नरसंहार शोधकर्ता डॉ. ग्रेगरी स्टैंटन
पं. किशन गोलछा जैन, ज्योतिष, वास्तु और तंत्र-मंत्र-यन्त्र विशेषज्ञ
यदि हत्यारे डाकू बलात्कारी अपराधी पापी प्रत्याशी लोकतंत्र के मन्दिर में ‘पुरोहित’ (सांसद या विधायक ) बनेंगे तो उस मन्दिर (संसद भवन) का खण्डहर होना तय है, जहांं वे (धार्मिक) चरस और अफीम का धंधा करते हैं. धर्म की ये अफीम भारत का एक न एक दिन विनाश जरूर करेगी….याद रखना मेरी बात !
क्या बहुत ही जल्द भारत में वृहद जनसंहार हो सकता है ? नरसंहार शोधकर्ता डॉ. ग्रेगरी स्टैंटन ने अभी हालिया बयान में कहा था कि ‘भारत में नरसंहार की तैयारी चल रही है.’ डॉ. ग्रेगरी स्टैंटन नजदीकी समय में मुमकिन नरसंहारों के संकेतों के अध्ययन करने वाले दुनिया के प्रमुख अधिकारियों में से एक हैं और उन्होंने ‘जेनोसाइड वाच’ संस्था की स्थापना की है, जिसके अधीन ‘नरसंहार ढांचे के दस चरणों’ को राष्ट्रों के वैश्विक अध्ययन के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
जेनोसाइड वाच वेबसाइट पर ‘नरसंहार के दस चरणों’ की जो सूची दी गई है, वो ये है –
- वर्गीकरण,
- प्रतीकीकरण,
- भेदभाव,
- अमानवीकरण,
- संगठन,
- ध्रुवीकरण,
- तैयारी,
- उत्पीड़न,
- तबाही, और
- इनकार…
उन्होंने अभी भारत को 5वें नंबर पर रखा है, मगर मेरे हिसाब से भारत में कमोबेश रूप से 6-7-8 स्टेज भी पार हो चुकी है. पहली, दूसरी, तीसरी, चौथी यथावत, पांचवीं, छठीं, सातवीं और आठवीं स्टेज मनु के जमाने में चल रही है।
डॉ. ग्रेगरी के अनुसार भले ही भारत अब पांचवी स्टेज पर आ चुका है, जो संगठनात्मक है अर्थात धार्मिक समुदायों के सांप्रदायिक संगठन बन चुके हैं लेकिन मेरे हिसाब से संगठन का काम तो भारत में पिछली सदी में ही शुरू हो चुका था और 70 से लेकर 90 तक ध्रुवीकरण का कार्य प्रसार पर था. उसके बाद के दशकों में इन धार्मिक संगठनों ने जबरदस्त तैयारी भी की और उसके बाद (अब तक) 3 बार जनसंहार करने की कोशिश भी की गयी लेकिन तीनों बार सिर्फ कुछ हद तक कामयाबी ही मिली और बड़ा जनसंहार होने से बच गया.
मुझे लगता है अब तो भारत तबाही वाली स्टेज पर है. भारत अंदर ही अंदर जवालामुखी की तरह सांप्रदायिक आग उगल रहा है. जिस दिन ये ज्वालामुखी फटेगा, भयंकर तबाही होगी और शायद इतना बड़ा नरसंहार होगा जितना शायद पहले और दूसरे विश्वयुद्ध में भी नहीं हुआ था !
इसीलिये तो मैं हमेशा इन धार्मिक कटटरपंथियों के खिलाफ लिखता हूंं ताकि लोग सच को समझे और आने वाले कल के जनसंहार से बचा जा सके. लेकिन गोदी मीडिया ऐसा भ्रम फैला रहा है कि लोग गफलत में सच और झूठ में अंतर तक नहीं कर पा रहे है ! ये टीवी चैनल के बकैत जोर जोर से चिल्ला कर आसमान सर पर उठाकर जो बहुमत की बकैती करते हैं, उसी का परिणाम है कि नेता अपने आपको शहंशाह समझने लगे हैं.
जब तक इस भ्रष्ट भारतीय मीडिया के मुंह में कपडा नहीं ठूंंसा जाता, देश की औसत बुद्धि जनता को ये यूं ही गुमराह करते रहेंगे. एंकरों का यूं गला फाड़कर चिल्लाना और मोदी विरोध में बोलने वालों को हड़काकर चुप करवाना, स्पष्ट बतलाता है कि ये मोदी के टॉमी है जबकि पत्रकारों और एंकरों का नैतिक दायित्व है कि वे जनता को सिर्फ सच से अवगत करवाये लेकिन ये एंकर तो शो में जज बनकर बैठते हैं तो सच कहे कौन ? मेरे सामने बहुमत का राग मत अलाापियेगा क्योंकि मैंने छह साल पहले ही लिख दिया था कि जनता को मिलेगा ‘बाबाजी का ठुल्लु.’
हमेशा याद रखिये – ‘बहुमत का मतलब ये नहीं होता कि अल्पमत ग़लत है.’ एक ज़माने में जब पूरी दुनिया पृथ्वी को चपटा कह रही थी, तो गोल बताने वाला आदमी अल्पमत में ही नहीं बल्कि अकेला था. आज हम जानते हैं कि वो अकेला आदमी ही सही था और बहुमत गलत.
मुझे ये समझ नहीं आता कि आम जनता सब कुछ जानते/समझते भी खमोश क्यों है ? शायद ड़रती है क्योंकि सदन में ज्यादातर अपराधी ही बैठे हैं और शरीफ आदमी अपराधियों से डरता ही है. लेकिन याद रखियेगा कि ‘यदि हत्यारे डाकू बलात्कारी अपराधी पापी प्रत्याशी लोकतंत्र के मन्दिर में ‘पुरोहित’ (सांसद या विधायक ) बनेंगे तो उस मन्दिर (संसद भवन) का खण्डहर होना तय है. और मंदिर के खंडहर (संसद भवन) में पूजा पाठ (संविधान) नहीं होता बल्कि नशेड़ी अपराधियों का जमावड़ा ही होता है, जहांं वे (धार्मिक) चरस और अफीम का धंधा करते हैं. और धर्म की ये अफीम भारत का एक न एक दिन विनाश जरूर करेगी….याद रखना मेरी बात !
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