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ट्रंप का भारत दौरा और दिल्ली में हिंसा

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ट्रंप का भारत दौरा और दिल्ली में हिंसा

Ravish Kumarरविश कुमार, मैग्सेस अवार्ड प्राप्त जनपत्रकार

ऐसा कभी नहीं हुआ कि एक हाई-प्रोफाइल राष्ट्रीय मेहमान भारत आया हो और भारत की राजधानी दिल्ली में दंगे हो रहे हों. ये और बात है कि इस हिंसा की प्रशासनिक ज़िम्मेदारी अब के मीडिया समाज में किसी की नहीं होती है, फिर भी ये बात दुखद तो है ही कि हम किस तरह की राजधानी दुनिया के सामने पेश करना चाहते हैं. इस राजधानी के चुनाव में गोली मारने के नारे लगाए गए, उसके बाद सरेआम पिस्टल लहराने और गोली चलाने और चलाने की कोशिश की यह तीसरी घटना हो गई है. क्या वाकई किसी ने इस बात की फिक्र नहीं की कि केंद्र सरकार का तंत्र राष्ट्रपति ट्रंप के स्वागत की तैयारियों में लगा है तो दिल्ली शांत रहे. दंगे की नौबत न आए. या फिर दिल्ली के पूर्वी हिस्से में हिंसा इसलिए हुई या होने दिया गया ताकि जब तमाम चैनलों के स्क्रीन ट्रंप के आगमन की तस्वीरों से भरे हुए हों, तब हिंसा का खेल खेला जाए. लेकिन ऐसा तो हुआ नहीं. हिंसा की घटना ने ट्रंप के कवरेज के असर को गायब कर दिया. भले ही टीवी पर हो न हो लेकिन दिल्ली इस वक्त इस शहर की चिन्ता में डूबी है. उसका ध्यान जलती दुकानों और चलती गोलियों में फंसा हुआ है.

क्या यह सब इसलिए होने दिया गया ताकि हेडलाइन बने कि जिस वक्त ट्रंप भारत में उतर रहे थे, दिल्ली में दंगे हो रहे थे ? क्या दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने मौक़े की नज़ाकत को बस इतना ही समझा ? जैसे जैसे ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी मोटेरा स्टेडियम की तरफ बढ़ रहे थे, वहां मौजूद भीड़ के बीच दोनों के स्वागत में तालियां गूंज रही थीं, दोनों नेता अपने अपने भाषण की तैयारी कर रहे थे. इधर दिल्ली के पूर्वी दिल्ली में ऐसे हालात बन रहे थे कि दस जगहों में धारा 144 लगाने के हालात बन रहे थे. जाफ़राबाद, मौजपुर, कर्दमपुरी, दयालपुर, गोकुलपुरी, नूरइलाही, चांदबाग से तनाव और पथराव की खबरें आने लगीं. सबसे पहले सुबह नौ बजे हमारे सहयोगी परिमल का मैसेज आता है कि वे मौजपुर चौक पर हैं और यहां पर तनाव बढ़ रहा है. पुलिस भारी मात्रा में मौजूद हैं. परिमल वहां से थोड़ी दूर जाते हैं, और तब साढ़े बारह बजे उनका मैसेज आता है कि जाफ़राबाद में नागरिकता संशोधन कानून के विरोधी और समर्थकों के बीच पथराव होने लगा है. डेढ़ बजे तक एक और वीडियो सामने आता है कि भजनपुरा के आस चांदबाग में पत्थरबाज़ी तेज़ हो चुकी है. दो बजते बजते मैसेद आता है कि हालात खराब हो चुके हैं. मौजपुर मेट्रो स्टेशन और जाफराबाद मेट्रो के बीच भी पथराव होने लगा है. पुलिस आंसू गैस चला रही है, उपद्रवियों पर काबू पाने के लिए. 40 मिनट के बाद मुकेश का मैसेज आता है कि जाफराबाद में दो गुटों में पथराव हो रहा है. एक ऑटो में आग लगा दी है. उसी समय भजनपुरा में उपद्रवी ने मोटरसाइकिल और गाड़ी में आग लगा दी है. मौके पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी से भी तोड़फोड़ होती है. तीन बजते बजते जब राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी का कार्यक्रम मोटेरा स्टेडियम में समाप्ति की तरफ बढ़ रहा था तभी यह वीडियो सामने आता है. एक आदमी जो लाल रंग के टी शर्ट में है, हाथ में रिवाल्वर लिए आता है. उसकी तरफ पुलिस का एक जवान भी है. लाल टी शर्ट वाला दूसरी तरफ गोली चलाता है. वीडियो खत्म हो जाता है. पता नहीं चलता है कि इसके बाद लाल टी शर्ट वाला क्या करता है, पुलिस उसके साथ क्या करती है. क्या यही हमारी सुरक्षा का बंदोबस्त है, जिस दिल्ली में शाम के वक्त अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप दिल्ली पहुंचने वाले हैं, ज़ाहिर है जहां सुरक्षा की पूरी तैयारी होगी, वहां उस तैयारी का ये नतीजा है कि इस तरह से खुलेआम पथराव हो रहा है. कोई शख्स खुलेआम रिवाल्वर लेकर गोली चला रहा है. क्या ये हमारी कानून व्यवस्था है. टॉप एंगल से रिकार्ड किए गए इस मोबाइल वीडियो में यह लाल टी शर्ट वाला भयानक लगता है. किस तरह से खुलेआम रिवाल्वर लहरा रहा है, गोली चलाता दिख रहा है, इस वीडियो में दो बार गोली चलाने की आवाज सुनाई देती है, एक पुलिस वाला सामने आता है, मगर वह पीछे हटने लगता है, उस पर पत्थर फेंके जाते हैं, और वो पीछे गिरता हुआ लगता है, लेकिन हमारे सहयोगी मुकेश ने बताया कि पुलिस वाले को गोली नहीं लगी, उसने पुलिस को छोड़ दिया. लेकिन दूसरी तरफ गोली चलाते हुए वह इस तस्वीर में साफ साफ दिख रहा है. इस स्टिल तस्वीर में उसका चेहरा साफ है. यह साफ नहीं है कि इस लाल शर्ट वाले ने कितनी गोलियां चलाईं, किसे गोली लगी, रिवाल्वर लाइसेंसी है या अवैध है? क्या यह कोई पेशेवर अपराधी है.

आपने जो भी वीडियो देखे हैं, वो पूरे नहीं हैं. व्हाट्सऐप और ट्विटर पर कई तरह के वीडियो फार्वर्ड किए जा रहे हैं. एक वीडियो में एक पक्ष हिंसा करता तो दिख रहा है लेकिन दूसरा नहीं दिखता है. दूसरे वीडियो में दूसरा पक्ष हिंसा कर रहा है. किसी वीडियो में पुलिस पत्थर चला रही है तो किसी वीडियो में पुलिस के साथ सादे लिबास में लोग भी पत्थर चला रहे हैं. जिसे जो ठीक लग रहा है वह उस हिसाब से वीडियो चुन ले रहा है और फारवर्ड कर दे रहा है. सभी को यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि ऐसे वीडियो से कुछ पता ज़रूर चलता है मगर पूरी बात का पता नहीं चलता है. कभी वीडियो बहुत शुरू के होते हैं तो कभी बीच के या कभी आखिर के. इसलिए ऐसे वीडियो को देखते सम सतर्कता बरतें. सोशल मीडिया पर ऐसे बहुत से वीडियो चल रहे हैं.

चाहे यह नागरिकता संशोधन विरोधी गुट की तरफ से आया या समर्थकों की तरफ से आया होगा, एक ऐसे वक्त जब दिल्ली को आश्वस्त करना था कि यहां सुरक्षा के हालात पूरी तरह नियंत्रण में हैं, आपको इस वीडियो में दिख सकता है कि कितनी कम पुलिस बंदोबस्त है. सिर्फ एक पुलिसवाला है इस पर काबू पाने के लिए. जिस तरफ लाल टी शर्ट वाला गोली चला रहा है उस तरफ कोई पुलिस वाला नज़र नहीं आ रहा है. एक प्रदर्शनकारी की भी मौत हो गई है. फुरकान की मौत गोली लगने से हुई है. यह साफ नहीं है कि इसकी गोली से हुई है या किसी और की गोली से.

इस वक्त भीड़ कह कर संबोधित किया जा रहा है. सवाल है कौन सी भीड़. सूत्रों के हवाले से दिए जा रहे खबरों की विश्वसनीयता भी उतनी ही है जितनी एक वीडियो के टुकड़े की. यानी पूरी बात को जानना इस वक्त मुश्किल है. कहां पर किस पक्ष ने किस पर पत्थर फेंके और जवाब में क्या हुआ, पत्थर फेंकने की योजना कहां बनी, यह जानने की बात है, किसी के कैमरे में कोई पक्ष आ गया और वही दिखाया जाने लगा इससे नफ़रत और फैलेगी. जो भी उकसा रहा था, उस पर पुलिस ने क्या कार्रवाई की, क्या कोई ऐसे कदम उठाए जिससे लोग आश्वस्त हो सकें कि स्थिति पुलिस संभाल रही है, उकसाने वाले नहीं.

भजनपुरा के पेट्रोल पंप को जला कर खाक कर दिया गया है. इंडियन ऑयल का है. खबरें आ रही हैं कि बड़ी तादाद में गाड़ियों में आग लगाई गई है. पिछली बार की हिंसा में भी सीलमपुर में एक पेट्रोल पंप को निशाना बनाया गया था.

हिंसा की कोई जगह नहीं हो सकती है. उकसाने पर भी नहीं. इस हिंसा में आम लोग भी घायल हुए हैं. उन्हें किस तरह की चोट आई है, किस अस्पताल में भरती कराया गया है, इसकी पूरी सूचना नहीं है. यह सूचना ज़रूर है कि डीसीपी अमित शर्मा भी घायल हो गए हैं. डीसीपी शर्मा की मौजूदगी में ही बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा ने प्रदर्शनकारियों को तीन दिन का वक्त दिया था. क्या कपिल मिश्रा के भाषण को उकसाने वाला भाषण माना जाएगा ? कोई प्रदर्शन कर रहा है, उसके सामने अपनी टोली ले जाकर हटाने की राजनीति में हमेशा टकराव की आशंका होती है, आपने कब सुना था कि कोई प्रदर्शन कर रहा है तो उसके खिलाफ दूर से भी और पास जाकर भी गोली मारने के नारे लगाए जा रहे हैं. उकसाने पर जिन्होंने हिंसा का रास्ता अपनाया है उन्होंने भी बहुत बड़ी गलती की है. लेकिन पूछिए कि कपिल मिश्रा ने यह क्यों किया, क्या उन्हें नहीं पता था कि प्रदर्शन को हटाना या बनाए रखना पुलिस की ज़िम्मेदारी है. कपिल मिश्रा देश के गृहमंत्री के पास जा सकते थे कि पुलिस से कहें कि वो रास्ता खाली कराए, वो खुद पुलिस का काम करने क्यों गए? क्या वो उकसाने के लिए वहां नहीं गए थे ? क्या ये भाषण शांति के लिए दे रहे थे ?

कपिल मिश्रा ने आज शांति बनाए रखने का ट्वीट किया है. लेकिन जो सबसे दुखद खबर है वो यह कि दिल्ली पुलिस के एक जवान की जान चली गई है. जवान का नाम रतन लाल है. हेड कांस्टेबल रतन लाल के सिर पर चोटी लगी थी. रतन लाल गोकुलपुरी एसीपी के रीडर थे. इतने दिनों से दिल्ली में प्रदर्शन होते रहे हैं. रतन लाल ने 1998 में दिल्ली पुलिस ज्वाइन की थी. 42 साल के थे. दो बेटियां हैं. एक बेटा है, पत्नी हैं. गृह राज्य मंत्री ने कहा है कि हिंसा करने वालों के साथ सख्ती की जाएगी.

गृह राज्य मंत्री ने राहुल गांधी और ओवैसी को ज़िम्मेदारी बता दिया. रविवार को कपिल मिश्रा क्या करने गए थे, उसके बारे में कुछ नहीं कहा ? क्या धरना प्रदर्शन हटवाना कपिल मिश्रा का काम है ? क्या इस वक्त इस तरह के बयान उचित था ? आज ही सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा है कि नागरिकों को प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से. सरकार हमेशा सही नहीं होती है. जब तक हिंसा नहीं होती है, सरकार किसी प्रदर्शन को कुचल नहीं सकती है. अगर हम असहमति को कुचलेंगे तो लोकतंत्र पर बुरा असर पड़ेगा. महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन के मूल में असहमति थी. असहमति को अवश्य ही प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. असहमति ज़ाहिर करने वालों को एंटी नेशनल कहा जा रहा है. सरकार और देश दो अलग अलग चीज़ें हैं. मैं देखता हूं कि बार एसोसिएशन प्रस्ताव पास करता है कि फलां एंटी नेशनल है इसलिए उसका केस नहीं लड़ा जाएगा. यह नहीं होना चाहिए. आप किसी को कानूनी मदद लेने से नहीं रोक सकते हैं. अगर किसी पार्टी को 51 प्रतिशत वोट मिला है तो इसका मतलब यह नहीं कि 49 प्रतिशत लोग 5 साल तक नहीं बोलेंगे. लोकतंत्र 100 प्रतिशत लोगों के लिए होता है.

गृह राज्य मंत्री कृष्णा रेड्डी का बयान गृह मंत्री का काम राजनीतिक ज्यादा था जो ऐसे मौके पर बचा जा सकता था. वो तय कर आए हैं कि अब इस जांच में क्या होगा, क्या नतीजा निकलेगा. रविवार से स्थिति तनावपूर्ण हैं, कायदे से उसकी जवाबदेही लेनी चाहिए थी. बहरहाल शाम सात बजे स्थिति सामान्य हो गई.

शाम को जब राष्ट्रपति ट्रंप का विमान आगरा से दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा इस सफेद नीले रंग के जहाज़ को देखकर नहीं कह सकता है कि दिल्ली के एक हिस्से में हिंसा और गोलीबारी की घटना हुई है. ये अच्छा है कि माहौल शांतिपूर्ण हो गया है. लेकिन हालात सामान्य होने का मतलब नहीं है कि तनाव खत्म हो गया है. घायलों के वीडियो अभी भी आ रहे हैं. जिन लोगों को चोट लगी है उनकी कहानी सामने नहीं आई है. इन सबके बीच हेड कांस्टेबल रतन लाल को याद कीजिए. इस हिंसा ने एक कर्तव्यनिष्ठ जवान की जान ली है. शाहीन बाग और जामिया कोर्डिनेशन कमेटी ने रतन लाल की मौत पर अफसोस जताया है. हिंसा और नफरत का विरोध किया है. जिनके पेट्रोल पंप जले हैं, दुकानें जली हैं, घर वालों को चोट लगी है, वो इन सामान्य सी लगती तस्वीरें राहत नहीं पहुंचा सकती हैं. इस महत्वपूर्ण दौरे की चमक से दिल्ली का एक बड़ा हिस्सा अंधेरे में रह गया है. क्या रतन लाल के घर भी स्थिति सामान्य हो गई है?

परिमल हमारे सहयोगी ने शाम सात बजे रिपोर्ट दी कि वहां हालात सामान्य हो गए हैं. सामान्य होने का मतलब यह नहीं है कि तनाव खत्म हो गया है. रविवार को जब तनाव की स्थिति पैदा हुई थी तभी सतर्क हो जाना चाहिए था. खुलेआम पत्थर चलें यह ठीक नहीं है. प्रदर्शनकारियों को भी यह देखना चाहिए कि जब हालात बिगड़े तो पीछे हट जाएं. जवाब में पत्थर चलाने से उनकी दावेदारी ही कम होती है. इससे उकसाने वालों को ही लाभ मिलता है. हालात सामान्य हैं लेकिन मेट्रो से तो लगता है कि अभी भी तनावपूर्ण हैं. जाफ़राबाद, मौजपुर-बाबरपुर, गोकुलपुरी, जौहरी एन्क्लेव और शिव विहार में आने जाने के गेट बंद हैं. वेलकम मेट्र स्टेशन तक ही ट्रेन जाएगी.

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया है कि तीस साल से दिल्ली में हूं. इतना डर कभी नहीं लगा. शर्मिंदा हूं. कौन लोग हैं जो दिल्ली में आग लगा रहे हैं. इसे बचाना होगा. ऐसे वक्त में रिपोर्टर के लिए बहुत मुश्किल होता है. उसकी सुरक्षा भी दांव पर होती है. लेकिन आप इस घटना को प्रेस के कई रिपोर्टरों के ट्वीट से भी समझ सकते हैं.

क्विंट की ऐश्वर्या एस अय्यर शाम पांच बजे ट्वीट करने लगती हैं. लिखती हैं कि अपनी आंखों से मौजपुर और जाफ़राबाद में पत्थरबाज़ी, आंसू गैस और लाठी चार्ज देखें. गाड़ियां जलाई गईं. दुकानें जलाईं गईं. घरों के अंदर पत्थर फेंके गए. कई लोग घायल हैं. ऐश्वर्या ने एक दूसरे ट्वीट में लिखा है कि हम मौजपुर में हिंसा की तस्वीर लेना चाहते थे. उस दौरान सड़क पार करने में नागरिकता विरोधी प्रदर्नकारियों ने सड़क पार करने में हमारी मदद की. जब मैं सामने वाली साइड से पत्थरबाज़ी रोकने के लिए चिल्लाती हूं तो नागरिकता समर्थक प्रदर्शनकारी मदद करता है और रास्ता पार है. तीसरे ट्वीट में ऐश्वर्या लिखती हैं कि वे जाफ़राबाद मौजपुर एरिया में हैं. ठीक वहां पर जहां हिंसा हो रही है. एक तरफ जाफ़राबाद से एंटी कानून प्रदर्शनकारी हैं. दूसरी तरफ मौजपुर से कानून के समर्थक प्रदर्शनकारी हैं. उसी दौरान ऐश्वर्या ये तस्वीर भी ट्वीट करती हैं और बता रही हैं कि जाफराबाद और मौजपुर के बीच जब ऑटो जलाया गया था उससे पहले की ये तस्वीर है जिसमें कानून विरोधी प्रदर्शनकारी गुलाब के फूल लेकर खड़े हैं. कह रहे हैं कि हम हिंसा में विश्वास नहीं रखते.

तनु श्री ट्विट करती हैं कि दोनों तरफ से पत्थरबाज़ी हो रही हैं. गाड़ियां और दुकानें जलाई जा रही हैं. मैंने इस तरह कि हिंसा राजधानी कभी नहीं देखी. मुझे यकीन नहीं हो रहा है.

शाहिल ने ट्वीट किया है कि मैंने खुद गिना है कि 37 गाड़ियां और संपत्तियों में आग लगाई गई है. पुलिस ने बताया है कि 37 पुलिस वालों को चोट लगी है, घायल हैं.

टाइम्स आफ इंडिया के जसजीव ट्वीट करते हैं खजूरी खास वज़ीराबाद मेन रोड पर एक दुकान में आग लगी है. बहुत पत्थरबाज़ी हो रही है और पुलिस वाले कुछ नहीं कर रहे हैं.

तमाम पत्रकारों के अकाउंट से पता चलता है कि हिंसा में दोनों तरफ के लोग शामिल हैं. दोनों तरफ का मतलब नागरिकता संशोधन कानून के विरोधी और समर्थक भी. यह दुखद है. योगेंद्र यादव और अपूर्वानंद ने प्रदर्शनकारियों से अपील की है कि वे अपना धरना हटा लें.

15 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक महत्वपूर्ण फैसला आया है. कोर्ट ने कहा है कि घायल हुए छह छात्रों को यूपी की सरकार मुआवज़ा दे. यूपी के पुलिस प्रमुख को कहा है कि सीसीटीवी फुटेज में पुलिस और पीएसी के जवान मोटरसाइकिल तोड़ते देखे गए हैं इनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. जो पुलिस वाले छात्रों पर अनावश्यक लाठियां बरसा रहे हैं उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो. कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सुझावों को लागू करें. यूनिवर्सिटी के वीसी से भी कहा है कि वे छात्रों के साथ संवाद की बेहतर व्यवस्था कायम कर और छात्रों के बीच भरोसा बनाए. अलीगढ़ के एक इलाके में इसी रविवार को हिंसा हो गई थी.

मंगलवार को दिल्ली शांत नहीं हो सकी है. जैसे ही लगता है कि हालात सामान्य हो रहे हैं, कहीं और से हिंसा और घायलों की खबरें आने लगती हैं. इस हिंसा को नहीं रोक पाने के लिए कौन ज़िम्मेदार है. यह सवाल गृहमंत्री अमित शाह से शुरू होता है, फिर पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक पर जाता है फिर उप राज्यपाल और फिर मौके पर तैनात पुलिस पर पहुंचते ही दोनों पक्षों में बंट जाता है, जो अपना संतुलन खो चुके हैं और पथराव से लेकर गोलीबारी पर उतर आए हैं. गोली लगने से हुई मौत और घायलों की संख्या बताती है कि दिल्ली में सब कुछ बेलगाम हो गया है. 19-20 साल के लड़के ईंट चलाते देखे जा रहे हैं, डंडे लेकर चौराहे पर अपने अपने धर्म के रक्षक बने घूम रहे हैं. सिर्फ गुरुतेग बहादुर अस्पताल में जो 150 घायल भर्ती हुए हैं उनमें से करीब 44 लोग गोली लगने से घायल हुए हैं. मंगलवार को गोली लगने से घायल हुए 21 लोग जीटीबी अस्पताल मे भर्ती हुए हैं. तो आप सोच सकते हैं कि मंगलवार को क्या हुआ होगा. हमारे सहयोगी रवीश रंजन शुक्ल ने बताया कि 12 साल के एक बच्चे को भी गोली लगी है. यह संख्या बताती है कि दिल्ली बेलगाम हो चुकी है. अब इसे आगे की राजनीति की सेज सजाने के लिए ख़ूनी होने दिया गया इसका जवाब मेरे पास नहीं है. लेकिन एक शहर में 44 लोग गोली लगने से घायल हुए हैं और 11 लोगों की मौत हो गई है तो आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि दिल्ली में क्या कुछ होने दिया गया है. ट्विटर पर मरने वालों की संख्या अधिक बताई जा रही है, लेकिन हम आधिकारिक संख्या ही आपको बताएंगे.
जीटीबी के मॅर्चरी से आते इस रूदन को क्या आप हिन्दू और मुसलमान के रूदन में बांट सकते हैं, किसकी सिसकी है किसका बिलखना है. यहां राहुल सिंह सोलंकी के पिता अपने को संभाल नहीं पा रहे हैं तो उन्हीं के पीछे बैठा शाहिद का भाई नासिर उसके शव के इंतज़ार में है. शाहिद बुलंदशहर का रहने वाला था. ऑटो चलाता था और तीन महीने पहले शादी हुई थी. राहुल सिंह सोलंकी मार्केटिंग कंपनी का टीम लीडर था. एक बहन सीआरपीएफ में काम करती है. दिल्ली के बदहवास हो जाने का नतीजा इन परिवारों ने जो भुगता है वो इस अस्पताल के बाहर दिखता है. कोई मोटरसाइकिल से लाद कर लाया जा रहा है तो कोई रिक्शे में लाद कर लाया जा रहा है. एंबुलेंस के आने का सिलसिला जारी है. इलाके के हालात इतने खराब हैं कि लोग जान जोखिम में डाल कर घायलों को अस्पताल ला रहे हैं. अस्तपाल के भीतर यह नौजवान ग्लूकोज का बोतल लिए खड़ा है क्योंकि उसका भाई घायल हुआ है. बाहर शाम तक घायलों को लाया जा रहा था. घायल को लेकर भागती यह भीड़ बता रही है दिल्ली बदहवास हो चुकी है.

जैसा कि रवीश रंजन ने बताया कि सिर्फ जीटीबी अस्पताल का आंकड़ा बताता है कि 44 लोग गोली लगने से घायल हुए हैं. सारे अस्पतालों के आंकड़े नहीं हैं. सेंट स्टीफेंस अस्पताल में भी 28 साल के तरुण को गंभीर चोट लगी है. उसे आईसीयू में भर्ती कराया गया है. तरुण बिहारीपुर मोहल्ले का है. इसी अस्पताल में 25 फरवरी की सुबह सवा चार बजे सीलमपुर से शाह मोहम्मद को लाया गया. उसे जांघ में गोली लगी है. शाह मोहम्मद का ऑपरेशन हुआ है. तरुण और शाह मोहम्मद ठीक हैं. दिल्ली पुलिस के डीसीपी शाहदरा अमित शर्मा की भी मैक्स अस्पताल ब्रेन सर्जरी हुई है. उनकी स्थिति भी गंभीर बताई जा रही है, मगर खतरे से बाहर हैं. अमित शर्मा का हथियार भी छिन लिया गया है. उसे हासिल किए जाने की कोशिश हो रही है. एसीपी गोकुलपुरी आईपीएस अनुज कुमार भी घायल हैं जिनका इलाज मैक्स अस्पताल में चल रहा है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मैक्स अस्पताल जाकर देखा है.

दिल्ली पुलिस ने आज अपने जवान शहीद रतन लाल को भावभीनी श्रद्धांजली दी है. सलामी देने के वक्त पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक भी मौजूद थे. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भी मौजूद थे. दोपहर 12 बजे के आस पास रतन लाल को दयालपुर थाने के पास गोली लगी थी. पहले पत्थर लगने से घायल होने की बात आई थी लेकिन अब इसकी पुष्टि हो चुकी है कि उनके बायें बाज़ू में गोली लगी थी जो पार करती हुई दायें बाज़ू में पाई गई. रतन लाल गोकुलपुरी की एसीपी की सुरक्षा में गए थे. आपको बताया कि एसीपी अनुज कुमार भी दंगे में घायल हुए हैं. दिल्ली के बुराड़ी के अमृत विहार कालोनी में रहते थे लेकिन रतन लाल राजस्थान के सीकर के रहने वाले हैं. रामगढ़ शेखावाटी के तिहावली गांव के रहने वाले हैं. रतन लाल तीन भाइयों में सबसे बड़े थे. रतन के तीन बच्चे हैं. हमारी सहयोगी हर्षा कुमारी सिंह शहीद रतन लाल के गांव गई थीं. रतन के परिवार उसे शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं.

गृह मंत्रालय द्वारा सोमवार शाम को हालात के सामान्य होने का दावा किया गया था लेकिन रात भर इलाके से वीडियो आते रहे जिनमें हिंसा की भयावह तस्वीरें नज़र आ रही थी. कई जगहों से पुलिस की मदद मांगी जा रही थी. दमकल गाड़ियों की मदद मांगी जा रही थी. इसके बाद भी पत्रकारों के लिए रिपोर्ट करना मुश्किल हो गया. उनका मज़हब पूछा जाने लगा. उन्हें रिकार्ड करने से रोका गया. मारपीट हुई तो गोली भी लगी.

जे के 24.7 न्यूज़ के लिए रिपोर्टिंग करने वाले आकाश को गोली लग गई. आकाश मौजपुर इलाके से रिपोर्टिंग कर रहे थे. आकाश को जीटीबी अस्पताल में भरती कराया गया है. टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार अनिंद्य चट्टोपाध्याय ने 25 फरवरी के अखबार में लिखा है कि उसके सर पर तिलक लगाया गया और बोला कि अब तुम्हारा काम आसान हो जाएगा. अनिंद्य से पूछा गया कि हिन्दू हो कर उस बिल्डिंग की तस्वीर क्यों ले रहो जो जल रही है. इसके बाद उसे पैंट उतार कर लिंग से मज़हब देखने की बात कही गई. कई चैनलों और अखबारों के पत्रकार को मज़हब और चैनल के हिसाब से पहचान की जाने लगी और निशाना बनाया जाने लगा. हिन्दुस्तान टाइम्स के फोटोग्राफर संचित खन्ना के सामने एक गाड़ी जला दी गई और फिर उसके बाद बाइक जला दी गई. संचित ने पुलिस चौकी के पास अपनी बाइक खड़ी की थी लेकिन भीड़ ने थाने के बाहर खड़ी गाड़ी जला दी. इंडिया टुडे की तनुश्री पांडे ने ट्वीट किया था कि दोनों ही पक्ष अपने अपने हिसाब से पत्रकारों के साथ मारपीट और धक्कामुक्की कर रहे थे. तनुश्री ने लिखा है कि दस लोगों ने उसे पकड़ लिया था और मार देने की बात की जाने लगी. स्क्रोल ने छापा है कि मौजपुर एरिया में कई पत्रकारों के साथ मारपीट हुई. बहुसंख्यक समाज के लोग जब एक अल्पसंख्यक घर पर हमला कर रहे थे तब हमलावरों ने पत्रकारों को मजबूर किया कि वे अपने फोन से रिकार्ड किए गए फुटेज को डिलिट करें. इसी जगह पर एनडीटीवी के अरविंथ गुणाशेखर और सौरभ शुक्ला के साथ मार पीट हुई. अरविंथ के दांत टूटे हैं. उसे चोट आई है. सौरभ को भी अपनी पहचान साबित करने के लिए कहा गया. सौरभ के फोन को तोड़ा गया. वीडियो डिलीट कर दिया गया. पत्रकार की नहीं, किस मज़हब का है, इसकी पहचान. हम यहां पर पिछले पांच साल से लाए जा रहे थे, दिल्ली ने बता दिया कि मेहनत बेकार नहीं गई है.

हमारे सहयोगी परिमल के साथ भी धक्कामुक्की हुई है. एक और सहयोगी मरियम को चोट आई है. सुरक्षा बल मंगलवार को भी लूटपाट नहीं रोक सके न हिंसा रुकी. दोनों समुदाय के लोग, जो जहां पर संख्या में भारी था, दूसरे पर हमला कर रहे थे. कहीं मामला इकतरफा हो रहा था तो कहीं दो तरफा. दोनों तरफ से आमने सामने से पत्थर चल रहे थे. सब अपने अपने हिसाब से ये वीडियो वायरल कर रहे हैं. आपसे विनती है कि ऐसे वीडियो से सावधान रहें, खासकर जिनमें धार्मिक इमारतों के नुकसान की तस्वीरे हैं. इन्हें न वायरल करें और न ही इनसे उत्तेजित हों. लोगों की जान गई है. दुकानें लूटी हैं. रोज़ी रोटी का ज़रिया बर्बाद हुआ है. शांति और मदद पर ध्यान दें. कोई भी वीडियो तब तक फार्वर्ड न करें जब तक यह न पता हो कि किसने रिकार्ड किया है, कब रिकार्ड किया है, किस जगह का है.

फैज़ान अशरफी की दुकान जला दी गई है. फैज़ान की आर्युवेदिक दुकान है जिसका नाम अशरफी दवाखाना है. बीस साल की मेहनत से फैज़ान ने यह दवाखाना बनाया था. यह दुकान करावल नगर के खजूरी खास में थी जिसे पूरी तरह जला दिया गया है. यहां रखी दवाइयां पूरी तरह जल गई हैं. फैज़ान का सब कुछ बर्बाद हो गया है. फैज़ान होल सेल ट्रेडिंग का काम करते थे. इन्होंने बीमा भी नहीं कराया था.

वो लोग जो दुकानों को लूटने और जलाने निकले हैं उन्हें पता है कि वो क्या कर रहे हैं. एक ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था संकट से गुज़र रही है कि एक इलाके की पूरी अर्थव्यवस्था पर चोट की जा रही थी. मज़हब की पहचान कर दुकानें जलाई जा रही थीं और छोड़ी जा रही थीं. मुस्तफाबाद के नईम का एक पैर नहीं है. कूलर में जो घास लगती है उसका काम करते हैं. मंगलवार की दोपहर उनकी फैक्ट्री में आग लगा दी और 15 लाख का नुकसान हो गया.

नईम ने कहा कि कुछ हिन्दुओं ने बचाने की कोशिश की और कुछ लूटने और जलाने में लगे थे. इसी तरह की बात फैज़ान ने भी बताई कि एक भीड़ ने उनकी दुकान खाक कर दी तो करावल नगर की यादव गली के हिन्दुओं ने फोन कर कहा कि आपके घर की रक्षा हम करेंगे. आप चिन्ता न करें.

इसी गली से एक परिवार ने हमसे यही साझा किया है. ये एडवोकेड एजाज़ अहमद का परिवार है. करावल नगर की गली में अकेला यही रह गया था. बाकी सारे मुस्लिम चले गए थे. आज दोपहर भीड़ आई और यहां के दुकानों को लूटने लगी. यहां कुछ हिन्दू परिवार रहते हैं मगर उनकी संख्या उतनी नहीं थी कि हथियारों से लैस भीड़ को रोक सके. हिंसक भीड़ के जाने के बाद इस गली के कई हिन्दुओं ने मिलकर एजाज़ अहमद के परिवार को उनके रिश्तेदार के यहां छोड़ दिया. बी एल शर्मा, मोंटी और पप्पू बंसल और रवींद्र और कइयों ने बचाया. इन सभी को बधाई. बड़े बड़े नेता जहां घरों में दुबके रहे वहां कुछ लोग बृजविहार में सड़क पर बाहर भी आए और नारे लगाने लगे ताकि शांति बहाल हो. इनमें भी ज्यादातर हिन्दू ही थे. इनका नारा था कि हम अपनी कालोनी का माहौल खराब नहीं होने देंगे.

अजीब सी दिल्ली हो गई है. पत्रकारों को दोनों मज़हब के लोग निशाना बना रहे हैं. दोनों मजहब के लोग एक दूसरे को निशाना बना रहे हैं. दोनों मज़हब के लोग पुलिस से शिकायत करते फिर रहे हैं कि फलां लोग हमारे घर और दुकान में घुस आए और पुलिस नहीं आई. जो नुकसान हुआ है वो भाईचारे का हो गया. इस हिंसा में कितना हिंदू का गया कितना मुसलमान का गया बांट कर, छांट कर कब तक देखा जाए, गया तो देश का आपसी विश्वास है. यह इतना मुश्किल समय हो गया है कि कब कौन सा हिस्सा हमारी बात का काट कर वायरल कराने लगे और आप पूरी बात को समझे बगैर उसके झोंके में आने लगें, समझना मुश्किल है. अफवाहों ने लोगों पर कब्ज़ा कर लिया है. आईटी सेल सक्रिय है. गोकुलपुरी के टायरमार्केट में रात भर आगजनी होती रही. सुबह तक पुलिस आग बुझाती रहती है. न जाने कितने लोगों का बिजनेस हमेशा के लिए बर्बाद हो गया. यहां 224 दुकानें हैं, दो दर्जन से अधिक दुकानें जल कर बर्बाद हो गईं.

जब सौरभ ने ये बातचीत की थी लेकिन शाम को जब हमने फिर इस मार्केट के एक दुकानदार से फोन पर बात की. उन्होंने बताया कि दिन में दोबारा आग लगा दी गई और जिसमें सभी दुकानें जल कर राख हो गई हैं. पचास लाख से भी ज्यादा नुकसान हो गया है. हम बहुत सी तस्वीरें आपको नहीं दिखा रहे हैं न दिखाएंगे. घायलों और हिंसा की तस्वीरें आपको फिर से उसी मोड़ पर ले जाएंगी जहां से बदहवासी फैली है. चांद बाग, भागीरथी विहार, शिव विहार, खजूरी खास, भजपनपुरा, यादव गली, बृज विहार, करावल नगर, अशोक नगर. मोहल्लों के भीतर जो उत्पात मचा है, जिस तरह से हेल्मेट पहन कर हाथों में डंडे और तलवारें लेकर हमले हुए हों, वो भयावह है.

ज्यादातर लोग व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर पर शेयर किए गए वीडियो से अपनी समझ बनाते नज़र आ रहे हैं. उन सभी वीडियो को खारिज नहीं किया जा सकता. उन वीडियो से भी काफी कुछ पता चलता ही है. कुल मिलाकर एक दर्शक के रूप में देखें तो आपके लिए ये स्थिति कितनी मुश्किल है. आप चैनल पर कुछ देखते हैं और ट्विटर पर कुछ. अधिकारिक कुछ होता है, अनधिकारिक कुछ और होता है.

हमारे सहयोगी श्रीनिवासन जैन ने ट्वीट किया है कि वे मौजपुर बाबरपुर मेट्रो स्टेशन से लौट रहे हैं, वहां पर काफी तनाव था. मीडिया को दोनों समुदायों की तरफ से शत्रु भाव का सामना करना पड़ रहा था. श्रीनिवासन ने भी ट्वीट किया है कि विजय पार्क की दूसरी तरफ कबीर नगर जो कि मुस्लिम एरिया है. वहां छतों से लोग पत्थर फेंक रहे थे. श्रीनिवासन ने लिखा है कि जब वे विजय पार्क गए जो कि हिन्दू इलाका है, वहां पर मुसलमान की दुकान लूटी जा रही थी. एक लड़का आया और कहा कि मुसलमानों की दुकान है जिसमें लूट पाट चल रही है आप भी कुछ ले लो. इंडियन स्पोर्ट्स. उस दुकान को जला दिया गया.

उन्हीं के बीच लोग हैं जो कुछ बचा भी रहे हैं ताकि आने वाले कल में पूरी तरह शर्मिंदा न होना पड़े. स्क्रोल की इस रिपोर्ट के अनुसार यमुना विहार के लोगों ने मानव ऋंखला बना ली ताकि बच्चे सुरक्षित तरीके से स्कूल पहुंच पाएं क्योंकि पुलिस नज़र नहीं आ रही थी. गुरुद्वारों ने अपने दरवाज़े हिन्दू और मुस्लिम दोनों के लिए खोल दिए हैं. इस बीच आप सोच रहे होंगे कि हिंसा के दोषी क्या कभी पकड़े जाएंगे, इसका जवाब मुश्किल है. इसी का जवाब नहीं मिल रहा है कि तीन दिनों तक हिंसा क्यों नहीं नहीं रुकी.

लाल टी शर्ट में जो लड़का सोमवार को गोली चलाता दिखा था, उसने दो तीन गोलियां चलाई थीं, इसका नाम शाहरूख है. ये सीलमपुर के चौहान बागड़ का रहने वाला है. 22 साल उम्र है इसकी. सोमवार को चर्चा उड़ गई कि शाहरूख़ नागरिकता कानून के समर्थकों के बीच का है क्योंकि उसके पीछे कुछ भगवा झंडा सा दिख रहा है. इस पर कई लोग ट्वीट करने लगे लेकिन ऑल्ट न्यूज़ ने तुरंत जांच कर इसका पर्दाफाश कर दिया. शाहरूख नागरिकता कानून के विरोधियों के बीच से निकल कर आया था. पीछे जो नारंगी रंग का दिख रहा है वो झंडा नहीं है बल्कि क्रेट्स हैं. इसके बारे में अभी और डिटेल आने बाकी हैं. जैसे जो इसने गोली चलाई है, वो किसे लगी है, कहां लगी है. सच्चाई सामने आने के बाद कई लोगों ने शाहरूख के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

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ROHIT SHARMA

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