Home ब्लॉग अमित शाह के जीवित रहने के ट्वीट का लोगों ने उड़ाया मजाक

अमित शाह के जीवित रहने के ट्वीट का लोगों ने उड़ाया मजाक

20 second read
0
0
984

अमित शाह के जीवित रहने के ट्वीट का लोगों ने उड़ाया मजाक

[तस्वीर ट्विटर से साभार]

किसी भी लोकतांत्रिक देश के इतिहास में संभवतः यह पहली घटना है जब लोगों ने अपने गृहमंत्री जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे किसी व्यक्ति के मौत की कामना खुलेआम की हो और उसके जीवित होने पर शोक मनाया हो. और उस पदधारी व्यक्ति ने भी पूरी निर्लज्जता के साथ लोगों के द्वारा मौत की इस कामना को इस मिथ के साथ जोड़ दिया हो कि ‘इससे उसकी आयु और बढ़ेगी.’ निर्लज्जता का इससे बेहतरीन नमूना आपको और कहीं नहीं दिखेगा. यह आपको केवल भारत में ही मिलेगा ‘ओनली इन इंडिया’.’

हम बात कर रहे हैं भारत के गृहमंत्री पद पर विराजमान अमित शाह की. पिछले कई दिनों से भारत के गृहमंत्री के पद पर विराजमान अमित शाह के किसी सार्वजनिक जगहों पर न दिखने के कारण देश भर में अफवाहों का बाजार गर्म हो गया था. इसी बीच अमित शाह के टि्वटर हैंडल से किया गया एक ट्वीट ने इस अफवाहों को और बल प्रदान कर दिया, जब इसमें अमित शाह के बोन कैंसर से ग्रसित होने की सूचना दी गई थी.

इस ट्वीट में कहा गया था कि, ‘मेरे देश की जनता, मेरे द्वारा उठाया गया हर एक कदम देश हित में ही रहा है. मेरा किसी जाति या धर्म विशेष के व्यक्ति से कोई दुश्मनी नहीं है. कुछ दिनों से बिगड़े स्वास्थ्य के चलते देश की जनता की सेवा नहीं कर पा रहा हूं. यह बताते हुए दुःख हो रहा है कि मुझे गले के पिछले हिस्से में बोन कैंसर हुआ है. मैं आशा करता हूं रमजान के इस मुबारक महीने में मुस्लिम समाज के लोग भी मेरे स्वास्थ्य के लिए दुआ करेंगे और जल्द से जल्द ही स्वस्थ होकर आपकी सेवा करुंगा.’

इस ट्वीट के बाद खुशी और गम मिश्रित खबरें सोशल मीडिया पर तैरने लगी. कुछ लोगों ने उनकी जल्द मौत की कामना की. मसलन, अम्बर शर्मा ने ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘जल्दी साले के मरने की खुशखबरी सुनने को मिल जाए तो कुछ रबड़ी, रसगुल्ले और मिठाई का अरेंज करूं.’

हलांकि बाद में जांच पड़ताल के बाद अमित शाह के इस ट्विटर हैंडल को ही फेक पाया गया और नकली ट्वीट भेजने के आरोप में अहमदाबाद से चार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, जिसमें सरफराज, सज्जाद अली और शिराज हुसैन प्रमुख हैं. परन्तु अफवाहों का बाजार इतना गर्म हो चुका था कि गृहमंत्री अमित शाह को इस अफवाहों का खंडन करने के लिए आज एक ट्वीट करना पड़ गया.

अमित शाह के ट्वीट में बताया गया है कि, ‘मेरे स्वास्थ्य की चिंता करने वाले सभी लोगों को मेरा संदेश.’ संदेश अलग से अटैच किया गया है, जिसका मजमून है –

पिछले कई दिनों से कुछ मित्रों ने सोशल मीडिया के माध्यम से मेरे स्वास्थ्य के बारे में कई मनगढ़ंत अफवाहें फैलाई है. यहां तक कि कई लोगों ने मेरी मृत्यु के लिए भी ट्वीट कर दुआ मांगी है.

देश इस समय करोना जैसी वैश्विक महामारी से लड़ रहा है और देश के गृहमंत्री के नाते देर रात तक अपने कार्यों में व्यस्त रहने के कारण मैंने इस सब पर ध्यान नहीं दिया. जब यह मेरे संज्ञान में आया तो मैंने सोचा कि यह सभी लोग अपने काल्पनिक सोच का आनंद लेते रहे इसीलिए मैंने कोई स्पष्टता नहीं की.

परंतु मेरी पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं और मेरे शुभचिंतकों ने विगत 2 दिनों से काफी चिंता व्यक्त की. उनकी चिंता को मैं नजरअंदाज नहीं कर सकता इसलिए मैं आज स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं पूर्ण रूप से स्वस्थ हूं और मुझे कोई बीमारी नहीं है.

हिंदू मान्यताओं के अनुसार ऐसा मानना है कि इस तरह की अफवाह स्वास्थ्य को और अधिक मजबूत करती है इसलिए मैं ऐसे सभी लोगों से आशा करता हूं कि वह यह व्यर्थ की बातें छोड़कर मुझे मेरा कार्य करने देंगे और स्वयं अपना भी काम करेंगे.

मेरे शुभचिंतकों  और पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं का मेरा हाल चाल पूछने और चिंता व्यक्त करने के लिए मैं आभार व्यक्त करता हूं

जिन लोगों ने यह अफवाएं फैलाई है उनके प्रति मेरे मन में कोई द्वेष या दुर्भावनाएं नहीं है. आपका भी धन्यवाद

अमित शाह

अमित शाह के इस टि्वीट पर लोगों ने भी जम कर भड़ास निकाली. मसलन, शिल्पा राजपूत भारतीय लिखती हैं, वैसे अच्छा ही हुआ आप ने ट्वीट कर दिया. कुछ दिनों से बड़े बुरे-बुरे खयाल आ रहे थे. वैसे आप खुद कैमेरे के सामने आकर यह सब कह देते तो दिल को और भी तसल्ली हो जाती. वह क्या हैं ना लोगों का क्या है. वह तो यह भी कह सकते है कि आप का ट्विटर आईटी सेल वाले चला रहे है. कुछ तो लोग कहेंगे.’ इस ट्वीट को 183 बार रिट्वीट किया गया और तकरीबन एक लाख 60 हजार लोगों ने पसंद किया है. 

वहीं शिल्पा राजपूत भारतीय ने एक दूसरा ट्वीट करते हुए सवाल दागा है कि ‘साहब लोकड़ाऊं के 50 दिन होने को आये, पर आप नाही कोई मीडिया डिबेट में दिखे, नाही कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जनता का हौसला बढ़ाया की चिंता मत करो हमारा देश ईस महामारी से लड़ लेंगा. क्या आप को नहींं लगता कि आप के ऐसे ‘छिपे’ रहने से जनता आप को कायर और डरपोक गृहमंत्री समझेंगी.’

वहीं दूसरे ट्वीट जो द स्कीन डॉक्टर के हैंडल से किया गया है, उसमें अमित शाह के स्वस्थ होने की सूचना पर लिखा है, ‘कभी कभी अपार आनंद, अपार दुख में कैसे परिवर्तित हो जाता है, इसका अनुभव मैंने आज किया.’

वहीं एक अन्य यूजर सलमान पठान ने कहा, ‘अरे मोटा भाई कहांं थे ? मुझे तो लगा आप पीएम केयर फंड का पैसा लेकर जाने वाले थे, अभी तक गये नहींं ???’ दूसरे ट्वीट में कहते हैं, ‘लॉकडाउन का पालन तो मेरे मोटा भाई ने किया, बाकी और लोगों ने तो मजदूरों से पैसा लेकर पीएम केयर फंड में पैसा बटोरने मे बिजी थे. और जब मजदूरों ने रेल का किराया माफ करने को कहा तो मजदूरों पर रेल ही चलवा दिये ????’

वहीं अनिल सिंह अहम सवाल उठाते हुए प्रश्न करते हुए लिखते हैं, ‘इस समय मोदी सरकार की सत्य निष्ठा साफ दिखाई दे रही है और अमानवीय कृत्य समझ में आ रहा है, कि देश के अंदर गरीब लोग अपने घरों को भूखे प्यासे मरते हुए पैदल हजारों किलोमीटर अपने घर जा रहे हैं और मोदी सरकार विदेश से अमीरों को प्लेन से लेकर आ रही है, इससे बड़ी सत्य निष्ठा और क्या होगी ?’

रविश कुमार (पैरोडी) नाम के ट्विटर हैंडल से अपील किया गया है, ‘ईश्वर आपको लम्बी उम्र दे, लेकिन सर गरीब लोग पैदल चल चल के मर रहे हैं, भूख प्यास से परेशान हैं. आपसे निवेदन है आप जो काम कर रहे हैं उसमें से कुछ हिस्सा काम गरीबों के लिए भी कीजिये ताकि जनता का भला हो.’

वहीं, ट्रोल्स कहे जाने वाले ट्विटर यूजर ने अमित शाह के फोटो के साथ लोगों को बताया कि एनआरसी-सीएए के लिए कागज ढूंढ़ो क्योंकि यह अनिवार्य तौर पर लागू होगा.

विदित हो कि अमित शाह देश के गृहमंत्री बनाये गये हैं, और उन्होंने अपने ट्वीट पर बताया है कि उनके मन में किसी के प्रति द्वेष या दुर्भावना नहीं है, इसके बाद भी लोगों को पकड़ा जा रहा है, जो किसी भी तरह अमित शाह की भावना से मेल नहीं खाता. सवाल तो लाजिमी तौर पर खड़ा हो जाता है कि क्या ये गिरफ्तारी स्वयं गृहमंत्री अमित शाह के इशारे पर या सहमति से हो रही है ?

यूं भी गृहमंत्री जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे शख्स की मौत की कामना करना उस पद का अपमान है और पदधारियों को अपने पद की गरिमा कायम रखनी चाहिए, यह उनकी जिम्मेदारी भी है और जरूरत भी. वैसे भी जिनका अतीत कलंकित हो ऐसे शख्स को तो यह पद स्वीकार ही नहीं करना चाहिए, यह इस पद का अपमान है. क्या यह उचित नहीं होगा कि इसे किसी पेड़ या खंभे से लटककर आत्महत्या कर लेना चाहिए, बिल्कुल किसी किसान की तरह ?

Read Also –

अमित शाह : एक गुंंडे का इतिहास बोध
अमित शाह ने नागरिकता कानून के बचाव में गांधी का गलत इस्तेमाल क्यों किया ?
अमित शाह जी, इससे अच्छा तो आप इमरजेंसी ही लगा दो
अमित शाह का इतिहास पुनरलेखन की कवायद पर भड़के लोग
अमित शाह को सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर लताड़ा
आरोग्य सेतु एप्प : मेडिकल इमरजेंसी के बहाने देश को सर्विलांस स्टेट में बदलने की साजिश
अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक और मोदी की सरकारी तानाशाही

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

किस चीज के लिए हुए हैं जम्मू-कश्मीर के चुनाव

जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए चली चुनाव प्रक्रिया खासी लंबी रही लेकिन इससे उसकी गहमागहमी और…