मारकण्डे काटजू ने जब अमिताभ बच्चन को ‘‘खाली दिमाग’’ वाला बताया था, तब बहुतों के गले यह बात नहीं उतरी थी. कईयों ने अनेकों प्रकार से प्रतिक्रिया भी दिया था. परन्तु अमिताभ बच्चन ने जल्दी ही देशवासियों को इस बात का यकीन दिला दिया कि ‘‘न केवल वह खाली दिमाग ही हैं, वरन् पैसों से भूखे भी हैं.’’
आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास द्वारा हरिवंशराय बच्चन द्वारा लिखित एक कविता का पाठ कर यू-ट्यूब पर पूरे सम्मान और श्रेय के साथ जब पब्लिश किये तब अमिताभ बच्चन की प्रतिक्रिया न केवल हैरान कर देने वाला था, वरन् कुमार विश्वास से उस कविता-पाठ की पूरी कमाई 32 रूपये पाकर न केवल खुद कर वरन् हरिवंशराय बच्चन को भी शर्मिंदा कर दिया. इस प्रकार अमिताभ बच्चन ने मारकण्डे काटजू के बयान को देश के सामने सही साबित कर दिया.
मौजूदा प्रकरण में अमरीका के सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई का मामला समीचीन लगता है. देश के आम लोगों को जानना चाहिए कि अमरीका की कानूनी पहलू इस काॅपीराईट के पहलू को किस तरह देखता है और क्रियान्वित करता है. शायद यही वजह है कि अमरीका पूरे विश्व को अपनी उंगली पर नचाने की काबिलियत रखता है.
अमरीका स्थित विश्व प्रसिद्ध नामचीन दो कम्पनी एप्पल और माइक्रोसाॅफ्ट के बीच का काॅपीराईट से सम्बन्धित एक मामले का है, जिसमें दुनिया की बड़ी कम्पनी एप्पल ने अमरीकी कोर्ट में दुनिया की दूसरी बड़ी कम्पनी माइक्रोसाॅफ्ट के खिलाफ मुकदमा दर्ज की थी. एप्पल का कहना था कि ‘‘माइक्रोसाॅफ्ट कम्पनी एप्पल कम्पनी द्वारा बनाये गये साॅफ्टवेयर को डी कर बाजार में बेच रही है, जिससे कम्पनी को अरबों डाॅलर का नुकसान हो रहा है, इसलिए माइक्रोसाॅफ्ट कम्पनी इस मुआवजे की रकम को वापस लौटाये.’’
अमरीकी सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए सम्बन्धित कम्पनी को नोटिस भेजा. नोटिस के जवाब में माइक्रोसाॅफ्ट ने साफ तौर पर माना कि एप्पल कम्पनी द्वारा लगाये गये आरोप सही है, पर यह जनहित में किया गया कार्य है, जिससे विश्व की जनता को भारी लाभ पहुंचा है.
माइक्रोसाॅफ्ट ने मामले को और ज्यादा स्पष्ट करते हुए आगे बताया कि ‘‘साॅफ्टवेयर की दुनिया का अब्बल कम्पनी एप्पल अपने उत्पाद इतने ऊंच गुणवत्ता वाली बनाती है, इस कारण उसका मूल्य बहुत ज्यादा हो जाता है, जो आम आदमी के पहुंच के बाहर हो जाता है. माइक्रोसाॅफ्ट उसका नकल बनाकर बहुत ही कम मूल्य पर आम आदमी को उपलब्ध कराता है, जो जनहित में किया गया कार्य है. अतः न्यायालय जनहित में किये गये इस कार्य को जारी रखने के लिए एप्पल कम्पनी को आदेश जारी करे ताकि जनहित में किये गये इस कार्य को माइक्रोसाॅफ्ट कम्पनी आगे भी जारी रख सके.’’
अमरीकी सुप्रीम कोर्ट माइक्रोसाॅफ्ट के जनहित वाली इस तर्क से इतना ज्यादा प्रभावित हुई कि तत्क्षण उन्होंने आदेश पारित कर दिया कि आगे से एप्पल कम्पनी जो भी साॅफ्टवेयर बनायेगी उसकी अधिकारिक एक प्रति माइक्रोसाॅफ्ट को उपलब्ध करायेगी ताकि माइक्रोसाॅफ्ट कम्पनी जनहित के कार्य में उसकी अनुकृति बनाकर आम लोगों को कम कीमत पर उपलब्ध करा सके क्योंकि ज्ञान पर कोई काॅपीराईट नहीं हो सकता.
क्योंकि ज्ञान पर काॅपीराईट नहीं हो सकता, यह बात हरवंशराय बच्चन के पुत्र खाली दिमाग वाले अमिताभ बच्चन के दिमाग में कतई नहीं आ पाया. परिणामतः पैसे के लालच में अंधे हो चुके पनामा पेपर के दलाल अमिताभ बच्चन कुमार विश्वास के द्वारा परिष्कृत हरिवंशराय बच्चन के द्वारा लिखी गई कविता के काव्य-पाठ को सोशल चैनल से हटाना पड़ा और कमाये गये 32 रूपये की विशाल धनराशि को बच्चन को अदा करना पड़ा.
अमरीकी सुप्रीम कोर्ट ने अपनी स्वतंत्र छवि और भारत के अमिताभ बच्चन ने अपनी दलाल छवि को बखूबी प्रस्तुत किया है. यों ही अमरीका को अमरीका और भारत को गुलाम नहीं कहा जाता है ?