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भारत में हर बीमारी का एक ही दवा

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भारत में हर बीमारी का एक ही दवा

भारत के महान वैज्ञानिक मीडिया कर्मी

भारत अथाह जाहिल संस्कृति और धार्मिक भावनाओं का देश हैं. इसकी संस्कृति में क्या हैं इसे भी यहांं के नागरिक को मालूम नहीं लेकिन फिर भी गर्व महसूस करने में कोई कमी नहीं करता हैं, जिसे यहांं दो शब्दों का जानकारी नहींं है लेकिन टोटका और मान्यता बहुत ही बेहतर तरीके से पढ़े-लिखे लोगों को समझाने के लिए आतुर है, जिसने न तो कोई ग्रन्थ का अध्ययन किया है लेकिन ज्ञान सदैव बांंटते मिलेंगे और उसकी जाहिलियत की काबिलयत जिसमें सम्पूर्ण गुण मौजूद रहेगा, वैसा ज्ञान का प्रवचन देते रहेंगे.

इस काम में केवल धर्मगुरु ही नहीं शामिल हैंं बल्कि उनके शिष्य और शिष्या भी महारथ हासिल कर लिए हैं सभी धर्मो के लोगो में. भारत में किसी का आगमन हो तो उसका पूजा पाठ, अजान, मिलाद, जलसा, कथा, प्रवचन, प्रार्थना इत्यादि तरीके से स्वागत किया जाता हैं, चाहे वो विज्ञान के द्वारा निर्मित अविष्कार की कोई खोज या फिर बीमारी सबका यहांं धर्म हैं.

बिना धर्म के भारत में आप निवास नहीं कर सकते हैं. जब तक यहांं धर्म का पता नहीं चलता है, तब तक उसका प्रयोग और इलाज करना संभव नहीं है. फिर कोरोना क्या उससे बाहर रह सकता हैं ? अभी तक कोरोना हम भारतवासियों के लिए अपरिचित बीमारी था इसलिए देश परेशान था और सरकार उससे ज्यादा क्योंकि भूखे और पीड़ित की आवाज़ दबे-जुबान से ही सही लेकिन उठने लगी थी.

सबसे ज्यादा इस देश के महान वैज्ञानिक मीडिया कर्मी हैं क्योंंकि सरकार ने जो काम इन्हें सौपा था, उसे करने में सफल नही हो पा रहे थे. ये कोरोना का दवाई खोजने में असफल थे इसलिए जनता का ध्यान हमेशा गुजरात, दिल्ली से पैदल चलने वाले आम गरीब के तरफ खींच रहा था, जिससे सरकार में बैठे लोगोंं को बहुत परेशानी हो रही थी लेकिन भारत के महान वैज्ञानिक मीडियाकर्मी भी ईमानदारी से काम कर रहा था दवाई खोजने का और आखिर वो सफल हुए. इसके लिए सम्पूर्ण भारत की जनता के तरफ से उन्हें हार्दिक बधाई.

कोरोना को पहचान किया गया कि ये इस्लाम धर्म के लोगों के द्वारा फैलता हैं और इसकी उत्पति का केंद्र निजामुद्दीन के मस्जिदों में हैं. इसके परीक्षण के लिए इंदौर के मुस्लिम मोहल्ला का चयन किया गया, जिसमें सरकार को अभूतपूर्व सफलता मिली हैं. सरकार इस दवाई के खोज से ख़ुशी से गदगद हैं और यहांं की जनता उससे भी अधिक.

अब देश के प्रधान 08 बजे आकर ये घोषणा करेंगे कि इतने लम्बे मैराथन खोज के बाद कुछ चीजे देश को बताना चाहता हूंं कि बीमारियों की पहचान उसके कपडे से होती हैं. ये पहले भी मैंने देश से कहा था लेकिन जनता मेरे बातों को नहीं समझी.

जब मध्यप्रदेश में सरकार के गठन में हजारों की भीड़ लॉक डाउन के बाबजूद इक्कठा हुआ तो सभी का घर – घर जा कर कोरोना का सैंपल नहीं लिया गया, जब उतरप्रदेश के मुख्यमंत्री पुरे जोश खरोश में काफिले के साथ अयोध्या में धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया गया तब उसमें शामिल सभी का लोगोंं का सैंपल घर-घर जाकर नहीं लिया गया, कर्णाटक का मुख्यमंत्री एक भव्य शादी कार्यक्रम में हिस्सा लिया लॉक डाउन में तो उस कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों का सैंपल नहीं लिया गया.

आनंदविहार में जब लाखों की संख्या में लोग इक्कठा हुये तो सभी का सैंपल घर-घर जाकर नहीं लिया गया, बिहार के चैत माह में छठ पूजा (दो दिन पूर्व ) का कार्यक्रम हुआ और लगभग 150- 200 लोगों तक एक साथ इक्कठा हुये सम्पूर्ण बिहार में लेकिन सबका घर – घर जाकर सैंपल लेने का काम बिहार में नहीं किया गया ? क्योंकि सबके कपडे से ही देखकर जांंच कर ली गई. ये सभी कार्यक्रमों में जो लोग शामिल थे क्योंकि इनके माथे पर टोपी और दाढ़ी नहीं था इसलिए मीडिया परेशान नहीं हुई. इसलिए देशवासियों आप सभी डरे नहीं और हमारी नयी खोज का इंतजार करे.

अब आप भूख से तड़पते गरीब का दर्द भूल गये होंगे और डूबती ही अर्थव्यवस्था तो आप पिछले एपिसोड में ही भूल गये थे इसलिए मेरे प्यारे देशवासियों, अब आपका फर्ज और कर्तव्य दोनों कहता है कि हर बीमारी का एक ही दवा है हिन्दू मुस्लिम. आप इसका लुत्फ़ उठाये और आने वाले आपके नश्ल को भी इस दवा के बारे में बताये. इसके लिए आपके द्वारा समाज में की गई हिन्दू मुस्लिम चर्चा ही आपका खतरनाक तरीके से मरने की दवा हैं.

मेरे युवा साथी आप भी मान गये होंगे कितने बेसब्री से आप मेरे सरकार का विरोध कर रहे थे. अब ये काम आपका आसान कर दिए और आप अब अपने मोहल्ले के राम रहीम इस नफरत की बाकि जिंदगी एक दुसरे के साथ प्यार के वजाय खून के प्यासे की तरह जीवन गुजारे. मेरा तो खत्म हुआ और आपका शुरू.

  • आशीष नारायण

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