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कोराना संकट : असल में यह हत्यारी सरकार है

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कोराना संकट : असल में यह हत्यारी सरकार है

गिरीश मालवीय, पत्रकार

सत्ताधारी एक नम्बर के झूठे हैं, बल्कि झूठे तो छोटा शब्द है, यह इतने गिरे हुए हैं इतने निकृष्ट है कि इन्होंने लाखों- करोड़ों भारतीयों की जान को खतरे में डालने का जघन्य पाप किया है. कल कांग्रेस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की बाद में उसी विषय पर राहुल गांंधी ने इस संबंध में ट्वीट भी किया.

हम सब भी यह जानते हैं कि कोरोना के संक्रमण के खतरे देखते हुए सबसे ज्यादा जरूरी है कि हमे अपने डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ़ ओर उनकी पूरी मेडिकल टीम को सेफ रखे, देश भर के अस्पतालों में N-95 मास्क और PPE किट की बेहद कमी महसूस की जा रही है. इन दोनों की बहुत ज्यादा जरूरत है. N-95 मास्क में 3 लेयर प्रोटेक्शन होता है, जो WHO द्वारा रिकमन्डेड है. पीपीई किट में एक बार इस्तेमाल किए जाने वाले डिस्पोजेबल कपड़े, जूते, मास्क और दस्ताने का सेट होता हैं. कोरोना के खतरे को देखते हुए भारत को 5 लाख बॉडी ओवरऑल प्रतिदिन की जरूरत पड़ने वाली है.

क्या आप जानते है कि N-95 मास्क और PPE किट में लगने वाले कच्चे माल जैसे विशेष प्रकार का कपड़ा, इलेस्टिक आदि का निर्यात कुछ दिनों पहले 19 मार्च तक विदेशों में 10 गुना मूल्य पर किया जाता रहा, जबकि WHO फरवरी में ही ने कड़े शब्दों में यह सभी देशों को ऐसे सुरक्षात्मक इंस्ट्रूमेंट को अपने देश मे स्ट्रोर करने की सलाह दी थी.

इन्हें प्रोटेक्शन किट चाहिये न कि थाली और ताली (सोशल मीडिया से साभार)

कल कारवां मैगजीन ने इस पर एक स्टोरी की है. कांग्रेस ने कल प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस प्रकार के निर्यात को आपराधिक साजिश करार दिया, इसका जवाब देते हुए बीजेपी की आईटी-सेल के अमित मालवीय ने सरकार के 31 जनवरी के एक आदेश को ट्वीट किया कि ‘1 फरवरी से ऐसे निर्यात पर रोक लगा दी थी.’ तो क्या वाकई यह निर्यात किया गया ? आखिर इस बात सच्चाई क्या है ? इस बात को मैंने स्वयं चेक करने का प्रयास किया और पता चला कि वाकई यह निर्यात किया जाता रहा.

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, मेडिकल से जुड़ी जरूरी सुविधाओं के निर्यात पर 31 जनवरी, 2020 को ही बैन लगा दिया गया था. लेकिन 8 फरवरी को कुछ चीजों से यह बैन हटा लिया गया. 8 फरवरी को, सरकार ने सर्जिकल मास्क और दस्ताने को प्रतिबंधित सूची से हटा दिया. इस अधिसूचना में इसके अलावा आठ आइटम को ‘स्वतंत्र रूप से निर्यात योग्य’ बताया गया. ये सामान गैर बुना हुआ जूता कवर; सांस लेने वाले उपकरण एयरमैन, गोताखोर, पर्वतारोही या फायरमैन द्वारा उपयोग किए जाते हैं; जहरीले वाष्प, धुएं, गैसों के खिलाफ निस्पंदन के लिए रासायनिक शोषक के साथ गैस मास्क; एचडीपीई (हाइ डेन्सिटी पोलिथीन) तिरपाल / प्लास्टिक तिरपाल; पीवीसी (पॉलीविनाइल क्लोराइड) कन्वेयर बेल्ट और बायोप्सी पंच यह सब सामान PPE किट बनाने के लिए बेहद जरूरी थे.

इन सब सामानों का लगातार निर्यात होता रहा. मास्क उद्यमियों के एसोसिएशन भी सवाल उठाते रहे कि मास्क से जुड़े कच्चे माल का लगातार निर्यात हो रहा है. प्रिवेंटिव वियर मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन संजीव रेहान बताते हैं कि ‘दूसरे देश भारत से मंगाकर माल को स्टॉक कर रहे थे और भारत सरकार 19 मार्च तक पीपीई उत्पादों और कच्चे माल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने को लेकर नींद में थी.’ रेहान ने यह भी बताया कि ‘लगातार निर्यात के कारण N-953 मास्क बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले घटकों की कीमत 250 रूपये किलोग्राम से बढ़कर 3,000 रूपये किलोग्राम हो गई.’

आश्चर्यजनक रूप से यह बात सच साबित हुई कि भारत ने WHO के निर्देश के मुताबिक ऐसे सुरक्षात्मक मटेरियल का स्टोर तो नहीं किया बल्कि जो माल बना हुआ था उसे भी निर्यात कर दिया गया. इस बात की सच्चाई इस बात से सिद्ध होती है कि 18 मार्च को भारत नेपाल की महाराज गंज की सोनौली सीमा पर अधिक मात्रा में भारत से नेपाल जा रहे सर्जिकल मास्क, डिस्पोजेबल मास्क, प्लाई मास्क सभी प्रकार के वेंटिल्टर्स मास्क बनाने वाले कपड़े के रॉ मटेरियल से भरे हुए ट्रकों को रोका गया और सामान वापस गोदाम में रखवाया गया है.

बेहद गंभीर बात है कि अब हम एक ऐसे संकट का सामना कर रहे हैं, जो हमारा खुद के खड़ा किया हुआ है. यह है असलियत इस झूठी सरकार की. अब तक इसे हम झूठी सरकार ही कहते थे, दरअसल यह हत्यारी सरकार है.

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ROHIT SHARMA

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