कहा जाता है कि किसी को भी बदनाम करना हो तो उस पर औरतों से जुड़ी आपराधिक गतिविधियों का आरोप लगा दिया जाये. भारत इस मामले में दुनिया का सर्वाधिक अब्बल देश है, जहां किसी व्यक्ति की बुराई उद्देश्यों के तहत की जाती है. अगर किसी को बदनाम करना है तो औरतें अथवा यदि किसी को सम्मान देना हो तो औरतें. हमें अगर लंकापति रावण की की हत्या करनी हो तो उसे बदनाम करने के लिए औरतों को ले आता है, और उसकी हत्या कर दी जाती. उसी तरह अगर किसी को महान बताना हो तो औरत को ले आते हैं, मसलन कृष्ण के 16 हजार पत्नियों को. परन्तु यह जानना बेहद दिलचस्प है कि आखिर भारतीय किसके खिलाफ काम करता है ?
अमेरिका के अधेड़ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एक तस्वीर बड़ी तेजी से वायरल हुई थी, जिसमें वह एक लड़की के साथ वह अश्लील तरीके से पेश आ रहा था. इसके पूर्ववर्ती राष्ट्रपति बिल क्लिंटन पर एक महिला ने यौन शोषण का आरोप लगाया था, जिस पर दुनिया भर में चर्चा हुई. भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी औरतों की सरकारी जांच एजेंसी के सहयोग से जासूसी करवाते हैं, यहां तक कि पूर्व आप के विधायक और वर्तमान में संघी दंगाई कपिल शर्मा ने बकायदा पेपर लहराते हुए दिल्ली विधानसभा में नरेन्द्र मोदी पर औरतों के साथ अवैध संबंध के गंभीर आरोप लगाये थे.
प्रधानमंत्री तो छोड़िये भाजपा के लगभग तमाम विधायकों, सांसदों, नेताओं और कार्यकर्ताओं की औरतों के साथ छेड़छाड़, हत्या, बलात्कार की खबरें हर दिन मीडिया और सोशल मीडिया में छाई रहती है, इसके वाबजूद की मुख्य मीडिया इस पर चुप्पी साध लेती है. न्यायपालिका मूक हो जाती है और लोग कृष्ण की दुहाई देने लगते हैं, पर इन सभी लोगों को चिन्ता है तो केवल उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम उन जोंग की.
इंटेलिजेंस एजेंसियों का दावा है कि किम जोंग के पास एक खास हरम है, जिसमें खूबसूरत वर्जिन लड़कियां उनका मन बहलाती हैं. 2000 लड़कियों से बना ये हरम Kippumjo कहलाता है यानी प्लेजर स्कवाड कहलाता है. आज दुनिया भर की तमाम प्रतिक्रियावादी मीडिया अपने बिकाऊ चैनल्स के माध्यम से उत्तर कोरिया के खिलाफ यही दुश्प्रचार दिन रात फैला रही है. दुनिया का सबसे भ्रष्टतम भारतीय मीडिया तो सबसे आगे बढ़कर उछल रहा है. जबकि सच्चाई यह है कि ये तमाम प्रतिक्रियावादी ताकतें स्वयं इस सब में लिप्त है, और दूसरे पर दोषारोपण कर रहा है.
भारतीय सत्ता खासकर वैदिक सत्ता इस बात के प्रबल पक्षधर है कि –
- समाज का हर व्यक्ति आखिर पौष्टिक आहार कैसे खा सकता है ?
- औरतों का बलात्कार या उसके साथ अपराध क्यों नहीं हो सकता है ?
- औरतों को समान अधिकार कैसे मिल सकता है ?
- हर नागरिक को रहने का बेहतर घर क्यों मिलें ?
- हर बच्चों को पढ़ने का अधिकार कैसे मिल सकता है ?
- हर एक नागरिक को चिकित्सा का अधिकार कैसे मिल सकता है ?
- अस्पतालों में बेहतरीन इलाज, टेस्ट और दवाईयां मुफ्त में कैसे मिल सकता है ?
- दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और औरतों की हत्या/अपराध क्यों नहीं हो सकता है ?
- समाज में भिखारी क्यों नहीं हो सकता है ?
- चोरी, धार्मिक पाखण्ड क्यों नहीं होना चाहिए ?
यही कारण है कि वह इस बात से बेहद चिंतित रहता है कि आखिर कोई देश इससे मुक्त कैसे हो सकता है. आज जब भारत की सत्ता पर हत्यारों और बलात्कारियों का कब्जा है, तब वे इस बात और ज्यादा घबराया हुआ है इसलिए वह आये दिन उत्तर कोरिया के खिलाफ अनाप-शनाप जो भी उसके विकृत मन में आता है, मीडिया और सोशल मीडिया पर उगलता रहता है. आज हम यहां इस मामले की पड़ताल करेंगे.
उत्तर कोरिया का पूरा नाम डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया है, जिसे संक्षेप में डीपीआरके कहा जाता है. इस डीपीआर के की राजधानी पियोंगयांग है. विदित हो कि उत्तर कोरिया जाने का एक मात्र रास्ता चीन होकर जाता है. चीन बीजिंग शहर से पियोंगयांग के लिए हवाई यात्रा दो घंटे का और चीन के डैडोंग शहर से रेलमार्ग द्वारा 6 घंटे में पहुंचा जा सकता है. टूरिस्ट उत्तर कोरिया खुद से नहीं जा सकते बल्कि उत्तर कोरिया जाने के लिए उत्तर कोरिया की सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त ट्रैवल एजेंसी ही एकमात्र माध्यम है.
बीजा उत्तर कोरिया ट्रैवल एजेंसी के द्वारा ही अप्लाई किया जाता है जो एयरपोर्ट या रेलवे स्टेशन पर ही दिया जाता है. उत्तर कोरिया में इमीग्रेशन प्रक्रिया बेहद ही आसान है. टूरिस्ट से आमतौर पर कोई सवाल नहीं किया जाता है. कस्टम चेकिंग के दौरान क्या-क्या सामान है, केवल इतना ही पूछ कर टूरिस्ट गाइड के साथ जाने दिया जाता है.
उत्तर कोरिया में टूरिस्ट वहां की स्थानीय करेंसी का इस्तेमाल नहीं करते. वे चीनी करेंसी, यूरो या डॉलर का उपयोग कर सकते हैं. टूरिस्ट के साथ कम से कम दो टूरिस्ट गाइड रहते हैं, चाहे आप अकेले ही क्यों हो. कोरियन गाइड के बिना टूरिस्टों को होटल से बाहर जाना मना है. ऐसा इसलिए है कि उत्तर कोरिया अमेरिकी हमलों से हमेशा सशंकित है, जो एक सच्चाई भी है. इसलिए हर देश को अपनी सुरक्षा करने का अधिकार है.
उत्तर कोरिया का अपना एक कलैंडर है, पर यह अनिवार्य नहीं है कि वहां इसी कलैंडर को सभी माने. लेकिन सरकारी कामकाज के दौरान कोरियन कलैंडर का ही इस्तेमाल किया जाता है. इनका कलैंडर कोरिया के प्रथम राष्ट्रपति किम इल सुंग के जन्म दिन से शुरू होता है. राष्ट्रपति किम इल सुंग का जन्म वर्ष 1912 में हुआ था और उनके मरणोपरान्त तीसरें वर्षगांठ 1997 से यह कलैंडर लागू हुआ, जिसे ‘जूचे कलैंडर’ कहा जाता है.
उत्तर कोरिया में सभी नागरिकों को घर सरकार द्वारा दी जाती है और उसका रखरखाव भी सरकार के ही द्वारा की जाती है, लेकिन बिजली और पानी की दाम नागरिकों को ही देना पड़ता है, जो कि बहुत ही कम कीमत पर आपूर्ति की जाती है. भारतीय मीडिया के दुश्प्रचार से इतर प्योंगयांग बेहद ही साफ शहर है. साफ-सफाई की बेहतरीन व्यवस्था है. संभवतया दुनिया के सबसे साफ शहर में इसकी गिनती होती है. भारत में तो इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है, जहां हर दूसरा शहर गंदगी और बदइंतजामी में दुनिया में अब्बल स्थान हासिल करता है.
सड़कों को पार करने के लिए हर जगह सड़क के नीचे आर-पार सब-वे बनाई गई है. लोग सड़कों को इसी के माध्यम से पार करते हैं, न कि दौड़ते हुए ट्रैफिक पार करते हैं, जो भारत जैसे देशों में आम बात है. उत्तर कोरिया में अगर आप रोड पार करते हैं तो भारी जुर्माना का सामना करना पड़ता है. संभवतया यह भी एक महत्वपूर्ण कारण है कि उत्तर कोरिया में सड़क दुर्घटना न के बराबर होती है, जबकि भारत में तो हर साल लाखों लोग सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवाते हैं.
उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में सबसे महत्वपूर्ण स्थान है, राष्ट्रपति किम इल सुंग का जन्म स्थान. इस जगह को यहां पर सबसे पवित्र माना जाता है क्योंकि यहां के लोग अपने राष्ट्रपति का बहुत ही सम्मान करते हैं क्योंकि इनके राष्ट्रपति किम उल सुंग थे, जिन्होंने कोरिया को जापान से आजाद करवाया था और उनके परिवार के सदस्यों ने बहुत सारी कुर्बानियां दी थी. यही कारण है कि यहां के नागरिक इस जगह को बहुत ही पवित्र मानते हैं. अब इसकी तुलना भारत में नेहरू परिवार से कीजिए, जिन्होंने इस देश के निर्माण में अपनी जान तक दे दी, लेकिन आज उनपर बेहाई से ही बदतर हमले आये दिन किया जा रहा है. गद्दार और आतंकी बताया जा रहा है.
उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में तीन अम्युजमेंट पार्क हैं, जो सुबह 10 बजे खुलता है और रात को 8 बजे बंद हो जाता है. उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में स्थित जूचे टॉवर 170 मीटर ऊंचा है, जो दुनिया का सबसे बड़ा है. जूचे टॉवर पर चढ़ने के लिए 5 यूरो का टिकट लगता है और यहां से आप पूरे प्योंगयांग शहर का नयनाभिराम दृश्य देख सकते हैं.
उत्तर कोरिया में वर्क्स पार्टी ऑफ कोरिया का एक प्रतीक स्तम्भ है, जो 50 मीटर ऊंचा है. इस स्तम्भ की स्थापना 1945 में स्थापित पार्टी के 50वीं स्थापना समारोह के अवसर पर स्थापित किया गया था. इस प्रतीक स्तम्भ में एक हंसिया है, एक ब्रश है और एक हथौड़ा है.
उत्तर कोरिया में बाईबल रखना एक अपराध है. यहां तक कि टूरिस्टों के लिए भी टूरिस्टों के लिए उत्तर कोरिया में बाईबल या कोई अन्य धार्मिक पुस्तकों को ले जाना या रखना मना है, जो पूरी तरह एक सही कदम है. यही कारण है कि उत्तर कोरिया में धार्मिक पाखण्डियों का अकाल है, जिससे भारत जैसे पाखण्डियों का देश और उसकी मीडिया बौखलाया रहता है और अनाप शनाप बकता रहता है.
पूंजीवादी मीडिया द्वारा फैलाये गये मिथ और उसकी हकीकत
आइये, यहां हम भारत की भ्रष्ट पुछल्ला मीडिया समेत विश्व के तमाम प्रतिक्रियावादी पूंजीवादी दलाल मीडिया के द्वारा उत्तर कोरिया और उसके शासकों के खिलाफ लगाये गये कुछ झूठे आरोपों की पड़ताल करते हैं. इस सच्चाई को उजागर करने का कार्य किया है उत्तर कोरिया में जाने वाले टूरिस्टों ने, जो कुछ उन्होंने वहां देखा, उसकी विडियोग्राफी बनाकर दुनिया के सामने लाया, निःसंदेह उन्हें हम धन्यवाद देते हैं.
- मिथ – उत्तर कोरिया में बाहरी दुनिया के लोग कोरिया के आम लोगों से बात नहीं कर सकते.
हकीकत – आम कोरियन नागरिक से बात कर सकते हैं. वे भारतीय लोगों को पसंद भी करते हैं और उन्हें हैंडसम मानते हैं. - मिथ – उत्तर कोरिया में जितने भी घर या ऑफिस होते हैं, वे सब एक ही ग्रे रंग से रंगे होते हैं और उस पर उनके राष्ट्रपति और नेताओं के फोटो लगे होना अनिवार्य है.
हकीकत – यह सच नहीं है. लेकिन अधिकांश सरकारी घरों का रंग ग्रे होता है, और उनके राष्ट्रपति और उनके नेताओं की तस्वीरें लगी होती है, जो ऐच्छिक है. सरकार की ओर से कोई दवाब नहीं होता है लेकिन लोग अपने नेताओं के सम्मान में उनकी तस्वीरें लगाते हैं. - मिथ – उत्तर कोरिया में जींस पैंट पहनना मना है.
हकीकत – आम तौर पर उत्तर कोरिया के लोग जींस पहनना पसंद नहीं करते क्योंकि वे इसे अमेरिकी परिधान मानते हैं और वे अमेरिका को अपना दुश्मन मानते हैं. लेकिन अगर कोई टूरिस्ट जींस पैंट पहनता है तो उन्हें इस पर कोई आपत्ति भी नहीं होता है. - मिथ – उत्तर कोरिया में अपने नेताओं का बैच पहनना अनिवार्य है.
हकीकत – यह सच नहीं है लेकिन यहां के नागरिक अपने नेताओं का सम्मान करते हैं, इसलिए वे इसे स्वेच्छा से अपने नेताओं के सम्मान में लगाते हैं. कुछ लोग नहीं भी पहनते हैं लेकिन लगभग 99 फीसद लोग इस बैच को लगाते हैं, अपने नेताओं को इज्जत देने के लिए. भारत को यह सीखना चाहिए. - मिथ – उत्तर कोरिया में लड़कियां पैंट नहीं पहन सकती.
हकीकत – यह सच नहीं है लेकिन जींस पहनना मना है. - मिथ – उत्तर कोरिया के लोग सिगरेट नहीं पीते, च्यूगम नहीं खाते. उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग इल को सिगरेट एलर्जी था, इसलिए सिगरेट बैन किया गया.
हकीकत – यहां सिगरेट पीना प्रतिबंधित नहीं है. यहां के लोग सिगरेट पीते हैं. लेकिन वे उस सिगरेट के राख और टोंटी को बाहर सड़कों पर नहीं फेंकते बल्कि अपने साथ ऐश ट्रे लेकर चलते हैं. - मिथ – उत्तर कोरिया के लोग अपने देश से बाहर नहीं जा सकते.
हकीकत – ऐसी कोई बात नहीं है. उत्तर कोरिया के लोग हर दिन चीन आ सकते हैं और चीन से वापस जा सकते हैं और यह रोजमर्रा की चीजें हैं. - मिथ – उत्तर कोरिया के टेलीविजन में केवल तीन ही चैनल आते हैं, जो की सरकार के नियंत्रण में है.
हकीकत – विदेशी टूरिस्टों के होटल के टेलीविजन चैनल पर 10 चैनल आते हैं लेकिन स्थानीय निवासियों के टेलीविजन पर कुल पांच चैनल आते हैं – न्यूज, खेल, कार्टून नेटवर्क और म्युजिक. - मिथ – उत्तर कोरिया में सरकार हर घर में एक रेडियो सेट लगवाती है, जिसे उत्तर कोरिया के निवासी कभी बंद नहीं कर सकते और निवासियों को हर रोज सुबह उस रेडियो पर राष्ट्रगान सुनना पड़ता.
हकीकत – रेडियो तो हर घर में है लेकिन नागरिक चाहे तो उसे बंद कर सकते हैं. सुबह रेडियो राष्ट्रगान के साथ शुरू होता है लेकिन उसको सुनना कोई अनिवार्य या दण्डनीय नहीं है, जैसा कि दुष्प्रचारित किया जाता है. - मिथ – कहा जाता है कि उत्तर कोरिया में अगर कोई अपराध करता है तो उसकी सजा उसकी तीन पीढ़ियों को भुगतना पड़ता है.
हकीकत – यह पूर्णतः झूठ है. ऐसा आज से 600 साल पहले कोरियन राजवंशों के समय हुआ करता था लेकिन अब ऐसा नहीं है. - मिथ – उत्तर कोरिया में छोटे-से-छोटे अपराध के लिए भी मौत की सजा दी जाती है.
हकीकत – अब अपराध करने वाले व्यक्ति को पहले सुधार गृह में भेजा जाता है. यदि वह व्यक्ति फिर से अपराध करता है तो उसको जेल भेज दिया जाता है. - मिथ – उत्तर कोरिया ने संयुक्त राष्ट्र अमेरिका का एक जहाज अपने कब्जे में रखा हुआ है.
हकीकत – यह मिथ नहीं, एक सच्चाई है. - मिथ – उत्तर कोरिया में एक तरह का हेयर स्टाइल रखा जाता है, जो सरकार द्वारा निश्चित किया जाता है.
हकीकत – उत्तर कोरिया के एक सैलून में 12 तरह के हेयर स्टाइल का फोटो लगाया गया है, जिससे स्पष्ट होता है कि यहां इनमें से कोई भी हेयर स्टाइल रख सकते हैं या अपना कोई अलग भी रख सकते हैं. लड़के दो ईंच से भी बड़ा बाल रख सकते हैं, सरकार की तरफ से कोई बंदिश नहीं है. उसी तरह लड़कियों के लिए भी सरकार के द्वारा निर्धारित किया गया कोई हेयर स्टाइल नहीं है. अपने मर्जी अनुसार लड़की अपना कोई भी हेयर स्टाइल रख सकती है. - मिथ – आप उत्तर कोरिया से दूसरे देश में फोन नहीं कर सकते.
हकीकत – यह सच नहीं है. आप अगर किसी दूसरे देश में फोन करना चाहते हैं तो आप इंटरनेशनल फोन बूथ से फोन कर सकते हैं, जिसकी अलग-अलग प्राइस रेट है, जैसा कि सभी देशों में होता है. - मिथ – उत्तर कोरिया की राजधानी में टूरिस्टों के लिए केवल एक ही होटल है.
हकीकत – यहां टूरिस्टों के रहने के लिए 14 होटल मौजूद है, जहां टूरिस्ट ठहर सकते हैं. टूरिस्ट किस होटल में ठहरते हैं, यह उसकी ट्रेवल एजेंसी तय करती है.
उत्तर कोरिया जाने वाले टूरिस्टों द्वारा जारी वीडियो
Read Also –
उत्तर कोरिया : एक सामान्य आदमी की दृष्टि से
अमेरिकी साम्राज्यवादी आदमखोर का अगला शिकार उत्तर कोरिया
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें]