट किया. ये लो हमसे इनपुट. ये 4 लड़के फलानी रोड पर फलाने नम्बर की बस से भाग रहे हैं, इनको पकड़ लो. वो चारों पकड़े गए. जब कुटाई हुई तो सैफुल्ला का पता लगा. उसको एनकाउंटर में मार डाला गया.

अब ये सब इस्लामिक आतंकवाद आईएसआईएस से हिंदुत्व खतरे में है. इन सब प्रलाप से बहुसंख्यक हिंदु एक तरफ वोट कर देता है और वो जीत जाते हैं.

तेलांगना पुलिस की इस पूरी एक्टिविटीज की पल-पल की खबर काउंटर इंटेलीजेन्स करते हुए आंध्र पुलिस की इंटेलीजेन्स को थी. उन दिनों चंद्रबाबू नायडू भाजपा के सहयोगी तो थे लेकिन पॉलिटिकल इंटेलीजेन्स और टेक्नोलॉजी के खिलाड़ी हैं वो. अतः जब तक वो फायदा उठा सकते थे रहे भाजपा में, फिर अलग हो गए.

उन्हीं दिनों दिग्विजय सिंह जी प्रभारी हुआ करते थे तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के. उनका इंटेलिजेंस नेटवर्क और सौर्स अच्छा था. उन्होंने एक दिन ताबड़तोड़ टवीट कर दिए कि ‘तेलंगाना मुख्यमंत्री ने यह अच्छा नहीं किया. निर्दोष मुस्लिमों को इस तरह आतंकी बनाना ठीक बात नहीं है.’

अब मामला बिगड़ने लगा था. कांग्रेस पार्टी ने बयान दिया कि यह दिग्विजयसिंह का अपना बयान है, पार्टी का नहीं है कोई लेना देना. अब फिर से दिग्विजय सिंह का चरित्र हनन शुरू हो गया. उन पर हैदराबाद में एफआईआर दर्ज हुई. वगैरह.

मेरी खोजी पत्रकारिता के दौरान जो मुझे टिप मिला करती थी, इस तरह के घटनाओं से सम्बंधित मैंने उसको पढ़ा, समझा और लखनऊ में रिहाई मंच वाले एडवोकेट शोएब से मिला, जो इन सब लड़को का केस देख रहे थे. उनके जरिये कानपुर के एक परिवार से भी मिला जिनके बच्चे आज जेल में बंद हैं. उन्होंने उन सब घटनाओं की तस्दीक की जो उस दौरान हुई थी.

मैंने सोचा मदद की जाए इन लड़को को बाहर निकलवाने में, अतः दिग्विजयसिंह से मिला. उन्होंने कहा ‘मुझे तो यह पक्की खबर थी कि यह गड़बड़ी कहांं से और क्यों हुई है, लेकिन मैं तो अब इस विषय पर कुछ नहीं बोलूंगा क्योंकि पार्टी साथ नहीं देगी.’

जब कांग्रेस पार्टी में बात की तब उन्होंने कहा कि चुनाव का टाइम है, अभी इस पर बोलने का मतलब भाजपाई इतना जोर से हिंदु-मुसलमान करेंगे कि उनके प्रोपेगेंडा के चलते हम बहुत बर्बाद हो जाएंगे. अतः फिर कभी देखेंगे. इस टॉपिक पर एक फ़िल्म आई थी कुछेक महीने पहले ‘मुल्क’. ऋषि कपूर और तापसी पन्नू वाली याद होगा.

उसके बाद मैं भी लोकसभा चुनाव और अलादीन के चिराग वाले लफड़ों में उलझ गया. दुबारा इस विषय पर फुर्सत नही मिली और न कोई उचित मौका या मंच मिला, जिसके जरिये इन सब मुद्दों को उठाया जा सके. और मेरी सब राम कहानी सुनेगा कौन ? मैं कौन, खामख्वाह इसलिए मैं भी चुप हूंं.

अब आप पूछोगे कि आईएसआईएस के इस आतंकी मोड्यूल वाली घटना से तेलंगाना राज्य के सीएम का क्या लेना देना ? उनको क्या फायदा ? तो वो सब उसी जिओ पॉलिटिकल गेम से एक दूसरे से कनेक्टेड है.

पुनश्च, यदि सैफुल्ला आतंकी है तो विकास दुबे को भी आतंकी कहने की हिम्मत भारतीय मीडिया को दिखानी होगी।

  • नवनीत चतुर्वेदी

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