1. जितने हिंदू मरेंगे उतना बीजेपी को फायदा होगा क्योंकि उससे हिंदू डरकर बीजेपी को वोट देंगे. आईबी अधिकारी अंकित शर्मा का कत्ल सरकार के इशारे पर हिंदुत्व के गुंडों द्वारा जय श्रीराम के नारे लगाते हुए किया गया है. ताहिर खान को सरकार मुसलमान होने के नाते बदनाम कर मुसलमानों के खिलाफ नफरत भड़काने के लिए साजिशन पूरा षड्यंत्र रच रही है. सरकार के पैसों से चलने वाले ज़ी टीवी और दूसरे चैनल जान-बूझकर झूठ फैला रहे हैं.
इन पूरे हिंसा में मुसलमानों ने हिंदू मंदिरों की रक्षा की. उनकी दुकानें जला दी गई, उसके बावजूद उन्होंने हिंदुओं के घरों की और मंदिरों की हिफाजत की है. भाजपा का इरादा बहुत बड़ी हिंसा करने का था लेकिन सोशल मीडिया पर लगातार वीडियोज आने और बात के सामने आते जाने के कारण भाजपा इस बार इतनी बड़ी तादाद में हत्या नहीं करवा सकी. लेकिन भाजपा लगातार और दंगा करने की कोशिश में लगी हुई है. सभी लोग सावधान रहिए और इनकी हर साजिश को नाकाम कीजिए. पुलिस भाजपा के हाथों में बुरी तरह खेल रही है. मैं लगातार हिंसा ग्रस्त इलाकों में घूम रहा हूं. लोग आपस में मिलकर रह रहे हैं. लोगों के बीच कोई झगड़ा नहीं है.
अब सरकार सीएएए का विरोध करने वाली मुस्लिम औरतों और नौजवानों को डराना धमकाना और उन्हें फर्जी केसों में फंसाने की धमकी दे रही है. यह पूरा दंगा शाहीन बाग और उस तरह के सैकड़ों प्रदर्शनों में जो मुस्लिम महिला एवं युवा नेतृत्व उभर कर सामने आया, और उसने संविधान, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करने का जो प्रदर्शन देश के सामने किया, उससे भाजपा बुरी तरह घबरा गई.
भाजपा द्वारा मुसलमानों के खिलाफ जो नकारात्मक आतंकवादी की छवि और उनके खिलाफ जो माहौल बनाया जाता रहा है, मुस्लिम औरतों ने शाहीन बाग जैसे प्रदर्शनों के जरिए भाजपा द्वारा बनाई गई मुसलमानों की छवि को बिल्कुल बदल दिया था. इसलिए यह दंगे करके शाहीन बाग आंदोलन को बुरी तरह से कुचलने और मुसलमानों की सुधरती हुई छवि की प्रक्रिया को रोकने के लिए यह दंगे भाजपा द्वारा कराए गए हैं.
2. कल हम उस इलाके में घूमे जहां ताहिर का घर है. ताहिर आम आदमी पार्टी से इस इलाके के काउंसिलर हैं. एक वीडियो में वह हाथ में डंडा पकड़े हुए दिखाई दे रहे हैं. उन पर इल्जाम है कि उन्होंने दंगाइयों पर पत्थर फेंके. वीडियो में दिख रहा है कि उनके घर के बराबर में बुरी तरह से धुआं उठ रहा है. सोशल मीडिया और गोदी मीडिया ने तुरंत ताहिर को आतंकवादी करार दे दिया लेकिन सामान्य बुद्धि और समझ कहती है कि वह व्यक्ति आत्मरक्षा की कोशिश कर रहा था. लेकिन क्योंकि वह मुसलमान है इसलिए आज के एकतरफा सांप्रदायिक माहौल में उसे खलनायक के रूप में प्रस्तुत किया गया.
सबसे आश्चर्यजनक बात यह हुई कि आम आदमी पार्टी जिसके केजरीवाल नेता हैं, उसने ताहिर को फटाफट पार्टी से बाहर कर दिया.
कल मैं दिल्ली के कुछ इलाकों में घूम रहा था. मुस्लिम समुदाय के लोग आपस में बातचीत कर रहे थे और वह कह रहे थे कि क्या मुसलमानों को अपनी जान बचाने का भी हक नहीं है ? आम आदमी पार्टी द्वारा ताहिर को पार्टी से बाहर निकाल देने से मुसलमानों के भीतर बहुत ही सदमाजनक अहसास हुआ है.
सरकार जानबूझकर दंगा भड़काने वाले कपिल मिश्रा को बचा रही है और उसे एक हीरो के रूप में पेश किया जा रहा है. दूसरी तरफ मीडिया और भारत की सांप्रदायिक सरकार को एक मुसलमान का नाम खलनायक के रूप में प्रस्तुत करने के लिए मिल गया है लेकिन यह देश को बनाने और बचाने के तरीके नहीं है बल्कि मुल्क को तबाह करने की हरकतें हैं. भारतीय जनता पार्टी की सरकार फौरी राजनीतिक फायदों के लिए इस देश का बहुत नुकसान कर रही है.
3. पुलिस खुद दंगाइयों की टोली का हिस्सा रही. उन्हें प्रोटेक्ट करती रही. उनके साथ खुद फ़साद में शामिल रही. इसके भी वीडिओज़ वायरल हुए, लेकिन किसी पुलिस वाले पर कार्यवाही नहीं हुई, दो पर शायद जांंच चल रही है.
सैकड़ों वीडिओज़ वायरल हुए हैं जिनमें गुंडावाहिनी के तमाम सदस्यों के चेहरे साफ दिखाई दे रहे हैं लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है. जिन पर दंगा भड़काने का आरोप है, उन पर FIR का सही समय अभी नहीं है, ऐसा शासन प्रशासन कह रहा है और कोर्ट ने भी मान लिया है. ताहिर पर कार्यवाही करने का बिल्कुल यही सही समय था, इस पर मीडिया, शासन प्रशासन सब सहमत हैं.
तीन दिन शहर जलता रहा, लेकिन तमाम मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रशासनिक अधिकारी आराम से सो रहे थे. इस सबके बावजूद जब ये कहना पड़े कि हमें शासन प्रशासन और न्यायतंत्र पर पूरा भरोसा है, तो इसे एक मजबूरी समझिए.
जब तक साम्प्रदायिक नफरत की बुनियाद पर जनता किसी पार्टी को सत्ता सौंपती रहेगी, देश का कोई न कोई हिस्सा इसी तरह जलता रहेगा. प्रायोजित दंगों में गुंडे देश को ज़ख्मी करेंगे फिर देश के भले नागरिक उन ज़ख्मों पर मरहम लगाएंगे. 70 साल से ये देश यही कर रहा है और न जाने अभी और कब तक यही करता रहेगा ?
4. अयोध्या में भगवान राम अपने मुकुट में मुसलमानों की बनाई कलगी पहन रहे हैं, ट्विटर पर अधर्मी लोग मुसलमानों के बहिष्कार की अपील कर रहे हैं.
मैं अयोध्या के किनारे पैदा हुआ हूं. हमारे परिवार के लोग हर महीने तेरस पर अयोध्या जाते थे. बाबा रोज़ रामायण का पाठ करते थे. बिना नहाए, बिना पूजा किए पानी नहीं पीते थे लेकिन हमारे दरवाज़े के ठीक सामने से मुसलमानों का मोहल्ला शुरू होता है. कभी कोई नफरत भरी हरकत किसी तरफ से नहीं हुई. सब लोग आज भी गांव में वैसे रहते हैं जैसे रहते आये हैं.
हम सब छोटे थे तो मोहर्रम में रात को मांं जगा कर कहती थी, जाओ ताज़िया देख आओ. हम उठकर भागते थे. वहां फातिहा पढ़े जाने के बाद सिन्नी, मलीदा और खुरमा बंटता था. यह आज भी होता है. होली पर एकाध को छोड़कर सारे मुस्लिम शामिल होते थे, रंग खेलते थे. आज भी खेलते हैं. लोग गांव भर में घूम कर होली गाते हैं, ढोल बजाने वाले लोगों में एक सुबराती चचा भी हैं. सुबराती चचा कीर्तन में भी ढोल बजाते हैं.
जिस अयोध्या के नाम पर देश भर में दंगा कराया गया, जिस राम के नाम पर बंटवारे का राष्ट्रीय प्रोजेक्ट चल रहा है, उस अयोध्या में ही राम मंदिर में हिन्दू पुजारी पूजा करता है, मुसलमान राम के मुकुट की कलगी बनाते हैं, सीताराम की चूनर में गोटा और लैस लगाते हैं. वहां मुसलमान में चूड़ी, सिंदूर, लॉकेट, मूर्ति और अन्य तरह के प्रसाद वगैरह बेचते हैं. अयोध्यावासियों को कभी इससे दिक्कत नहीं हुई.
यह है भारत की संस्कृति. यही है असली हिंदुस्तान. फिर दिक्कत कहांं आती है ? जहं जहं पांव पड़े संघिन के, तहं तहं बंटाधार. हमारे गांव के हर मुसलमान घर में बकरी और गाय पाली जाती हैं. कभी किसी को कोई उज्र नहीं हुआ. न कभी गाय कटी, न गाय के नाम पर आदमी. यही असली भारत है.
हमने पिछले दिनों में दर्जनों कहानियां लिखी हैं कि कैसे फसाद में भी जनता एक दूसरे के साथ खड़ी रही. ये कौन लोग हैं जिनको इंसानों से समस्या पैदा हो गई है ? जो इस समाज को आगे ले जाने की जगह इसे छिन्न-भिन्न करे, वह द्रोही है. ऐसे लोग और ऐसे विचार देशद्रोही, धर्मद्रोही, समाजद्रोही, परम्पराद्रोही, संविधानद्रोही, भारतद्रोही हैं. जिन मनुष्यों से भगवान को दिक्कत नहीं है, उन मनुष्यों से किसको दिक्कत है ?
कड़े शब्दों में दंगाइयों से यह कहने की ज़रूरत है कि हम तुम्हारी ठेकेदारी से इनकार करते हैं. तुम्हारी नफरत तुम जानो, हम उसे क्यों ढोएं ??
5. इस बार दिल्ली में जो हिंसा सरकार द्वारा मुसलमानों के खिलाफ की गई है. उसमें सिर्फ सरकार ही पक्षपाती नहीं रही बल्कि पुलिस पूरी तरह से पक्षपाती और हिंसा करने वाली थी.
इस बार एक नई बात पता चली जो बहुत खतरनाक है. जब घायलों को जीटीबी अस्पताल ले जाया गया तो हिंदू घायल और मुस्लिम घायलों के साथ अलग-अलग तरह का बर्ताव किया गया क्योंकि सरकार मुसलमानों के खिलाफ थी इसलिए डॉक्टर भी मुसलमानों के खिलाफ बर्ताव कर रहे थे.
कई ऐसे घायल थे जिनके शरीर के भीतर गोलियां थी. डॉक्टरों ने गोलियां निकाले बिना ऊपर से पट्टी बांध दी और उसकी वजह से वह मुस्लिम मरीज मर गए. जबकि दूसरी तरफ जो हिंदू घायल आ रहे थे उनमें से कई तो दंगाई थे जिन्हें दंगा करते वक्त कहीं छोटी-मोटी चोट लगी थी, उनकी बहुत अच्छे से खातिरदारी की जा रही थी और चार चार डॉक्टर उनको देख रहे थे. यह मैं नहीं कह रहा पीड़ित समुदाय के बहुत सारे लोगों ने हमें बताया.
यह बहुत भयानक और खतरनाक ट्रेंड है. डॉक्टरी पेशा पवित्र पेशा माना जाता है. अगर डॉक्टर भी हिंदू मुसलमान में बट जाएंगे तो इस मुल्क को बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता.
6. दिल्ली हिंसा की बहुविध प्रतिक्रिया बंग्लादेश में देखने को मिली. वहांं की मुस्लिम तंजीमों में इतना तेज गुस्सा उपजा कि सरकार को अपने यहांं अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध करने पड़े.
कुछ संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी है कि शेख मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी समारोह में अगर भारतीय प्रधानमंत्री को दिया गया आमंत्रण रद्द नहीं किया गया तो वे हवाई अड्डे से ही जबर्दस्त विरोध करेंगे.
अनेक देशों में हिन्दू असुरक्षित हो सकते हैं. कहीं ऐसा न हो कि एक दिन अरब देशों और दूसरे मुल्कों से भारतीयों को भगाया गया तो यहांं आकर वे पकौड़ा बेचेंगे और जै श्री राम बोलेंगे.
पता नहीं दिमाग में किस जानवर का गोबर भरा है कि संभावित खतरों के बावजूद हम अफीम के नशे में हैं. रहिये भाई. आपसे कौन थेथरई में जीत सकता है ?
7. ये पढ़ते ही मंटो बेसाख़्ता याद आए. मोहन कुमार नागर की मुकदमा : लघुकथाएं
1)
जज – कितने मरे ?
वकील – 4 माय लॉर्ड
जज – पर आंकड़ा तो सौ का है
वकील – 96 .. ‘ वो ‘ थे माय लॉर्ड !
जज – कोर्ट इन 4 मरने वालों के परिवारों को मुआवजा और
दंगा भड़काने वाले 96 दंगाइयों के परिवार की संपत्ति
राजसात करने का हुक्म सुनाती है.
2 )
वकील – माय लॉर्ड ! हमें थोड़ा और वक्त चाहिए.
जज – सबूत जुटाने को ?
वकील – नहीं .. मिटाने को.
3)
फरियादी – ये कौन हैं ?
वकील – नए जज !
फरियादी – पिछले साहब का क्या हुआ ?
वकील – उनका लोया हो गया.
फरियादी – तो अब ये फैसला देंगे ?
वकील – नहीं .. अगले जज के आने तक तारीख.
4)
( 50 साल पुराना केस )
जज – केस क्या है ?
वकील – मर्डर .. बलात्कार .. दंगे ..
जज – आरोपी को बुलाइए
वकील – नेताजी का तो कल ह्यदयघात से स्वर्गवास हो गया माय लॉर्ड, आज उनकी राजकीय सम्मान सहित अंत्येष्ठि है.
– हिमांशु कुमार, सलमान अरशद, कर्मेन्दू शिशिर, कृष्ण कांत, मोहन कुमार नागर द्वारा लिखित.
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