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लाॅकडाउन की आड़ में लगातार गिरफ्तारी

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देश को कोरोना जैसे संकट की आड़ में सैन्य तानाशाही की अंधी गुफा में धकेल देने वाला केन्द्र का आदमखोर मोदी सरकार देश भर में फैले सामाजिक कार्यकत्र्ताओं, राजनैतिक विरोधियों, बुद्धिजीवियों, वकीलों, पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकत्र्ताओं आदि को एक-एक कर पकड़ा या खत्म किया जा रहा है. दुनिया भर में एक ओर जहां जेल में बंद बंदियों को रिहा किया जा रहा है, वहीं भारत सरकार जो वास्तव में आदमखोर मोदी सरकार है, ने जेलों में लगातार लोगों को भर रही है, यहां तक कि गर्भवती महिलाओं तक को न केवल जेल में भेजा जा रहा है बल्कि अपने गिद्ध मीडिया के सहयोग से दुश्प्रचार का दुर्गंध चारों को फैला रही है. नदीम खान की एक रिपोर्ट –

लाॅकडाउन की आड़ में लगातार गिरफ्तारी

हम इस खबर से बेहद दु:खी हैं कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने जामिया मिलिया इस्लामिया के कई अन्य छात्रों की तरह आसिफ इकबाल तन्हा को भी गिरफ्तार कर लिया है और उन पर जामिया हिंसा का मामला थोप दिया गया है . भयानक वैश्विक महामारी के बीच में छात्रों और सक्रिय जन कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करने की कड़ी में श्री आसिफ की गिरफ्तारी है. आसिफ इकबाल जामिया मिलिया इस्लामिया में पर्शियन डिपार्टमेंट के छात्र हैं. उन्हें पूर्व में 8 अप्रैल को स्पेशल सेल ने पूछताछ के लिए बुलाया था और वह लगातार पुलिस को पूछताछ में सहयोग कर रहे थे.

इससे पहले भी उनको कम से कम चार बार क्राइम ब्रांच पूछताछ के लिए बुला चुकी थी. हर बार वे वहां गए और उनके पास जो भी जानकारी थी, उन्होंने स्पष्ट रूप से तथ्यों के साथ वहां वहां प्रस्तुत की. कल शाम दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उन्हें उनके कमरे से उठाया और बाद में आज चाणक्यपुरी के क्राइम ब्रांच ऑफिस में उन्हें गिरफ्तार दिखा दिया गया, बाद में उन्हें ड्यूटी मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट, साकेत में प्रस्तुत किया गया. क्राइम ब्रांच ने 3 दिन की पुलिस रिमांड की मांग की जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया और आसिफ को अब 14 दिन की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया है. इससे दो दिन पहले दिल्ली पुलिस ने जामिया मिलिया इस्लामिया के हॉस्टल के बाहर के कमरों पर छापा भी मारा था.

आसिफ इकबाल जामिया मिलिया इस्लामिया के एक चर्चित छात्र नेता हैं और वह एसआईओ संगठन के पदाधिकारी हैं. यह संगठन सीएए विरोधी आंदोलन का एक अग्रिम संगठन था. यह दिल्ली पुलिस का एक और ऐसा घिनौना कदम है, जिसमें उसने लोकतांत्रिक आवाजों को कुचल दिया है. नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध उठने वाली आवाजों को कुचलने के लिए झूठे केसों का सहारा लिया है. इससे पहले शोध छात्र मिरान हैदर और सफूरा जरगर को गिरफ्तार किया जा चुका है और उन पर पैशाचिक यूएपीए कानून ठोक दिया गया है.

इसके अलावा जामिया के पूर्व छात्रों के संगठन के अध्यक्ष शिफा उर रहमान को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इसके अलावा कई अन्य छात्रों को भी स्पेशल सेल बार-बार पूछताछ के लिए बुला रही है. यह लॉकडाउन का मखौल उड़ाना है और छात्रों के स्वास्थ्य के साथ में खिलवाड़ करना है. यह जानना जरूरी है कि दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के एक कर्मचारी को कोरोना पाया गया है.

इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि दिल्ली पुलिस जानबूझकर जामिया मिलिया इस्लामिया के उन छात्रों को निशाना बना रही है जो संविधान की रक्षा के लिए अवैधानिक सीएए कानून के खिलाफ आंदोलनरत थे. यह स्पष्ट होता है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के बाद अब पुलिस का अगला निशाना जामिया मिलिया इस्लामिया है और वहां पर वह अपराधिक तरीके से हमला कर रही है.

गर्भवती सफूरा अभी भी जेल में हैं और महामारी के बीच उसका इस तरीके से तिहाड़ की भीड़ भरी जेल में रहना उसके और उसके होने वाले बच्चे के लिए खतरनाक है. देश भर की कई प्रजातांत्रिक ताकतों ने इस प्रकार की गिरफ्तारी के खिलाफ दिल्ली पुलिस के विरुद्ध आवाज भी उठाई है. हम छात्रों की इस तरीके से अवैध गिरफ्तारी और सीएए विरोधी कार्यकर्ताओं पर झूठी कार्रवाई का जमकर विरोध करते हैं. हम मांग करते हैं कि सभी छात्रों और सीएए विरोधी सभी कार्यकर्ताओं को तत्काल और बगैर शर्त के रिहा किया जाए.

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