Home गेस्ट ब्लॉग कोरोना वायरस बनाम लॉकडाऊन

कोरोना वायरस बनाम लॉकडाऊन

6 second read
0
0
544

कोरोना भारतीय दक्षिणपंथी शासकों के लिए बहुत बड़ी राहत लेकर आया है. लॉकडाउन के बहाने देश भर में सीएए व एनआरसी जैसी घातक नस्लवादी नीतियों के विरुद्ध पनप रहे देशव्यापी आन्दोलनों का गला घोंट दिया गया है. इन आन्दोलनों में सक्रिय भूमिका निभाने वाली महिला एक्टिविस्टों का उत्पीड़न कर उन्हे जेल में डाला जा रहा है.

यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोरोना के नाम पर देश के शासकों द्वारा मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से फैलाए जाने वाले झूठ का समर्थन करते हुए शासकों की हां में हां मिलाने में बहुत सारे तथाकथित वामपंथी भी सक्रिय हो गये हैं. पिछले दो महीने में घटी इन घटनाओं ने देश में वर्ग विभाजन का भयावह स्वरूप सामने ला दिया दिया है. अब देश के जनपक्षधर व प्रगतिशील चेतना से संपन्न नागरिकों को यह तय करना होगा कि वे किसके साथ हैं ? – राम चन्द्र शुक्ल

कोरोना वायरस बनाम लॉकडाऊन

गिरीश मालवीय

जब से कोरोना शुरू हुआ है, मुझे तभी से ये लगता आया है कि इस नए कोरोना वायरस को लेकर एक गलत तरह की एप्रोच लेकर काम किया जा रहा है. और यह भारत की बात नहीं है यह पूरी दुनिया में हो रहा है. कोरोना को लेकर एक तरह का जो डर है उससे बचा जा सकता था. हमने वर्ल्ड वाइड पैनिक क्रिएट किया, उसे एक हव्वा बना दिया. यह बड़ी गलती थी. यदि हमने इसे समझने समझाने को लेकर अपनी एप्रोच सही रखी होती, तो हम लॉकडाउन जैसे उपायों से बच सकते थे, और इस तरह का पैनिक फैलाने में चीन भी दोषी है और डब्ल्यूएचओ भी.

हमारे देश के नेता मूर्खतापूर्ण दावे कर रहे हैं कि हम कोरोना को हरा देंगे, आप किसी वायरस को कैसे हराओगे ? वो हर जगह है.

दो दिन पहले CNN ने एक स्टडी पब्लिश की है, जिसके मुताबिक चीन के मिलिट्री हॉस्पिटल में 38 लोगों पर किए गए अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण से मुक्त हो चुके लोगों के वीर्य में भी यह जिंदा रह सकता है. सेक्स के दौरान यह दूसरे व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकता है.

इससे पहले तंजानिया में बकरी के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद वहांं के राष्ट्रपति जॉन मागुफुली ने कोरोना की टेस्ट किट पर ही सवाल उठा दिए. उन्होंने कहा, ‘ऐसा कैसे हो सकता है कि पॉपॉ फल और बकरी भी कोरोना पॉजिटिव निकले !’ राष्ट्रपति मागुफुली ने इसे लेकर सेना को कहा है कि टेस्ट किट की जांच कराएं, क्योंकि जांच करने वाले लोगों ने इंसानों के अलावा भी सैंपल जमा किए थे. कोरोना वायरस के ये सैंपल बकरी, पॉपॉ फल और भेड़ से लिए गए थे. सैंपल को जांच के लिए तंजानिया की लैब में भेजा गया, जहां बकरी और पॉपॉ फल कोरोना पॉजिटिव निकले.

कुछ दिनों पहले लैंसेट पत्रिका में छपी रिसर्च में मानव मल में कोरोना का वायरस पाए जाने की बात कही गयी थी, लेकिन तब भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस प्रकार से कोरोना फैलने की बात से इनकार कर दिया था, लेकिन बाद में बीजिंग तथा अमेरिका में कोरोना के संक्रमित मरीज के मल में कोरोना वायरस पाया गया.

वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी की शी चेंगली प्रयोगशाला के रिसर्चर्स को कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के मल में वायरस के आरएनए यानी राइबोन्यूक्लिक एसिड मिले हैं. यह वायरस फैलने के एक और तरीके की तरफ इशारा करता है. चीनी रिसर्चरों के शोध नतीजों की पुष्टि अमेरिकी रिसर्चरों ने भी की है. अमेरिका में कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति के मल में भी वायरस के आरएनए मिले हैं.

यदि मल में वायरस है तो नाले के पानी में यह क्यों नही हो सकता ? यानी वहांं भी है. अब वैज्ञानिक कोरोना के छिपे मामलों का पता लगाने के लिए सीवेज यानी नाले के गंदे पानी की जांच कर रहे हैं. वैज्ञानिकों ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है जब कोरोना वायरस महमारी का रूप ले चुका है और इसका इलाज नहीं मिल रहा है. अमेरिका में सीवेज वाटर में यह मिला है.

डब्ल्यूएचओ अप्रैल में बोलता था कि पालतू जानवरों से कोरोना वायरस के प्रसार के प्रमाण नहीं मिले हैं लेकिन अब डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कोरोनावायरस चमगादड़ से फैला है और यह सामान्य बिल्ली और फेरेट (बिल्ली प्रजाति का जीव) को संक्रमित कर सकता है. संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा बिल्लियों को है. हालांकि, अभी और रिसर्च की जानी है, कुत्ते, बिल्ली, बाघ और शेर के कोरोना वायरस की पुष्टि हो चुकी है. अब ऊदबिलाव (Mink) भी इस बीमारी से संक्रमित होने वाले जानवरों की लिस्ट में शामिल है.

यानी वीर्य में वायरस है, मानव मल में वायरस है, पपीते जैसे फल में है, नाले के पानी में है, कुत्ते, बिल्ली, बाघ और शेर ऊदबिलाव में वायरस है, ऐसे इंसानों में वायरस है जो बिल्कुल स्वस्थ है, उन्हें कोई लक्षण नहीं है. उन्हें हल्का बुखार क्या सर्दी-खांंसी तक नहीं है.

तो एक बार फिर से इस वायरस के प्रति हमारी जो पैनिक एप्रोच हो गयी है उसे ही बदलने की जरूरत है. अगर लॉक डाउन ऐसे ही बढाना है तो इसे हमें अनंत काल तक बढ़ाते रहना होगा, इसलिए यह जरूरी है कि हम अपनी सोच में ही बदलाव लेकर के आए और इसमें सरकारों का, मीडिया का बहुत महत्वपूर्ण रोल है, नहीं तो कहते रहिए ‘stay safe, stay home.’

Read Also –

आरोग्य सेतु एप्प : मेडिकल इमरजेंसी के बहाने देश को सर्विलांस स्टेट में बदलने की साजिश
पागल मोदी का पुष्पवर्षा और मजदूरों से वसूलता किराया
बिना रोडमैप के लॉक डाउन बढ़ाना खुदकुशी होगा
21वीं सदी के षड्यंत्रकारी अपराधिक तुग़लक़
कोरोना संकट : लॉकडाउन और इंतजार के अलावा कोई ठोस नीति नहीं है सरकार के पास
कोरोनावायरस के आतंक पर सवाल उठाते 12 विशेषज्ञ
कोराना पूंजीवादी मुनाफाखोर सरकारों द्वारा प्रायोजित तो नहीं
कोरोना : महामारी अथवा साज़िश, एक पड़ताल 

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

नारेबाज भाजपा के नारे, केवल समस्याओं से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए है !

भाजपा के 2 सबसे बड़े नारे हैं – एक, बटेंगे तो कटेंगे. दूसरा, खुद प्रधानमंत्री का दिय…