उद्योगपतियों से कॉन्फ्रेंस में उद्योगपतियों के चाचा आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के पुरे भाषण का सार इतना ही था सरकार हर पब्लिक सेक्टर की इंडस्ट्री बेचने को तैयार है. आओ मिलकर लूट लो. डिफेन्स, स्पेस, परमाणु ऊर्जा, कोयला खनन जैसे सेक्टर सरकार अपने प्रिय वैश्य मारवाड़ी उद्योगपतियों को देना चाहती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने स्पष्ट कर दिया कि वह जनता के टैक्स के पैसे से बनी हर पब्लिक इंडस्ट्री को बेचना चाहते हैं !
जब सब काम निजी क्षेत्र करेगा तो सरकार क्या करेगी ? भारत का कॉरपोरेट जगत बहुत बुरा और स्वार्थी है, महामारी संकट में उसने अपना दायित्व नही निभाया. पब्लिक इंडस्ट्री को कॉरपोरेट घराने खरीदेंगे, हर कॉरपोरेट घरानों पर पहले से लाखों करोडों का क़र्ज़ है. ऐसा नहीं है कि उनके पास पैसा नहीं है लेकिन एक रुपया भी घर से नही लगाऐंगे.
फिर पब्लिक इंडस्ट्री को कैसे खरीदेंगे ? बैंक लोन से, जी हां. हर खरीदी को निवेश के नाम पर बैंक लाखों करोड़ों रुपए उद्योगपतियों को देंगे, फिर इसी क़र्ज़ की रकम से यह लोग पब्लिक इंडस्ट्री आम जनता की कंपनियों के मालिक बन जाएंगे और क़र्ज़ कभी नहीं लौटाएंगे.
जब आज तक किसी बड़ी प्राइवेट कंपनी ने पूरा क़र्ज़ नहीं वापस किया तो आगे क्या करेंगे ? इसी प्रक्रिया को मोदी मॉडल अर्थात गुजरात मॉडल कहा जाता है. कंपनी जनता की, क़र्ज़ जनता का. मोदी जी ने क़र्ज़ को किसको दिया ? उस क़र्ज़ से जनता की कंपनी किसने खरीदी ? मालिक कौन बना ?
आप कुछ नहीं कर पाएंगे. मोदी जी के पास आपके विद्रोह आंदोलन प्रदर्शन की दवा है. उनके पास कई चेहरे, कई मुखौटे हैं. जब मर्ज़ी उन चेहरों मुखौटों को लगाकर आपको मंदिर, मस्जिद, पाकिस्तान, मुस्लिम के नाम पर भ्रमित कर देंगे. होश आते ही … देश बिक चुका है, मुबारक हो आप ग़ुलाम हैं !
निजीकरण से आरक्षण खत्म हो रहा है, सरकारी नौकरी रही नहीं, आगे क्या करने का विचार है ? विद्रोह या ग़ुलामी ?
- क्रांति कुमार वासरमैन
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