सलंग्न चित्र ज़ूम अर्थ के अम्फान साइक्लोन ट्रेकर से लिया गया है.
पं. किशन गोलछा जैन, ज्योतिष, वास्तु और तंत्र-मंत्र-यन्त्र विशेषज्ञ
मारवाड़ी में एक कहावत है – ‘करमहीण खेती बावे जद या तो काळ पड़े या बैल मरे’ अर्थात जब भाग्यहीन खेती करता है, या तो बैल मर जाता है या अकाल पड़ जाता है (यानि वो खेती से फसल रुपी लाभ नहीं ले पाता).
उपरोक्त कहावत बीजेपी पर बिल्कुल फिट बैठती है. जनसंघ के जमाने से लेकर बीजेपी के मोदीकाल तक बीजेपी को जब भी शासन मिला जनता में त्राहि ही मची है, चाहे वो प्राकृतिक आपदाओं के कारण से हो या महामारियों और दूसरे कारणों से. और जनता के त्रस्त होने पर बीजेपी हमेशा सत्ता पर रहते पीठ दिखाकर भागी है. अब देखना ये है कि मोदी कब सत्ता छोड़कर भागता है ?
मोदी के पहले कार्यकाल में आपने सत्ता का कहर झेला था और अब मोदी के दूसरे कार्यकाल में कोरोना के साथ ‘अम्फान’ तूफ़ान का कहर भी झेलने को तैयार रहिये क्योंकि अम्फान बंगाल की खाड़ी से चक्रवाती तूफ़ान के रूप में 200 किमी की रफ्तार पकड़ चुका है और आने वाले 24 से 72 घंटों तक भयंकर तबाही मचायेगा.
सर्वप्रथम ये बंगाल की खाडी से लेकर उड़ीसा के तटीय इलाकों तक कोहराम मचा सकता है, उसके बाद तमिलनाडु से लेकर कर्णाटक तक और वेस्ट बंगाल से लेकर असम, मेघालय तक और झारखण्ड, बिहार से लेकर यूपी और दिल्ली तक इसका कहर बरप सकता है (ये हाल तब है जब ये मानसून का साइक्लोन नहीं है).
पिछले दिनों दिल्ली में ओलावृष्टि के साथ तेज बारिश भी इसी अम्फान की चेतावनी थी. एक बात और समझ लीजिये कि जितना तापमान गिरेगा, उतना ही कोरोना के लिये सहयोगी बनेगा क्योंकि मौसम की आद्रता कोरोना की वृद्धि दर बढ़ाने में प्रभावी होगी !
वैसे आपको बता दूंं कि तूफान का केंद्र त्रि-तटीय है, जो भारत के उड़ीसा, पश्चिम बंगाल के साथ-साथ बांग्लादेश को भी लपेटेगा ! अम्फान तूफान साल 2004 में तैयार की गयी तूफानों की लिस्ट का आखिरी नाम है और ये नाम इसे थाईलैंड ने दिया था.
दुनिया भर में तूफानों के नाम 5 कमेटियां फाइनल करती हैं और इन कमेटियों के नाम हैं :
- इस्केप टाइफून कमेटी
- इस्केप पैनल ऑफ ट्रॉपिकल साइक्लोन
- आरए 1 ट्रॉपिकल साइक्लोन कमेटी
- आरए- 4, और
- आरए- 5 ट्रॉपिकल साइक्लोन कमेटी
सबसे पहले विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने चक्रवातों के नाम रखने की शुरुआत की लेकिन भारत में तूफानों का नाम देने का चलन 2004 से शुरू हुआ था. भारत के साथ-साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार, ओमान और थाइलैंड ने भी तूफानों को नाम देने का फॉर्मूला तैयार किया तथा इन 8 देशों की ओर से सुझाये गए नामों के पहले अक्षर के अनुसार उनका क्रम तय किया जाता है और उसी क्रम के अनुसार चक्रवातों के नाम रखे जाते हैं.
इन आठ देशों में अगर चक्रवात आता है तो भेजे गये नामों में बारी-बारी एक नाम चुना जाता है. भारत में 10 साल तक एक नाम दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता, साथ ही ज्यादा तबाही मचाने वाले चक्रवातों के नाम को निरस्त कर दिया जाता है. इस बार थाईलैंड की तरफ से भेजे गये नामों में से तूफान का नाम चुना जाना था इसलिये भारत में आये इस तूफान को ‘अम्फान’ नाम दिया है.
ऐसा अंदेशा है कि इससे सिर्फ उड़ीसा में ही 11 लाख लोग प्रभावित हो सकते हैं, इसीलिये तो मोदीजी अपनी कैबिनेट के साथ इमरजेंसी मीटिंग कर रहे हैं क्योंकि इस सुपर साइक्लोन से सबसे ज्यादा नुकसान सार्वजनिक क्षेत्रों में होगा. बिजली एवं संचार के खंभे मुड़ या उखड़ सकते हैं, ऊपर से गुजरने वाली बिजली की तारों एवं सिग्नल प्रणालियां प्रभावित हो सकती हैं तथा तैयार फसलों, खेतों-बगीचों को बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है.
‘अम्फान’ ओडिशा के पारादीप से 790 किलोमीटर दक्षिण में, पश्चिम बंगाल के दीघा से 940 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम और बांग्लादेश के खेपुपारा से 1060 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम तटों से टकरायेगा और कल तक इसकी रफ्तार 200 किमी प्रति घंटा तक हो जायेगी.
एनडीआरएफ की 17 टीमें तो मीटिंग से पहले ही प्राथमिकता के हिसाब से तैनात कर दी गयी है, जिसमें 10 उड़ीसा और 7 पश्चिम बंगाल में तैनात की गयी है (ज्ञात रहे एक टीम में 45 सदस्य होते हैं) और बाकी टीमों को भी अलर्ट पर रखा गया है.
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