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स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करके कोरोना के खिलाफ कैसे लड़ेगी सरकार ?

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स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करके कोरोना के खिलाफ कैसे लड़ेगी सरकार ?

टीवी और बॉलीवुड एक्ट्रेस कृतिका कामरा ने कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन को लेकर ट्वीट किया, ‘अगर इस लॉकडाउन को लंबी अवधि के लिए बढ़ाया जाता है तो लोग भूख से मर जाएंगे. इससे बचने का एक ही तरीका है, टेस्ट और आइसोलेट. ट्रैक और क्वरांटीन. चेन को तोड़ना. वायरस को दबाकर रखना. विशेषज्ञों की सलाह को मानना. इंडिया इसी तरह कोरोना से लड़ सकता है. टेस्ट करो ना.’

परन्तु जमीनी हकीकत बेहद विभत्स है. ऐसे दौर में जब इस वायरस से लड़ने के लिए डॉक्टर एवं स्वास्थ्यकर्मियों को लगाया जा रहा है, उस वक्त इन कर्मियों के पास न तो खुद की सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम हैं और न ही सुरक्षा उपकरण. सुरक्षा उपकरणों के अभाव में ये स्वास्थ्यकर्मी स्वयं कोराना से संक्रमित हो रहे हैं.

गिरीश मालवीय सोशल मीडिया पर लिखते हैं, देश भर में 50 से अधिक डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की सूचना है. हालात इतने खराब हो गए हैं कि दिल्ली के AIIMS हॉस्पिटल के डॉक्टर और उनकी गर्भवती पत्नी को कोरोना संक्रमण हो गया है. पत्नी की आज डिलीवरी कराई गई जच्चा-बच्चा अभी ठीक बताए जा रहे हैं, उनके अलावा AIIMS के और डॉक्टर भी कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा, ‘मैं नहीं चाहता कि किसी भी डॉक्टर, नर्स को बिना PPE के कोरोना मरीजों का इलाज करना पड़े. कल हमने केंद्र सरकार को लिखा भी था, लेकिन केंद्र सरकार से अभी तक हमें एक भी PPE नहीं मिली है. हम फिर से केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि हमें PPE किट्स तुरंत दी जाएं ताकि हमारे डॉक्टर मरीजों का बिना किसी डर के इलाज कर सकें.’

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा कि अब तक राजधानी में 386 मामले सामने आए हैं. हमारे पास 7 से 8 हजार पीपीई किट बचे हुए हैं, जो 2 से 3 दिन का स्टॉक है. ठीक यही हालत इंदौर जैसे शहर की है. यहांं भी स्वास्थ्य विभाग के पास 700 किट का स्टॉक शेष बचा है. इंदौर में प्रतिदिन औसतन 150 पीपीई किट का उपयोग वर्तमान में हो रहा है.

दो दिन पहले की खबर है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री से कोरोना से बचाव के लिए भारी संख्या में किट और अन्य उपकरणों की मांग की है. उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा, ‘हमने पांच लाख व्यक्तिगत सुरक्षा किट (पीपीई) की मांग की थी लेकिन हमें केवल 4,000 ही मिले. हमने 10 लाख एन95 मास्क मांगे थे लेकिन सिर्फ 10,000 ही मिले. इसके अलावा हमने 10 लाख पीआई मास्क मांगे थे, मगर केवल एक लाख ही मुहैया कराए गए. हमें 10,000 आरएनए किट की जगह 250 ही उपलब्ध हुए हैं.’ हालात इतने विकट है कि पटना के आईजीआईएमएस के स्वास्थ्यकर्मी मास्क की जगह हरे रंग के कपड़े को सीलकर इस्तेमाल करने पर मजबूर हैं.

यही हाल बाकी राज्यों के भी होंगे ये आसानी से समझा जा सकता है. अब बड़े पैमाने पर एम्स जैसे हॉस्पिटलों के हेल्थकेयर वर्कर्स का इस वायरस की चपेट में आना शुरू हो गया है. इसकी वजह यह है कि इनके पास प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट्स ओर सैनिटाइज़र्स नहीं हैं.

सरकार की निष्क्रियता देख देश भर के अस्पताल अपने अपने स्तर पर पब्लिक से मदद की अपील कर रहे हैं कि अब जनता ही उन्हें उन्हें PPE किट मुहैया कराए लेकिन जब आपूर्ति ही नहींं है तो उन्हें PPE किट पैसों से भी कहांं से मिलेगी ? दरअसल प्रिवेंटिव वियर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (PWMAI) के अध्यक्ष संजीव ने बयान दिया है कि पीपीई की कमी की मुख्य वजह इसको लेकर सरकार की लेट प्रतिक्रिया है.

उन्होंने फरवरी में स्वास्थ्य मंत्रालय से संपर्क किया था और सरकार से पीपीई किट को स्टॉक करने का आग्रह किया था लेकिन तब स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना था कि इस मामले में उन्हें केंद्र से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. संजीव ने कहा कि हमें 21 मार्च तक सरकार की तरफ से कोई मेल नहीं मिला. अगर सरकार ने 21 फरवरी तक मेल का जवाब या विनिर्देश प्रदान किये होते तो अबतक पीपीई किट की हम पर्याप्त व्यवस्था कर पाते।

संजीव जी बता रहे है लगभग 5 से 8 मार्च के बीच राज्य सरकारों, सेना के अस्पतालों, रेलवे अस्पतालों से टेंडर आना शुरू हुए हैं. साफ है कि मोदी सरकार सो रही थी जबकि WHO लगातार सभी देशों को मेडिकल उपकरणों की कमी पर चेता रहा था. कह रहा था कि कोरोना के खतरे को देखते हुए सुझाव देते हुए सभी देश पहले से ही तैयारी पूरी कर लें.

एक भी स्वास्थ्यकर्मी यदि कोरोना के संक्रमण का शिकार हो रहा है तो इस लापरवाही की पूरी जिम्मेदारी केंद्र में बैठी मोदी सरकार की है और साथ ही साथ इस बिकी हुई मीडिया की भी है जो, इन सवालों पर सरकार को कटघरे में खड़ा करने के बजाए बहुत घटिया तरीके से देश मे दंगे फैलाने की साजिश रहा है.

इससे भी भयावह स्थिति यह है कि जब ये स्वास्थ्यकर्मी इन सुरक्षा उपकरणों या किट की मांग करते हैं, या इस लचर व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं तो उन्हें या तो धमकाया जा रहा है अथवा नौकरी से ही निकाला जा रहा है. जम्मू कश्मीर के डॉक्टरों को यह कहकर डराया जा रहा है कि अगर आप प्रशासन के खिलाफ बोलते हैं या स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी का रोना रोया अथवा कोरोना के खिलाफ सरकारों के द्वारा किये जा रहे नाकाफी प्रयासों की आलोचना अगर वे सोशल मीडिया या प्रेस से करते हैं तो उन्हें छह महीने के लिए जेल भेज दिया जाएगा.

इससे भी दो कदम आगे बढ़ते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अजय कुमार बिष्ट, जिसपर हत्या, बलात्कार और डकैती के अनगिनत मामले थे, और उत्तर प्रदेश में आजकल रामराज्य की स्थापना किये हुए हैं, स्वास्थ्यकर्मियों के द्वारा सुरक्षा किट मांगने के ‘अपराध’ पर 26 स्वास्थ्यकर्मियों को बर्खास्त कर दिया है. इन स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि सैलरी भी आधी से कम (लगभग 10 हजार रुपये) कर दी गई है. सुरक्षा उपकरण भी नहीं दी जा रही है और मांग करने पर बर्खास्त किया जा रहा है.

ऐसे में कोरोना की महामारी के खिलाफ भला लड़ाई कैसे हो सकती है ? देश के लफ्फाज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी टि्वीट करते हैं, ‘संकट की इस घड़ी में अस्पतालों में सफेद कपड़ों में दिख रहे डॉक्टर-नर्स, ईश्वर का ही रूप हैं. खुद को खतरे में डालकर ये हमें बचा रहे हैं. इनके साथ बुरा बर्ताव होता दिखे तो आप वहां जाकर लोगों को समझाएं. डॉक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ जिंदगी बचाते हैं और हम उनका ऋण कभी नहीं उतार सकते.’

वहीं नरेन्द्र मोदी अपने दूसरे टि्वी्ट में कहते हैं, ‘आज से नवरात्रि शुरू हो रही है. वर्षों से मैं मां की आराधना करता आ रहा हूं. इस बार की साधना मैं मानवता की उपासना करने वाले सभी नर्स, डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, पुलिसकर्मी और मीडियाकर्मी, जो कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जुटे हैं, के उत्तम स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं सिद्धि को समर्पित करता हूं.’

पर कैसे ??? जब उसके ही आदेश से स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन काटे जाते हैं,  रक्षा किट की मांग करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को नौकरी से बर्खास्त किया जाता है, उसे जेल भेजने की धमकी दी जाती है. तब आप कैसे कोराना जैसे वायरस से लड़ सकते हैं ?? केवल ताली, थाली, घंटा, दिया, बाती के सहारे ??? अघोड़ियों और सनकी अंधविश्वासियों के सहारे ??? क्या आप लॉकडाऊन जैसी स्थिति में लोगों को लंबे समय तक डालकर करोड़ों देशवासियों को भूख से मारना चाहते हैं ???

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