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6वें साल पूरे होने पर मोदी की चिट्ठी

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6वें साल पूरे होने पर मोदी की चिट्ठी

प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल के 6वें साल पूरे होने पर कल देशवासियों के लिए एक चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने अपनी पांच बड़ी उपलब्धियों का जिक्र किया है. आप भक्त हों, वामपंथी हों, कांग्रेसी हों, भाजपाई हों, संघी हों या जो भी हों, बस एक बार देश के नागरिक बनकर ईमानदारी से इन उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए और सोचिए कि इनसे आपको क्या मिला ? और देश के सबसे अंतिम व्यक्ति की रोटी के लिए इन योजनाओं में कितनी ताकत थी ? और ये भी सोचिए कि इन उपलब्धियों के पीछे सरकार की सोच क्या रही ?

1. 370 का हटना
क्या आपको सच में लगता है कि इससे आपकी जिंदगी में कोई बदलाव आया ? इंच भर भी बदलाव आया हो तो जरूर बताइए.

2. राम मंदिर
इससे आपकी आमदनी में कोई वृद्धि हुई ? किसी गरीब का पेट भरा ? सच बताना.

3. नागरिकता कानून, 2019
आप के परिवार को इससे कुछ मिला ? आपके परिवार में से किसी सदस्य को कुछ मिला ? आपके रिश्तेदारों, रिश्तेदारों के रिश्तेदारों को कुछ मिला ?

4. ट्रिपल तलाक
क्या इससे आपकी औरतों की जिंदगी में कोई बदलाव आया ? क्या इस एक कानून से सभी मुस्लिम औरतों की जिंदगी में कोई खुशहाली आई ? क्या इससे किसी भी समुदाय की औरतों की आय बढ़ी ? किसी भी समुदाय की औरतों की शिक्षा में वृद्धि हुई ?

5. चीफ ऑफ आर्मी की नियुक्ति
क्या आपको सच में लगता है इसे उपलब्धि माना जाना चाहिए ? अच्छा ! उपलब्धि मान ही लेते हैं, तब बताइए इस फैसले से किस एक व्यक्ति की जिंदगी में कोई बदलाव आया ? कोई एक आदमी ही गिना दो.

कुल मिलाकर सभी पांच फैसलों में से कोई भी एक फैसला ऐसा नहीं है जिसने एक भी नागरिक की जिंदगी में समृद्धि लाई हो, उसकी रोटी का इंतजाम किया हो, उसकी छत की व्यवस्था की हो, उसे कर्ज से निकाला हो. ये सिर्फ और सिर्फ आपकी सोच को संकुचित बनाने के लिए, लिए गए फैसले थे. इन सबके पीछे की सोच सिर्फ और सिर्फ आपके मन में मुस्लिमों के प्रति पूर्वाग्रहों को बढ़ाने की रही है. इतना जहर हमारे पहले से ही हमारे आसपास है. इतने जहर को लेकर आप कहांं जाएंगे ?

क्या आपने गौर किया कि इन सब फैसलों क्या चीज कॉमन है ? सिर्फ एक चीज कॉमन है, वह है मुस्लिम.
ट्रिपल तलाक में मुस्लिम, 370 में मुस्लिम, नागरिकता कानून में मुस्लिम, राम मंदिर में मुस्लिम. जिस आदमी ने आपको रुपए की कीमत बढ़ाने, एनपीए कम करने, कालाधन वापस लाने, महंगाई नियंत्रित करने और हवाई जहाज के सपने दिखाकर वोट लिए थे वह बदले में आपको क्या दे रहा है ?

हकीकत यही है कि उसने आपको मुस्लिम, मुस्लिम, मुस्लिम के अलावा कुछ नहीं दिया. इसका नुकसान पूरे देश की अर्थव्यवस्था को भुगतना पड़ रहा है. इन सभी फैसलों ने देश के ही एक महत्वपूर्ण हिस्से को टारगेट किया, उसमें असुरक्षा का भाव भरा, जिसका परिणाम ये हुआ कि पूरे देश में, संसद में हर जगह हिन्दू मुस्लिम की डिबेट ही साल भर हावी रही.

आप पिछले एक वर्ष में संसद की उस एक डिबेट को याद कीजिए जिसमें तरक्की की बहस हो रही हो ? आप यकीन करिए आपको ऐसी एक भी डिबेट नहीं मिलेगी. सिर्फ चिल्लाते नेता मिलेंगे, उनकी जुबान पर हिन्दू-मुसलमान मिलेंगे.

जब अर्थव्यवस्था की बात ही नहीं होगी तो अर्थव्यवस्था का ढप्पा बैठना तय ही था. एक दिन पहले ही जीडीपी के आंकड़े आ आए हैं, जो लॉकडाउन से पहले के आंकड़े हैं. जो जीडीपी दर कभी एवरेज 7% हुआ करती थी, वह आज 7 से गिरकर 3.1 पर आ पहुंची है. आधे से भी कम पर.

आज आप इन सब मसलों को इग्नोर कर लीजिए लेकिन इसका असली नुकसान अल्पसंख्यकों को नहीं बल्कि बहुसंख्यकों को होना है. अर्थव्यवस्था आपकी भी तो है, नौकरी, रोजी, रोटी आपकी भी तो है. अस्पताल की जरूरत आपको भी तो है. ट्रेनों की जरूरत आपको भी तो है.

आज आप मुझे में गाली दे लीजिए, या कह लीजिए कि तुम कायर हो, सरनेम में सिंह क्यों लगा रखा है या ये भी पूछ लीजिए कि मैं हिन्दू हूंं या मुसलमान हूंं, कट्टर हिन्दू हूंं या इस्लामोफिबिक हूंं, सिक्युलर हूंं या संघी हूंं लेकिन जिस दिन वियतनाम और ग्रीस की तरह बैंकों के आगे लाइन लगाकर भीख मांगोगे, तब मेरे जैसे लिखने वाले छोटे-बड़े सब याद आएंगे. वो जो हालत होगी ! वो जो अर्थव्यवस्था होगी ! वह आपसे ये न पूछेगी तुम्हारा सरनेम क्या है, तुम हिन्दू हो या मुसलमान ?

  • श्याम मीरा सिंह, पत्रकार

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