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लूटेरी काॅरपोरेट घरानों के हित में मोदी की दलाली, चापलूसी की विदेश-नीति

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लूटेरी काॅरपोरेट घरानों की दलाली, चापलूसी

यौं तो अर्द्ध-औपनिवेशिक देश का चरित्र धारण किये भारत की विदेश-नीति दलाली की ही है, पर हजारों लोगों की हत्या और नफरत की राजनीति का परचम लहराये देश की सत्ता पर काबिज नरेन्द्र मोदी की दलाल विदेश-नीति दलाली से भी आगे बढ़कर अंबानी और अदानी और माल्या जैसे लूटेरी काॅरपोरेट घरानों की दलाली, चापलूसी और देश की जनता को मूर्ख बनाने के लिए झूठे प्रचार पर आकर टिक गई है.

भारत की विदेश-नीति का निहितार्थ कमजोर राष्ट्र को दबाने, उसे तंग करने और मजबूत राष्ट्र के सामने दुम हिलाने अर्थात् दलाली कराने की रही है. नेहरू के काल से ही भारत दलाली और विस्तारवादी नीति को अंजाम देता आया है, जिस कारण भारत के तमाम पड़ोसी राष्ट्रों के साथ सम्बन्ध न केवल बेहद ही खराब रहे हैं, वरन् युद्धग्रस्त भी रहा है.

प्राचीन काल से ही बेटी-रोटी का सम्बन्ध वाले बेहद कमजोर राष्ट्र नेपाल के साथ वर्तमान मोदी सरकार की नीति उसे लगातार दबाने और नाकेबन्दी के माध्यम से उसे हमेशा तंग करने की रही है, जिस कारण आम नेपाली आवाम में भारत के प्रति नफरत का ही संचार है. श्रीलंका, बंगलादेश के साथ भी इस सरकार के सम्बन्ध कभी अच्छे नहीं रह पाये हैं तो वहीं पाकिस्तान के साथ तो नफरत और घृणा इस स्तर पर फैला दिया गया है कि दोनों राष्ट्र की सरकारें भी इसी नफरत और घृणा को कायम रखने को लेकर बनती और बिगड़ती है. चीन के साथ भारत के सम्बन्ध में भारत दलाली की नीति अपनाता है. अमेरिका और अन्य पश्चिमी राष्ट्र के सामने भारत की विदेश-नीति दुम हिलाने से ज्यादा और कुछ नहीं है.

विदेशों के साथ बेहद खराब सम्बन्ध का हवाला देकर सत्ता में आयी नरेन्द्र मोदी सरकार उपग्रह की तरह पृथ्वी का चक्कर काट रही है, पर इससे देश को कुछ भी हासिल नहीं ही हुआ अलबत्ता पूरी दुनिया में भारत को शर्मशार ही किया गया है. विदेशी पूंजी देश में लाने के लिए पूरी दुनिया के राष्ट्रों के साथ समझौते किये, जिसकी कोई भी सार्थकता सामने नहीं आ पाया है. मोदी के विदेश भ्रमण को सही साबित करने के लिए एक ही शब्द का प्रयोग किया जाता है वह है ‘‘भविष्य में’’.

मंहगाई, भूखमरी, आत्महत्या, बेरोजगारी, अपराध आदि से जूझ रही देश के जनता के हर समस्या का जबाव नरेन्द्र मोदी की सरकार के पास है और वह है भविष्य के 2022 में. कुछ का निदान तो 2032 में भी होने का दावा किया जा रहा है. जिसका साफ तौर पर अर्थ है अब तक की सबसे अक्षम नरेन्द्र मोदी सरकार केवल जनता को मूर्ख बना रही है और उसका वजूद केवल मूर्खों के सामने ही है.

आखिर इस नरेन्द्र मोदी सरकार की वास्तविकता में पहचान क्या है ? उसकी वास्तविक पहचान दलाल की ही है जो देश की जनता को लूटकर अम्बानी और अदानी जैसे काॅरपोरेट घरानों की निजी मिल्कियत को मजबूत करने और देश की सम्पत्ति को इन्हीं निजी घरानों के हाथों में गिरवी रखना है. रेलवे और एयर-इंडिया जैसे जनता की मिल्कियत को निजी हाथों में सौंपना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है तो वहीं देश की जनता के विशाल धनराशि का उपयोग कर नरेन्द्र मोदी का विश्व-भ्रमण भी अंबानी और अदानी जैसे काॅरपोरेट घरानों की हितों को विस्तारित करना ही है.

इस सरकार की मूर्खता और लोगों को मूर्ख बनाने की शानदार नीति का सूत्र देश की हिन्दु-ब्राह्मणवादी व्यवस्था में टिका हुआ है, जहां एक ओर पाकिस्तान पर बढ-़चढ़ कर हमला करने से जुड़ी हुई है तो वहीं चीन को ‘मंत्र-जाप’ से नष्ट कर देने से. जबकि देश के सेना की वास्तविक स्थिति यह है कि ‘‘महज 10 दिन भी युद्ध करने लायक साजो-समान नहीं है’’ (संसद के सामने कैग की रिपोर्ट).

ऐसे में जब देश की सुरक्षा और सम्मान एक बेहद कमजोर तत्व के हाथों में हो तो देश की जनता को युद्ध और चमक-दमक दिखाने से क्या फायदा ? इसका फायदा केवल यह है कि देश को आसन्न खतरे की बात बता कर देश की जनता को अपनी बुनियादी समस्या – रोटी, कपड़ा, चिकित्सा, शिक्षा, रोजगार आदि की बात से दूर करना. जनता को डराना कि ‘‘राजा नंगा है’’, आवाज न उठाये.

भारत पहले इन्हीं नीतियों के कारण ईस्ट इंडिया कम्पनी की गुलाम बनी थी और अब अंबानी और अदानी की कम्पनियों द्वारा गुलाम बनाने का दौर शुरू हो गया है. देखना यही है कि देश की आम जनता इस नृशंस हत्यारी और नौटंकीबाज दलाल मोदी सरकार के तमाशों के खिलाफ कब आवाज बुलन्द करती है ?

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