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स्त्रियां : मोदीकाल में मुगलकाल से भय

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स्त्रियां : मोदीकाल में मुगलकाल से भय

बांयें, मोदी काल (उन्नाव) : दांयें, मुगल काल

भारतीय जनता पार्टी के सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने जनसभा में कहा था,’शाहीन बाग में लाखों लोग जमा होते हैं. दिल्ली के लोगों को सोचना होगा और फैसला करना होगा. वो आपके घरों में घुसेंगे, आपकी बहन-बेटियों के साथ बलात्कार करेंगे, उन्हें कत्ल कर देंगे. आज ही वक्त है, कल मोदी जी और अमित शाह आपको बचाने नहीं आ पाएंगे.’

भाजपा के सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा अपना ज्ञान पिछले डेढ़ माह से सीएए-एनआरसी के खिलाफ शांतिपूर्ण धरना में शामिल लाखों लोगों के खिलाफ दे रहे थे. भाजपा का यह सांसद यह ज्ञान बेमोल दे रहे थे, जिसके प्रधानमंत्री से लेकर विधायक और कार्यकर्ता तक बलात्कार और हत्या में शामिल होते हैं. कुलदीप सिंह सेंगर और स्वामी चिन्मयानन्द इसके बेजोड़ उदाहरण है, जहां एक पीड़िता के परिवार को ही खत्म कर डालता है तो दूसरे पीड़िता को ही जेल की हवा खिला देता है. इसके प्रधानमंत्री लड़की की जासूसी करवाता है और कार्यकर्ता घरों में घुसकर बलात्कार करता है.

देश में शाहीन बाग के नाम पर ‘मुगलकाल की वापसी’ का नाम देने वाला भाजपा मुगलकाल के उस इंसाफ से भी परिचित है, जब बलात्कार के आरोप पर शहंशाह औरंगजेब ने अपने सेनापति को बीचों-बीच चिरवा दिया था.

मामला एक हिन्दू राजा की पत्नी के साथ ब्राह्मण पुजारी द्वारा जबरन बलात्कार हुआ था. यूं कि एक मंदिर में बलात्कार करने के जुर्म में अपवित्र हो चुके मंदिर को ध्वस्त कर प्रतिमा को दूसरे जगह स्थापित किया और आरोपी ब्राह्मण पुजारी को कड़ा दंड दिया.

बलात्कारप्रिय भाजपा के नेता और कार्यकर्ता मुगलकाल के इस इंसाफ से पूरी तरह परिचित है. यही कारण है कि वह मुगलकाल के बारे मेें एक ओर जहां दुश्प्रचार कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर बलात्कार करने के लिए सुरक्षित जगह के तौर पर मंदिरों का निर्माण करवा रहा है.

मोदी शासनकाल में घाटी के एक मंदिर में एक छोटी बच्ची असिफा के साथ किये गये सामूहिक बलात्कार, उसकी क्रूर हत्या और इसके गुनाहगार बलात्कारियों के समर्थन में भाजपा के नेताओं का तिरंगा जूलूस यात्रा को अधिक दिन नहीं बीते हैं. वही संघी और कथित बाबाओं की चरित्र कथा आये दिन सोशल मीडिया पर तैरता रहता है, जो किसी पोर्नोग्राफी से टक्कर लेती दिखती है.

मध्यप्रदेश के कटनी से जिला पंचायत सदस्य और पूर्व भाजपा नेत्री विद्या पटेल कहती हैं ‘भाजपा औरत और दौलत की पार्टी है.’ इसकी पुष्टि के लिए किसी रॉकेट साइंस की जरूरत नहीं है.

एनआरसी-सीएए के समर्थन में जुलूस निकालने वाले इन संघियों और उसके गुंडों की काली कारतूत तब भी सामने आई थी, जब इन गुंडों को दिल्ली की गार्गी कॉलेज की लड़कियों पर कुत्तों की तरह हुला दिया गया था और देशव्यापी विरोध के बाद भी मामलों को रफादफा कर दिया गया था.

स्त्रियों के खिलाफ हिन्दू खासकर ब्राह्मणवादी तबका ज्यादा ही हिंसक और क्रूर है. सती प्रथा जैसी अमानवीय हत्या के समर्थक आज भी मिल जाते हैं. स्तन क्लॉथ के लिए जबरदस्त विरोध के बाद भी आज भी इसके अवशेष दीख जाते हैं जब शुद्रों और अछूत समुदायों की महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता है. देवदासी प्रथा जैसी सुनियोजित वेश्यावृत्ति आज भी मंदिरों और पूजास्थलों के प्रचलन में है.

सनातन धर्म यानी वैदिक धर्म का मूल आधार ही सुरा – सुंदरी, सम्भोग, मांसाहार और युद्ध है. यहां तक कि गायत्री मंत्र, जिसे पवित्र मंत्र माना जाता है, असल में सम्भोग मन्त्र है. गायत्री मंत्र को ‘नव योनि मंत्र’ भी कहते हैं, जिस अश्लील मंत्र को आज भी ब्राह्मणवादी लोग शुभ बताते हैं.

संघ वैदिक धर्म की पुनर्नस्थापना के नाम पर देश में अश्लीलता परोस रहे हैं जबकि यह भारतीय संस्कृति नहीं है. यह विदेशी आर्यो की ब्राह्मणवादी अश्लील संस्कृति है, जिसको कुछ ब्राह्मणवादी अश्लील लोग इस संस्कृति को शुभ बताकर देश में अश्लीलता फैला रहे हैं, जो कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद – 19(2) के अधीन गैरकानूनी है.

संघ और उसके एजेंट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारतीय संविधान को खत्म कर एक बार फिर देश में मनुस्मृति, जिसे अब नव-मनुस्मृति भी कहा जाने लगा है, मुगलकाल का भय दीखा कर स्त्रियों (और शुद्रों के भी) खिलाफ बर्बर काल वापस लाने जा रहा है. देश को जितनी जल्दी समझ में आ जाये, बेहतर है.

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