Home गेस्ट ब्लॉग God is not Great : गॉड इज नॉट ग्रेट

God is not Great : गॉड इज नॉट ग्रेट

8 second read
0
0
690

God is not Great : गॉड इज नॉट ग्रेट

हिमांशु कुमार, सामाजिक कार्यकर्त्ताहिमांशु कुमार, प्रसिद्ध गांधीवादी कार्यकर्ता

21वीं सदी में दुनिया में जो पांच दस सबसे महान नास्तिक विचारक पैदा हुए हैं, उनमें से रिचर्ड डॉकिंस के बाद सबसे बड़ा नाम आता है, क्रिस्टोफर हीचैन का. उन्होंने 2007 में ‘गॉड इज नॉट ग्रेट’ नाम की किताब लिखी और उस किताब में उन्होंने सैकड़ों सबूत दे कर यह साबित करने का प्रयास किया कि पिछले 5000 साल में मानव जाति पर जितने भी महा भयंकर संकट आए हैं, उस दौरान दुनिया के किसी भी ईश्वर, अल्लाह या गॉड ने मानव जाति की कोई मदद नहीं की.

मानव जाति में जो मुश्किल से 5 प्रतिशत बुद्धिमान लोग हैं, जिन्होंने मानव जाति को हर संकट के समय कोई न कोई रास्ता ढूंढ कर दिया है. लेकिन धर्म के नाम पर जो लोग अपना पेट पालते हैं और अपने आप को धर्म का ठेकेदार और ईश्वर का प्रतिनिधि समझते हैं. उन लोगों ने मानव जाति के जो 95 प्रतिशत लोग हैं, और जो जन्मजात बुद्धिहीन है, और जो किसी न किसी काल्पनिक सहारे के बगैर जी ही नहीं सकते, ऐसे लोगों को बार-बार धर्म ने अपने जाल में जकड़ कर रखा है.

दुर्भाग्य से आज क्रिस्टोफर हीचैन हमारे बीच नहीं है, लेकिन कोरोना वायरस ने फिर एक बार क्रिस्टोफर हीचैन को सही साबित किया है और यह भी साबित किया है कि कोरोना वायरस प्रकृति ने पैदा किया है, इंसान ने पैदा किए हुए ईश्वर, गॉड और अल्लाह उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. सिर्फ विज्ञान है जो उसे आज कंट्रोल करेगा.सभी धर्मों के ठेकेदारों का यह सनातन दावा है कि ईश्वर इस ब्रह्मांड का निर्माता है और वह सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ और हर जगह पर मौजूद है और उसकी मर्जी के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिलता है.

दुनिया का सबसे बड़ा धर्म क्रिश्चन है और पूरी दुनिया के क्रिश्चन लोगों का सबसे बड़ा गुरु इटली के रोम शहर में रहता है, जिसे वेटिकन सिटी कहा जाता है. आजकल कोरोना के डर से इटली के सभी चर्च और वेटिकन सिटी लॉकडाउन है और उनका सबसे बड़ा धर्म गुरु यानी पोप कहीं छुप कर बैठा है. दुनिया का सेकंड नंबर का धर्म इस्लाम है और दुनिया भर में फैले मुसलमानों की सबसे पवित्र भूमि और पवित्र धर्मस्थल मक्का मदीना है, वह भी आज पूरी तरह से बंद है. और दुनिया के तीसरे नंबर का धर्म यानी हिंदू धर्म और उसके सभी प्रसिद्ध धर्मस्थल जैसे कि चारों धाम, बालाजी मंदिर, शिर्डी के साईं बाबा का मंदिर, जम्मू के वैष्णो देवी का मंदिर और बहुत सारे छोटे-मोटे मंदिर आज लॉकडाउन है. दुनिया के किसी भी धर्म मंे और किसी भी भगवान में इतनी ताकत नहीं है कि वह कोरोना नाम के एक मामूली बीषाणु को रोक सकें.

कोरोना वायरस ने फिर एक बार साबित किया है कि ईश्वर, गॉड या अल्लाह यह सब पाखंड है. धर्म के ठेकेदारों ने बुद्धिहीन लोगों के अज्ञान और डर का फायदा उठाकर उनका शोषण करने के लिए दुनिया भर में बड़े-बड़े धर्मस्थल बना रखे हैं और हजारों सालों से भोली-भाली जनता के अज्ञान और डर का नाजायज फायदा उठा रहे हैं और उनका शोषण कर रहे हैं.

जब हजारों लोग मुंबई से शिरडी तक बिना चप्पल पहने हुए पैदल जाते हैं और साईं बाबा को अच्छी बीवी, अच्छी नौकरी, अच्छी संतान और धंधे मे मुनाफा मांगते हैं और समझते हैं कि साईं बाबा उनको यह सब कुछ दे देगा. यदि साईं बाबा या बालाजी या वैष्णो देवी या अजमेर शरीफ या फिर मक्का मदीना और वेटिकन सिटी अपने भक्तों की ऐसी छोटी-मोटी मांगें और मुरादें पूरी करते हैं और मानव जाति का हमेशा हित और सुख देखते हैं, तो फिर आज सारे के सारे छुपकर क्यों बैठे हैं ? कोरोना में ज्यादा ताकत है या फिर ईश्वर, अल्लाह या गॉड में ज्यादा ताकत है ?

विज्ञान कहता है 14 बिलियन साल पहले बिग बैंग के माध्यम से इस विश्व की निर्मिति हुई और लगभग 5 बिलियन वर्ष पहले पृथ्वी की निर्मिति हुई. इस पृथ्वी पर आज तक विज्ञान ने लगभग 18 मिलियन प्रजातियां आईडेंटिफाई की है, और मानव जाति होमोसेपियन 18 मिलियन प्रजातियों में से एक प्रजाति है और इस विश्व के अनगिनत साल के इतिहास में मानव जाति का कोई अता-पता नहीं था. मानव जाति मुश्किल से पिछले चार मिलियन साल से इस पृथ्वी पर आई है. आज तक कई प्रजातियां पृथ्वी में आई, कुछ साल तक रही और जलवायु बदलते ही नष्ट हो गई. मानव जाति भी इस पृथ्वी पर हमेशा रहेगी इसका कोई भरोसा नहीं है. जिस तरह डायनासोर और न जाने कितनी प्रजाति है, आई और गई और इंसान भी इनमें से एक मामूली प्रजाति है.

इस विश्व को चलाने वाली एक शक्ति है, इसे विज्ञान नेचर या प्रकृति के नाम से जानता है. और विज्ञान यह भी मानता है कि प्रकृति एक निश्चित नियमों के अनुसार इसको चलाती है. यदि इस प्रकृति पर काबू पाना है तो हमारे हाथ में सिर्फ एक ही रास्ता है और वह है इस प्रकृति के रहस्य में नियमों को अनुसंधान, संशोधन और प्रयोग के द्वारा जान लेना. आज तक विज्ञान ने प्रकृति के बहुत सारे नियमों को खोज लिया है और विज्ञान की खोज निरंतर जारी है.

दुनिया के सारे धर्म हमको सिर्फ प्रकृति की पूजा करने की शिक्षा देते हैं और यह कहते हैं कि पूजा करने से प्रकृति प्रसन्न होगी और हमारी मांगंे और मुरादें पूरी करेगी. दुनिया के सारे धर्मों की यह मूलभूत शिक्षा ही सरासर झूठ है. विज्ञान ने इस बात को साबित किया है, पूजा-पाठ करने से प्रकृति अपने नियम कभी नहीं बदलती. यदि प्रकृति पर काबू पाना है तो उसका एकमात्र रास्ता है प्रकृति के नियमों को जानना. आज तक दुनिया में मानव जाति के सामने जितनी भी समस्याएं आई, जैसे कि प्राकृतिक आपदाएं और सभी प्रकार की संसर्गजन्य बीमारियां. किसी भी धर्म ने या धर्म गुरु ने या ईश्वर ने इनमें से एक भी बीमारियों का कोई इलाज मानव जाति को नहीं दिया. यह तो सिर्फ विज्ञान ही है, जिसने मलेरिया, इनफ्लुएंजा, कॉलरा, स्मॉल पॉक्स और जाने कितनी बीमारी पर साइंस ने दवाइयां खोजी है और इन महामारियों को हमेशा के लिए दुनिया से मिटा दिया है. कोरोना के ऊपर भी बहुत जल्द साइंस इलाज ढूंढ के निकालेगा.

आज तक मानव जाति के ऊपर जब भी कोई बड़ा संकट आता है तो सारे मानव अपने-अपने तीर्थ स्थल पर जाकर भगवान अल्लाह या गॉड के सामने झुक जाते हैं, लेकिन कोरोना वायरस ने तो यह रास्ता भी बंद कर दिया है. अभी सिर्फ हमारे सामने एक ही रास्ता है और वह है विज्ञान का. सारे भगवान छुप कर बैठे हैं. हमारे सामने सिर्फ एक ही रास्ता है और वह है हॉस्पिटल का. यह रास्ता हमें भगवान ने नहीं, विज्ञान ने दिया है. इसलिए कोरोना वायरस से कुछ सीख लो. विज्ञानवादी बनो और जाति-धर्म के सांचे से बाहर निकल कर एक नजर से हर इंसान और प्रकृति से प्रेम करना सीखो.

Read Also –

कोरोना वायरस से लड़ने में मोदी सरकार की ‘गंभीरता’
कोरोना : महामारी अथवा साज़िश, एक पड़ताल
कोरोना बनाम फनफनाती हिन्दू संस्कृति
भूख से बढ़ कर कोई सवाल नहीं 

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…