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शहर जलता रहा, सत्संग चलता रहा

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शहर जलता रहा, सत्संग चलता रहा

Manmeetमनमीत, सब-एडिटर, अमर उजाला

इधर हम हिन्दू-मुस्लिम फसाद में उलझे रहे, उधर चीन अपने को मजबूत करता रहा. हम सड़कों पर उतर कर अपने धर्म पर गर्व करते रहे तो उधर चीन अपनी सीमाओं का विस्तार करता रहा. हमारी नजर चीन की इस हरकत पर नहीं गयी. कैसे जाती हमारी नजर तो सुप्रीम कोर्ट के उस जिरह पर थी, जिससे हमारा धर्म विजय पताका फहराता. हम धर्म के नशे में धुत होकर भगवान को दूध पिलाते रहे, उधर नास्तिक चीन सुपर पावर बन गया.

मेरी बात आप लोगों को नाराज कर सकती है लेकिन ये ही सत्य है. हमारी पूरी कौम को अल्पसंख्यकों का डर दिखाया गया ताकि बहुमत का वोट मिल सके. इसी डर के चलते, हमारी नई पीढ़ी बौद्धिक रूप से खोखली हो गयी. वो मार डालो, काट डालो, मसल डालो से आगे न सोच सकती है और न ही वक्त को बदल सकती है.

आपका भगवान आपको बचाने कभी नहीं आया. वो आगे भी नहीं आयगा. वो तब भी नहीं आया जब आप ढाई सौ सालों तक गुलाम रहे, वो तब भी नहीं आया जब आप भुखमरी और आपदाओं में मर खप रहे थे. हमारी बड़ी आबादी डेंगू, हैजा, कुपोषण और बाढ़ में निपट गयी. तब भी कोई नहीं आया.

चीन को ये अक्कल बहुत पहले आ गयी थी इसलिए भारत से आज़ादी दो साल बाद मिलने के बाद भी वो आज वहां खड़ा है, जहां आप भी हो सकते थे. भारत ने तो अंग्रेज़ों की गुलामी की, जबकि चीन पर सात से ज्यादा देशों का कब्जा था, जिसे यूरोपीय लोग ‘Cutting Cake of China Theory’ कहते थे.

जब उन्हें आज़ादी मिली तो उनकी हालत हमसे भी गयी गुजरी थी. हमें तो फिर भी अंग्रेज़ों ने गुलामी के साथ दुनिया की सबसे बड़ी पोस्टल सर्विस, पर्यटन स्थल और रेलवे दिया. चीन को केवल अफीम की खेती मिली, जिससे वहां के 80 फीसद युवा 1930 तक अफीमची थे. लेकिन, उन्हें फिर अक्कल आयी और सबसे पहले उन्होंने अपना जहिलपन और कूपमण्डूक होना छोड़ा.

हमारा बड़ा दुश्मन पाकिस्तान नहीं है, चीन है. पाकिस्तान इसलिए नहीं है, क्योंकि वो भी हमारी तरह अपनी युवा पीढ़ी को धर्म पर गर्व करना ही सीखा पाया है. देखो, एक मुस्लिम कट्टरपंथी देश का क्या हाल है. लेकिन, हमने फिर भी पाकिस्तान की तरह बनना ही ज्यादा बेहतर समझा और चीन बिना भगवान को माने ही कहांं पहुंच गया !

अभी भी वक्त है. मन्दिर-मस्जिद को छोड़ो. विश्वस्तरीय यूनिवर्सिटी खोलो. स्कूली शिक्षा पूरी तरह नि:शुल्क करो, अनुसंधान में खर्च बढ़ाओ, जातिवाद छोड़ो, सब मिलकर रहो और देश को मजबूत करो.

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ROHIT SHARMA

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